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EXCLUSIVE: इस तरह मुश्किलों को पार कर पाई मंजिल, 'गोल्डन गर्ल' श्रुति यादव की कहानी उनकी जुबानी

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीतने वाली छत्तीसगढ़ की 'गोल्डन गर्ल' श्रुति यादव ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि शुरू से ही उनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने का सपना रहा है. इस सपने को हासिल करने के लिए उन्होंने दिन रात मेहनत की है.

श्रुति यादव
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Published : Aug 12, 2019, 11:00 PM IST

कोरबा: छत्तीसगढ़ की गोल्डन गर्ल के नाम से प्रसिद्ध श्रुति यादव ने यूरोपियन मास्टर गेम्स 2019 में 2 गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया है. श्रुति यादव भारत का अलग-अलग खेलों में प्रतिनिधित्व कर रहे 150 खिलाड़ियों में इकलौती खिलाड़ी हैं, जिन्होंने दो गोल्ड मेडल जीते हैं और इसी के साथ यह मुकाम हासिल करने वाली श्रुति छत्तीसगढ़ से पहली शूटर बन गई हैं. श्रुति ने भारत की ओर से 10 मीटर एयर पिस्टल और 25 मीटर स्पोर्ट्स पिस्टल गेम में गोल्ड मेडल जीता है.

'गोल्डन गर्ल' श्रुति यादव की कहानी उनकी जुबानी

दो गोल्ड मेडल जीते
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीतने वाली छत्तीसगढ़ की 'गोल्डन गर्ल' श्रुति यादव ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि शुरू से ही उनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने का सपना रहा है. इस सपने को हासिल करने के लिए उन्होंने दिन रात मेहनत की है. इस सपने को पूरा करने में परिवार और दोस्तों के साथ ऑफिस के कलीग्स ने भी उनका पूरा साथ दिया. उन्होंने बताया कि शूटिंग इवेंट में लगभग 20 देश भाग ले रहे थे. श्रुति वहां 2 इवेंट्स 10 मीटर एयर पिस्टल और 25 मीटर स्पोर्ट्स पिस्टल के प्रतियोगिता में भाग लेने गई थी और दोनों ही इवेंट में उन्होंने ही गोल्ड मेडल जीते.

इन्हें मानती हैं इंस्पिरेशन

shruti yadav
अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडलिस्ट शूटर श्रुति यादव
श्रुति ने बताया कि उनका यह पहला अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला था, इसलिए मन में एक डर था कि वह अपने देश के लिए मेडल जीत पाएंगी या नहीं. उन्होंने बाताया कि अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग, विजय कुमार, राज्यवर्धन सिंह राठौर जैसे ओलंपिक विजेताओं को अपना इंस्पिरेशन मानती हैं. श्रुति कहती हैं कि इन लोगों की कामयाबी को देखकर हर आम प्लेयर को एक हौसला मिलता है. इंटरनेशनल प्लेयर बनना और वहां जाकर गोल्ड जीतने का सफर हमेशा बाधाओं से भरा रहता है.

उतार-चढ़ाव भरी रही जिंदगी
श्रुति ने बताया कि जब 2016 में वह प्री नेशनल की तैयारी कर रही थी तब उन्हें डेंगू हो गया था, जिसकी वजह से वो प्री नेशनल्स नहीं खेल पाई थी. इसके बाद उन्होंने अपने जॉब पर ध्यान केंद्रित कर दिया. इसके 2-3 महीने बाद उन्हें बुखार हुआ और डॉक्टर्स की गलत दवाइयों की वजह से उन्हें स्टीवन जॉनसन सिंड्रोम बीमारी हो गई. श्रुति ने बताया कि इस बीमारी से उनका शरीर काला पड़ गया था और आंखों की रोशनी चली गई थी. इसके बाद श्रुति की आंखों का ऑपरेशन हुआ जो सफल रहा.

कभी नहीं मानी हार
इतना सब कुछ होने के बाद भी श्रुति ने हार नहीं मानी और जुलाई 2017 में दुबारा प्रैक्टिस शुरू कर दी. वे फिर से स्टेट और इसके बाद नेशनल चैंपियन बनी. इसके बाद श्रुति आगे बढ़ती गई और आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीतकर कोरबा और छत्तीसगढ़ के साथ पूरे देश का नाम रोशन किया है.

ओलंपिक्स में गोल्ड जीतने का लक्ष्य
उन्होंने बताया कि अब उनका अगला ध्यान जापान के कांसाई में 2021 में होने वाले वर्ल्ड चैंपियनशिप पर है. इसके लिए वो अभी देश के अलग-अलग जगहों पर हो रहे इवेंट्स में भाग लेंगी. उनका कहना है कि अब हर अंतरराष्ट्रीय इवेंट में उन्हें भाग लेना है, क्योंकि उनका अंतिम लक्ष्य पेरिस 2024 के ओलंपिक्स में गोल्ड जीतने का है.

प्राथमिकता को समझें
श्रुति यादव ने भविष्य में शूटिंग और अन्य स्पोर्ट्स में अपना करियर बनाने के इच्छुक लोगों के लिए संदेश दिया है कि जॉब, परिवार और खेल तीनों पर एक साथ ध्यान दिया जा सकता है. किसी भी पड़ाव को हासिल करने के लिए समय का पाबंद होना और प्राथमिकताओं को समझना जरूरी है.

कोरबा: छत्तीसगढ़ की गोल्डन गर्ल के नाम से प्रसिद्ध श्रुति यादव ने यूरोपियन मास्टर गेम्स 2019 में 2 गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया है. श्रुति यादव भारत का अलग-अलग खेलों में प्रतिनिधित्व कर रहे 150 खिलाड़ियों में इकलौती खिलाड़ी हैं, जिन्होंने दो गोल्ड मेडल जीते हैं और इसी के साथ यह मुकाम हासिल करने वाली श्रुति छत्तीसगढ़ से पहली शूटर बन गई हैं. श्रुति ने भारत की ओर से 10 मीटर एयर पिस्टल और 25 मीटर स्पोर्ट्स पिस्टल गेम में गोल्ड मेडल जीता है.

'गोल्डन गर्ल' श्रुति यादव की कहानी उनकी जुबानी

दो गोल्ड मेडल जीते
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीतने वाली छत्तीसगढ़ की 'गोल्डन गर्ल' श्रुति यादव ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि शुरू से ही उनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने का सपना रहा है. इस सपने को हासिल करने के लिए उन्होंने दिन रात मेहनत की है. इस सपने को पूरा करने में परिवार और दोस्तों के साथ ऑफिस के कलीग्स ने भी उनका पूरा साथ दिया. उन्होंने बताया कि शूटिंग इवेंट में लगभग 20 देश भाग ले रहे थे. श्रुति वहां 2 इवेंट्स 10 मीटर एयर पिस्टल और 25 मीटर स्पोर्ट्स पिस्टल के प्रतियोगिता में भाग लेने गई थी और दोनों ही इवेंट में उन्होंने ही गोल्ड मेडल जीते.

इन्हें मानती हैं इंस्पिरेशन

shruti yadav
अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडलिस्ट शूटर श्रुति यादव
श्रुति ने बताया कि उनका यह पहला अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला था, इसलिए मन में एक डर था कि वह अपने देश के लिए मेडल जीत पाएंगी या नहीं. उन्होंने बाताया कि अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग, विजय कुमार, राज्यवर्धन सिंह राठौर जैसे ओलंपिक विजेताओं को अपना इंस्पिरेशन मानती हैं. श्रुति कहती हैं कि इन लोगों की कामयाबी को देखकर हर आम प्लेयर को एक हौसला मिलता है. इंटरनेशनल प्लेयर बनना और वहां जाकर गोल्ड जीतने का सफर हमेशा बाधाओं से भरा रहता है.

उतार-चढ़ाव भरी रही जिंदगी
श्रुति ने बताया कि जब 2016 में वह प्री नेशनल की तैयारी कर रही थी तब उन्हें डेंगू हो गया था, जिसकी वजह से वो प्री नेशनल्स नहीं खेल पाई थी. इसके बाद उन्होंने अपने जॉब पर ध्यान केंद्रित कर दिया. इसके 2-3 महीने बाद उन्हें बुखार हुआ और डॉक्टर्स की गलत दवाइयों की वजह से उन्हें स्टीवन जॉनसन सिंड्रोम बीमारी हो गई. श्रुति ने बताया कि इस बीमारी से उनका शरीर काला पड़ गया था और आंखों की रोशनी चली गई थी. इसके बाद श्रुति की आंखों का ऑपरेशन हुआ जो सफल रहा.

कभी नहीं मानी हार
इतना सब कुछ होने के बाद भी श्रुति ने हार नहीं मानी और जुलाई 2017 में दुबारा प्रैक्टिस शुरू कर दी. वे फिर से स्टेट और इसके बाद नेशनल चैंपियन बनी. इसके बाद श्रुति आगे बढ़ती गई और आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीतकर कोरबा और छत्तीसगढ़ के साथ पूरे देश का नाम रोशन किया है.

ओलंपिक्स में गोल्ड जीतने का लक्ष्य
उन्होंने बताया कि अब उनका अगला ध्यान जापान के कांसाई में 2021 में होने वाले वर्ल्ड चैंपियनशिप पर है. इसके लिए वो अभी देश के अलग-अलग जगहों पर हो रहे इवेंट्स में भाग लेंगी. उनका कहना है कि अब हर अंतरराष्ट्रीय इवेंट में उन्हें भाग लेना है, क्योंकि उनका अंतिम लक्ष्य पेरिस 2024 के ओलंपिक्स में गोल्ड जीतने का है.

प्राथमिकता को समझें
श्रुति यादव ने भविष्य में शूटिंग और अन्य स्पोर्ट्स में अपना करियर बनाने के इच्छुक लोगों के लिए संदेश दिया है कि जॉब, परिवार और खेल तीनों पर एक साथ ध्यान दिया जा सकता है. किसी भी पड़ाव को हासिल करने के लिए समय का पाबंद होना और प्राथमिकताओं को समझना जरूरी है.

Intro:EXCLUSIVE
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीतने वाली छत्तीसगढ़ की गोल्डन गर्ल श्रुति यादव ने ETV भारत से खास बातचीत की। हाल ही में इटली में संपन्न हुए यूरोपियन मास्टर गेम्स में श्रुति ने दो गोल्ड मेडल जीते हैं। श्रुति यादव यह मुकाम हासिल करने वाली छत्तीसगढ़ से पहली शूटर बन गई हैं। श्रुति यादव भारत का अलग अलग खेलों में प्रतिनिधित्व कर रहे 150 खिलाड़ियों में इकलौती खिलाड़ी हैं जिन्होंने दो गोल्ड मेडल जीते हैं।


Body:श्रुति यादव ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना उनका शुरू से सपना रहा है। उन्होंने बताया कि इस सपने को हासिल करने के लिए उन्होंने दिन रात मेहनत की। उनके शूटिंग इवेंट में लगभग 20 देश भाग ले रहे थे। श्रुति वहां 2 इवेंट्स 10 मीटर एयर पिस्टल और 25 मीटर स्पोर्ट्स पिस्टल के प्रतियोगिता में भाग लेने गई थी और दोनों ही इवेंट में उन्होंने ही गोल्ड मेडल जीते।
श्रुति ने बताया कि उनका यह पहला अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला था, इसलिए मन में एक डर था कि वह अपने देश के लिए मेडल जीत पाएंगी या नहीं। लेकिन उन्होंने बताया कि इस इवेंट के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी, जिसमें परिवार और दोस्तों के साथ आफिस के कलीग्स का भी अच्छा सपोर्ट मिला।
श्रुति यादव ने बताया कि अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग, विजय कुमार, राज्यवर्धन सिंह राठौर जैसे ओलंपिक विजेताओं को अपना इंस्पिरेशन मानती हैं। श्रुति का कहना है कि इन लोगों की कामयाबी को देखकर हराम प्लेयर को एक हौसला मिलता है।
इंटरनेशनल प्लेयर बनना और वहां जाकर गोल्ड जीतने का सफर हमेशा व्यवधानों से भरा रहता है। श्रुति के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ था। श्रुति ने बताया कि जब 2016 में वह प्री नेशनल्स की तैयारी कर रही थी तब उन्हें डेंगू हो गया था। जिसके बाद वो प्री नेशनल्स नहीं खेल पाई। जिसके बाद उन्होंने अपने जॉब पर ध्यान केंद्रित कर दिया। इसके 2-3 महीने बाद उन्हें बुखार हुआ और डॉक्टर्स के गलत दवाइयों के वजह से उन्हें स्टीवन जॉनसन सिंड्रोम बीमारी हो गई। श्रुति ने बताया कि इस बीमारी से उनके शरीर काले पड़ गए थे और आंखों की रोशनी चली गई थी। इसके बाद श्रुति के आंखों का आपरेशन हुआ जिसके बाद श्रुति की तबियत ठीक हुई। लेकिन विजेता कभी हार नहीं मानते और श्रुति ने भी बिना हार माने उन्होंने जुलाई 2017 में दुबारा प्रैक्टिस शुरू की और फिर एक के बाद एक स्टेट और फिर नेशनल चैंपियन बनी। इसके बाद श्रुति आगे बढ़ती गई और आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीतकर कोरबा और छत्तीसगढ़ के साथ पूरे देश का नाम रोशन किया है।
श्रुति यादव ने बताया कि अब उनका अगला ध्यान जापान के कांसाई में 2021 में होने वाले वर्ल्ड चैंपियनशिप पर है। इसके लिए श्रुति अभी लगातार देश के अलग अलग जगहों पर इवेंट्स में भाग लेंगी। श्रुति ने बताया कि अब हर अंतरराष्ट्रीय इवेंट में उन्हें भाग लेना है क्योंकि उनका अंतिम लक्ष्य पेरिस 2024 के ओलंपिक्स में गोल्ड जीतने का है।


Conclusion:श्रुति यादव ने भविष्य में शूटिंग और अन्य स्पोर्ट्स में अपना करियर बनाने वालों के लिए संदेश दिया है कि जॉब, परिवार और खेल तीनों पर एक साथ ध्यान दिया जा सकता है। किसी भी पड़ाव को हासिल करने के लिए समय का पाबन्द होना और प्राथमिकताओं को समझना जरूरी है।
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