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छत्तीसगढ़ में पीपीपी मॉडल पर चल सकते हैं गौठान !

Chhattisgarh Gauthan छत्तीसगढ़ में गौठानों को लेकर भाजपा भी गंभीर है. कांग्रेस की कई योजनाओं को बंद करने पर तुली भाजपा गौठानों के जरिए गरीबी खत्म करने की प्लानिंग कर रही है.

Chhattisgarh Gauthan
छत्तीसगढ़ में गौठान
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 17, 2024, 2:26 PM IST

Updated : Jan 17, 2024, 6:43 PM IST

छत्तीसगढ़ में पीपीपी मॉडल पर चल सकते हैं गौठान

कोरबा: छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद गौठानों से जुड़े लोग और पशुपालक इस पशोपेश में थे कि गौठान अब चलेंगे या बंद हो जाएंगे. बीते दिनों केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह ने गौठान योजना पर अपना रुख साफ कर दिया. उन्होंने कहा कि गौठान लोगों के उत्थान का केंद्र होगा. यानी भाजपा, भूपेश सरकार की फ्लैगशिप योजना नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी योजना को बंद करने के मूड़ में फिलहाल नहीं है.

अभी क्या है गौठानों की स्थिति: प्रदेश में सरकार बदलते ही फिलहाल गौठानों में काम पूरी तरह से रुके हुए हैं. स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी भी इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं. गौठानों में किसी भी तरह की गतिविधि बंद है. यहां आने वाले गायों को सिर्फ चारा पानी का इंतजाम किया जा रहा है.

कांग्रेस सरकार में गौठानों में क्या होता था: नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी योजना के तहत गौठानों का संचालन किया जाता था. कोरबा के गोकुल नगर में संचालित गौठान का स्थानीय स्तर पर महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से होता था. पूरा कंट्रोल महिलाओं के हाथों में था. गोबर खरीदी के साथ ही गोबर गैस और खाद बनाया जाता था. स्व सहायता समूह की महिलाएं उसी खाद से गौठानों में सब्जियां भी उगाती थी और उन्हें स्थानीय बाजार में बेचकर पैसे भी कमाती थी.

पहले गोबर खरीदी होती थी अब बंद हो गई है. पहले वर्मी कंपोस्ट बनाते थे. अब सब बंद है. सरकार बदलने के बाद सब बंद हो गया है. गायों को सिर्फ दाना पानी दिया जा रहा है. पहले 500 गाय गौठान में रहती थी.- चैतराम, गौठान समिति के सदस्य

बंद नहीं होंगे गौठान: गौठानों में गायों को चारा पानी देने के अलावा और कोई भी काम नहीं किया जा रहा है. लेकिन जल्द गौठानों में पहले जैसी रौनक दिखने लगेगी. केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह बीते दिनों कोरबा दौरे पर थे. वहां उन्होंने कहा कि "गौठान लोगों के उत्थान का मार्ग बनेंगे. उन्होंने सार्वजनिक उपक्रमों को भी इससे जोड़ने की बात कही है. हालांकि गौठानों का संचालन अब किस तरह से होगा? इसका मॉडल क्या होगा? और क्या गौठानों में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को जोड़कर इसके प्राइवेटाइजेशन की दिशा में भी कोई प्लान है? यह बातें फिलहाल स्पष्ट नहीं है, लेकिन गिरिराज सिंह ने यह जरूर साफ कर दिया है कि प्रदेश के गौठान फिलहाल बंद नहीं किए जाएंगे.

गौठान भ्रष्टाचार का प्रतीक नहीं होगा, अब वो लोगों के उत्थान का केंद्र होगा. -गिरिराज सिंह, केंद्रीय पंचायत मंत्री

जानिए गौठानों में आखिर क्या : साल 2018 में कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सत्ता में आई. भूपेश बघेल ने चुनाव के पहले ही नारा दिया था कि "नरवा, गरवा,घुरवा अउ बाड़ी एला बचाना हे संगवारी". इसी तर्ज पर उन्होंने इस सुराजी गांव योजना को लॉन्च किया. गांव-गांव में गौठान बनाए गए. अकेले कोरबा जिले में 332 गौठान हैं. इस योजना के तहत नरवा (बरसाती नाले), गरवा (पशुधन), घुरवा (कम्पोस्ट खाद निर्माण) और बाड़ी (सब्जी और फलोद्यान) के संरक्षण एवं संवर्धन का अभियान शुरू किया गया.

नरवा कार्यक्रम- राज्य के लगभग 29000 बरसाती नालों को चिन्हित किया गया. दावा किया गया की वर्षा जल संरक्षण के साथ ही इन नालों को बचाया जाएगा इसमें पानी की उपलब्धता बढ़ाई जाएगी.

गरवा कार्यक्रम - इस कार्यक्रम के तहत पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गांवों में गौठान बनाकर वहां पशुओं को रखने की व्यवस्था की गई. प्रदेश में करीब 11,288 गौठान स्वीकृत हुए है. जिनमे से 4372 गौठान पूरी तरह से स्वावलंबी होने का दावा किया गया. गौठानों में पशुओं के लिए डे-केयर की व्यवस्था की गई.

घुरवा कार्यक्रम - इसके माध्यम से जैविक खाद का उत्पादन कर इसके उपयोग को बढ़ावा दिया गया. दावा किया गया कि 16 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट बिक्री सहकारी समीतियों के माध्यम से की जा चुकी है.

बाड़ी कार्यक्रम- छत्तीसगढ़ में बाड़ी को बारी कहा जाता है. ग्रामीणों के घरों से लगी भूमि में 3 लाख से अधिक व्यक्तिगत बाड़ियों को विकसित करने की बात कही गयी.

गोबर खरीदी शुरू कर कई गतिविधियों को दिया बढ़ावा : 20 जुलाई 2020 को पूर्व कांग्रेस सरकार ने गोधन न्याय शुरू की. योजना के तहत दो रुपए किलो में गोबर खरीदी और 4 रुपये लीटर की दर पर गोमूत्र की खरीदी शुरू हुई. इस योजना के तहत ग्रामीणों और गोबर संग्राहकों को और गौठान समितियों के समूहों को 4 साल में 169.41 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है. गौठानों में महिला समूहों द्वारा गोधन न्याय योजना के तहत खरीदे गए गोबर से बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट बनाया गया. 300 ग्रामीण औद्योगिक पार्क की शुरुआत हुई. जिसमें मूर्तियां, अगरबत्ती, गोबर से पेंट जैसे उत्पादों का निर्माण, चप्पल से लेकर कई उत्पाद महिला समूह द्वारा बनाने की शुरुआत हुई. गौठानों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में काम हुए.

भाजपा ने लगाया था गोबर घोटाला का आरोप :गौठान कांग्रेस सरकार की फ्लैगशिप योजना थी. लेकिन सत्ता में आने के पहले तक भाजपा नेता लगातार गौठानों को लेकर घोटाले के आरोप लगाते रहे हैं. स्थानीय से लेकर केंद्रीय नेताओं ने भूपेश बघेल पर गोबर घोटाले का आरोप लगाया. गौठानों को घोटालों का केंद्र बिंदु बताया. लालू के चारा घोटाले से भी गोबर घोटाले की तुलना की गई थी.

गौठानों के प्राइवेटाइजेशन की भी चर्चा : लेकिन अब भाजपा सरकार गौठानों को बंद करने के मूड में नहीं है. कोरबा दौरे के दौरान केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह ने अधिकारियों की मीटिंग के दौरान गौठान में सार्वजनिक उपक्रमों के सहभागिता की बात भी कही. कोरबा में एनटीपीसी, बालको एसईसीएल और सीएसईबी के अधिकारियों की बैठक में भी उन्होंने कहा कि गौठान में सार्वजनिक उपक्रमों की सहायता ली जाएगी. जिसके बाद यह चर्चा उठने लगी है कि अब गौठानों का प्राइवेटाइजेशन भी किया जा सकता है.

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अभी क्या है गौठानों की स्थिति: प्रदेश में सरकार बदलते ही फिलहाल गौठानों में काम पूरी तरह से रुके हुए हैं. स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी भी इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं. गौठानों में किसी भी तरह की गतिविधि बंद है. यहां आने वाले गायों को सिर्फ चारा पानी का इंतजाम किया जा रहा है.

कांग्रेस सरकार में गौठानों में क्या होता था: नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी योजना के तहत गौठानों का संचालन किया जाता था. कोरबा के गोकुल नगर में संचालित गौठान का स्थानीय स्तर पर महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से होता था. पूरा कंट्रोल महिलाओं के हाथों में था. गोबर खरीदी के साथ ही गोबर गैस और खाद बनाया जाता था. स्व सहायता समूह की महिलाएं उसी खाद से गौठानों में सब्जियां भी उगाती थी और उन्हें स्थानीय बाजार में बेचकर पैसे भी कमाती थी.

पहले गोबर खरीदी होती थी अब बंद हो गई है. पहले वर्मी कंपोस्ट बनाते थे. अब सब बंद है. सरकार बदलने के बाद सब बंद हो गया है. गायों को सिर्फ दाना पानी दिया जा रहा है. पहले 500 गाय गौठान में रहती थी.- चैतराम, गौठान समिति के सदस्य

बंद नहीं होंगे गौठान: गौठानों में गायों को चारा पानी देने के अलावा और कोई भी काम नहीं किया जा रहा है. लेकिन जल्द गौठानों में पहले जैसी रौनक दिखने लगेगी. केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह बीते दिनों कोरबा दौरे पर थे. वहां उन्होंने कहा कि "गौठान लोगों के उत्थान का मार्ग बनेंगे. उन्होंने सार्वजनिक उपक्रमों को भी इससे जोड़ने की बात कही है. हालांकि गौठानों का संचालन अब किस तरह से होगा? इसका मॉडल क्या होगा? और क्या गौठानों में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को जोड़कर इसके प्राइवेटाइजेशन की दिशा में भी कोई प्लान है? यह बातें फिलहाल स्पष्ट नहीं है, लेकिन गिरिराज सिंह ने यह जरूर साफ कर दिया है कि प्रदेश के गौठान फिलहाल बंद नहीं किए जाएंगे.

गौठान भ्रष्टाचार का प्रतीक नहीं होगा, अब वो लोगों के उत्थान का केंद्र होगा. -गिरिराज सिंह, केंद्रीय पंचायत मंत्री

जानिए गौठानों में आखिर क्या : साल 2018 में कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सत्ता में आई. भूपेश बघेल ने चुनाव के पहले ही नारा दिया था कि "नरवा, गरवा,घुरवा अउ बाड़ी एला बचाना हे संगवारी". इसी तर्ज पर उन्होंने इस सुराजी गांव योजना को लॉन्च किया. गांव-गांव में गौठान बनाए गए. अकेले कोरबा जिले में 332 गौठान हैं. इस योजना के तहत नरवा (बरसाती नाले), गरवा (पशुधन), घुरवा (कम्पोस्ट खाद निर्माण) और बाड़ी (सब्जी और फलोद्यान) के संरक्षण एवं संवर्धन का अभियान शुरू किया गया.

नरवा कार्यक्रम- राज्य के लगभग 29000 बरसाती नालों को चिन्हित किया गया. दावा किया गया की वर्षा जल संरक्षण के साथ ही इन नालों को बचाया जाएगा इसमें पानी की उपलब्धता बढ़ाई जाएगी.

गरवा कार्यक्रम - इस कार्यक्रम के तहत पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गांवों में गौठान बनाकर वहां पशुओं को रखने की व्यवस्था की गई. प्रदेश में करीब 11,288 गौठान स्वीकृत हुए है. जिनमे से 4372 गौठान पूरी तरह से स्वावलंबी होने का दावा किया गया. गौठानों में पशुओं के लिए डे-केयर की व्यवस्था की गई.

घुरवा कार्यक्रम - इसके माध्यम से जैविक खाद का उत्पादन कर इसके उपयोग को बढ़ावा दिया गया. दावा किया गया कि 16 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट बिक्री सहकारी समीतियों के माध्यम से की जा चुकी है.

बाड़ी कार्यक्रम- छत्तीसगढ़ में बाड़ी को बारी कहा जाता है. ग्रामीणों के घरों से लगी भूमि में 3 लाख से अधिक व्यक्तिगत बाड़ियों को विकसित करने की बात कही गयी.

गोबर खरीदी शुरू कर कई गतिविधियों को दिया बढ़ावा : 20 जुलाई 2020 को पूर्व कांग्रेस सरकार ने गोधन न्याय शुरू की. योजना के तहत दो रुपए किलो में गोबर खरीदी और 4 रुपये लीटर की दर पर गोमूत्र की खरीदी शुरू हुई. इस योजना के तहत ग्रामीणों और गोबर संग्राहकों को और गौठान समितियों के समूहों को 4 साल में 169.41 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है. गौठानों में महिला समूहों द्वारा गोधन न्याय योजना के तहत खरीदे गए गोबर से बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट बनाया गया. 300 ग्रामीण औद्योगिक पार्क की शुरुआत हुई. जिसमें मूर्तियां, अगरबत्ती, गोबर से पेंट जैसे उत्पादों का निर्माण, चप्पल से लेकर कई उत्पाद महिला समूह द्वारा बनाने की शुरुआत हुई. गौठानों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में काम हुए.

भाजपा ने लगाया था गोबर घोटाला का आरोप :गौठान कांग्रेस सरकार की फ्लैगशिप योजना थी. लेकिन सत्ता में आने के पहले तक भाजपा नेता लगातार गौठानों को लेकर घोटाले के आरोप लगाते रहे हैं. स्थानीय से लेकर केंद्रीय नेताओं ने भूपेश बघेल पर गोबर घोटाले का आरोप लगाया. गौठानों को घोटालों का केंद्र बिंदु बताया. लालू के चारा घोटाले से भी गोबर घोटाले की तुलना की गई थी.

गौठानों के प्राइवेटाइजेशन की भी चर्चा : लेकिन अब भाजपा सरकार गौठानों को बंद करने के मूड में नहीं है. कोरबा दौरे के दौरान केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह ने अधिकारियों की मीटिंग के दौरान गौठान में सार्वजनिक उपक्रमों के सहभागिता की बात भी कही. कोरबा में एनटीपीसी, बालको एसईसीएल और सीएसईबी के अधिकारियों की बैठक में भी उन्होंने कहा कि गौठान में सार्वजनिक उपक्रमों की सहायता ली जाएगी. जिसके बाद यह चर्चा उठने लगी है कि अब गौठानों का प्राइवेटाइजेशन भी किया जा सकता है.

कोरबा में गिरिराज सिंह ने लिया मैराथन बैठक, कहा- "गौठान अब भ्रष्टाचार नहीं लोगों के उत्थान का बनेंगे प्रतीक"
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Last Updated : Jan 17, 2024, 6:43 PM IST
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