कोरबा: 2 साल पहले केंद्र सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना लॉन्च की थी. योजना लॉन्च करते वक्त सरकार ने खूब ढिंढोरा पीटा और कहा कि वह लघु और सीमांत किसानों को सालाना 6 हजार रुपये की राशि देगी, लेकिन इसकी हकीकत कुछ और ही है.
किसान सम्मान निधि योजना का सच
आमतौर पर बड़े किसान काफी हद तक बेहतर स्थिति में हैं, लेकिन 5 एकड़ से कम खेत वाले लघु और सीमांत किसानों की स्थिति दिनोंदिन बदतर होती जा रही है. इन्हें आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सालाना 6 हजार रुपए नकद देने की योजना बनाई. योजना के अनुसार किसानों को हर 4 महीने में एक बार 2 हजार रुपये दिए जाने थे. इस तरह सालाना 3 किस्तों में 6 हजार रुपए दिए जाने हैं, लेकिन ये योजना भी केंद्र और राज्य के बीच की राजनीति में फंस गई है. किसानों को अब इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
पहली किस्त में 1 लाख, छठवीं किस्त में महज डेढ़ हजार किसान शामिल
योजना जब शुरू हुई, तब अकेले कोरबा जिले में लघु और सीमांत की श्रेणी में आने वाले 1 लाख 311 किसानों के खाते में केंद्र सरकार ने 2 हजार रुपए की राशि हस्तांतरित की, जो योजना की सबसे पहली किस्त थी. अब जब पिछले महीने योजना की छठवीं किस्त जारी की गई है, तो हैरानी वाली बात ये है कि छठवीं किस्त में केवल 1 हजार 669 किसानों को ही 2 हजार रुपए मिले. संख्या एक लाख से 1000 कैसे पहुंच गई, इस बात का जवाब किसी के पास भी नहीं है.
किस्त दर किस्त ऐसे कम हुई किसानों की संख्या
किस्तों की संख्या | किसानों की संख्या |
पहली | 100311 |
दूसरी | 96996 |
तीसरी | 74154 |
चौथी | 45413 |
पांचवीं | 38451 |
छठवीं | 1669 |
राशि के इंतजार में किसान
किसान सुरेश, रमन और बंशीलाल से ETV भारत की टीम ने बात की, तो इस बात का खुलासा हुआ कि कुछ किसानों के दस्तावेज ही अब तक नहीं बन पाए हैं. जिनके दस्तावेज बने हैं, उन्हें एक भी किस्त नहीं मिली है. कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें दूसरी किस्त नहीं मिली, तो कुछ किसान ऐसे मिले जिन्हें दो या तीन किस्त की राशि जारी की गई, लेकिन इसके बाद पैसे नहीं मिले. कुछ किसान अब भी इस योजना के तहत खाते में राशि हस्तांतरित होने का इंतजार कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि राशि क्यों नहीं मिल रही, इसकी जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि हम सिर्फ इंतजार ही कर सकते हैं.
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केंद्र नहीं राज्य कर रही किसानों के साथ छल
बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष लखन लाल देवांगन का कहना है कि प्रधानमंत्री ने किसानों की बेहतरी के लिए एक बेहतरीन योजना शुरू की थी. उन्हें सालाना 6 हजार रुपए दिए जाने थे, लेकिन राज्य सरकार ने किसानों का डाटा ही केंद्र को नहीं भेजा. जिसके कारण योजना का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि किसानों का सारा डाटा राज्य सरकार के पास ही रहता है, जब तक केंद्र को डाटा नहीं मिलेगा, पैसे कैसे हस्तांतरित हो सकते हैं. राज्य की भूपेश सरकार इसके लिए जिम्मेदार है, जो किसानों के साथ छलावा कर रही है.
'सभी योजनाएं साबित होती हैं जुमला'
जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष अजय जायसवाल ने केंद्र की वर्तमान सरकार की सभी योजनाओं को फेल बताया. उन्होंने कहा कि किसानों का डाटा एक बार भेज दिया गया है, जिसे बार-बार देने की जरूरत नहीं है. केंद्र की सरकार का यह राजनीतिक स्टंट है, केवल घोषणा करके वह इन्हें पूरा नहीं करती है. जायसवाल ने केंद्र की योजनाओं को सिर्फ जुमला बताया.
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'दोनों सरकारें निकम्मी'
भारतीय जनता सेकुलर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील विश्वकर्मा कहते हैं कि जब बात किसानों की आती है, तब सरकार की योजनाएं केवल घोषणाओं तक ही सीमित रहती हैं, धरातल पर नहीं उतर पाती. किसानों की बेहतरी के मामले में दोनों सरकार निकम्मी हैं. किसानों के नाम पर सिर्फ राजनीति होती है, लेकिन उनके साथ न्याय कभी नहीं होता.
ब्लॉक, जिला, राज्य या फिर केंद्र तक के नेता किसानों की बात तो करते हैं, लेकिन उनका भला कोई नहीं करना चाहता. भाषण हो या आम चर्चा सभी किसानों के हितैषी होने का दावा पेश करते हैं, लेकिन बात जब उनकी बेहतरी की हो, उनकी उन्नति की हो, तो धरातल पर तस्वीर बदल जाती है. जिन योजनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा जाता है, वे योजनाएं भी किसानों को लाभ नहीं पहुंचा पा रही हैं.