कोरबा: सीएसईबी चौकी अंतर्गत मानस नगर में रहने वाले प्रेम लाल साहू ने कोरबा जिला सत्र न्यायालय में परिवाद दाखिल किया था. साल 1993 में प्रेमलाल को उसके दोस्त लोमेश तिवारी ने खदान क्षेत्र में जमीन खरीदने और इसके अधिग्रहण के बाद एसईसीएल में नौकरी लगाने का प्रलोभन दिया था. लालच में आकर लोमेश की मध्यस्थता के बाद प्रेमलाल ने चमरा दास पिता मिलाप दास(40) से 10 डिसमिल भूमि ढेलवाडीह में खरीदी थी. तब लोमेश ने प्रेमलाल से कहा कि 3 वर्ष की प्रक्रिया है. जिसके बाद एसईसीएल में नौकरी पक्की है, लेकिन 1993 में भू-अधिग्रहण पूरा होने के बाद 2010 तक भी प्रेमलाल को नौकरी नहीं लगी.
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जब लोमेश तिवारी की बताई योजना के तहत प्रेमलाल की नौकरी एसईसीएल में नहीं लगी, तब उसने एसईसीएल कार्यालय कोरबा पहुंकर अपने जमीन और उससे जुड़ी जानकारी हासिल की. कार्यालय से जो जानकारी मिली, उसे देख प्रेमलाल के होश उड़ गए. प्रेम लाल साहू को दस्तावेजों में ब्राह्मण बताया गया था. इतना ही नहीं जमीन मालिक प्रेमलाल को मृत घोषित कर लोमेश ने अपनी चचेरी बहन कुमुद तिवारी को काल्पनिक नाम रजनी तिवारी देकर प्रेमलाल की पुत्री बता दिया. दस्तावेजों में कूटरचना कर प्रेमलाल की जमीन का मालिकाना हक कुमुद तिवारी के परिवर्तित नाम रजनी तिवारी के नाम पर दर्ज कर दिया. कुमुद के पति रवि शंकर तिवारी को प्रेमलाल के स्थान पर एसईसीएल में नौकरी मिल गई. काल्पनिक नाम रजनी तिवारी को शहर के सीतामणी निवासी भी बताया गया था.
कई तरह के फर्जी दस्तावेज तैयार किये: असली भूस्वामी प्रेमलाल को दस्तावेजों में मृत करार दिया गया. लोमेश ने अपनी भतीजी कुमुद को काल्पनिक राम रजनी तिवारी देने और उसे जमीन मालिक बनाने के लिए कई स्तर पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए. इसके लिए जमीन खरीदी करने के लिए फर्जी गवाह लाल सिंह, इतवार सिंह को बनाकर जमीन का बिक्री नामा बनवाया. काल्पनिक नाम रजनी तिवारी को वास्तविक प्रमाणित करने के लिए ढेलवाडीह से मतदाता कार्ड बनवाया. इसमें फर्जी गवाहों परसराम पटेल, राकेश साहू, लक्ष्मण, रवि कुमार राय का भी सहारा लिया। कूटरचना में पूर्व सरपंच बिरस बाई खूंटे, सरपंच पति रोशन कश्यप, पार्षद बंशीलाल महिलांगे, पटवारी बुधवार सहित कुल 17 लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज किया गया है.
मामला दर्ज कर विवेचना में लिया: इस मामले में कोरबा कोतवाली टीआई रामेंद्र सिंह कंवर ने बताया कि नौकरी पाने के लिए दस्तावेजों में कूटरचना की गई थी. 1993 के इस मामले में न्यायालय के आदेश पर धारा 419, 420 सहित विभिन्न धाराओं के तहत 17 लोगों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज किया गया है। इसे विवेचना में लेकर कार्रवाई की जा रही है.