कोरबा: जिले के कोतवाली थाना परिसर में स्थापित पुलिस आवास की जर्जर स्थिति के मुद्दे को ETV भारत ने प्रमुखता से उठाया था. खबर का जिले में बड़ा असर हुआ है. उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही पुलिस आवास की सूरत बदलेगी. खबर दिखाए जाने के बाद जिले की कलेक्टर रानू साहू (Korba Collector Ranu Sahu ) ने इसे संज्ञान में लेकर शुक्रवार की शाम कोतवाली के साथ ही पुलिस आवासों का दौरा किया. कलेक्टर ने कहा कि यह सभी आवास कंडम घोषित हो चुके हैं. निगमायुक्त को निर्देशित किया गया है, जल्द ही इंजीनियरों की टीम भेजकर प्रस्ताव तैयार करेंगे और इसे शासन को भेजा जाएगा.
पुलिस आवास के बदलेंगे दिन
कोतवाली थाना परिसर में मौजूद पुलिस आवास दशकों पहले पुलिस कर्मियों के लिए बनाया गया था. वर्तमान में यह कंडम घोषित हो चुका है. बावजूद इसके पुलिसकर्मी यहां निवास करते हैं. कई बार प्रस्ताव बने लेकिन बात नहीं बन सकी. इस बार उम्मीद तब जागी है, जब कलेक्टर ने स्वयं इन आवासों का जायजा लिया और प्रस्ताव तैयार करने की बात कही. लगभग एक दशक पहले तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अमरेश मिश्रा के कार्यकाल में भी आवासों के कायाकल्प की शुरुआत हुई थी. प्रस्ताव बना था लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी थी.
कोरबा कलेक्टर रानू साहू ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि' परिसर का निरीक्षण किया गया. आवास कंडम घोषित हो चुके हैं. निगमायुक्त को निर्देशित किया गया है. आवासों का प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा गया है. जिसे शासन को भेजा जाएगा. इसके बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी'.
पुलिस हाउसिंग सोसायटी और सरकार के बीच पेंच
पुलिस आवास का निर्माण पुलिस हाउसिंग सोसायटी (Police Housing Society ) की तरफ से कराया गया था. नियमत: सोसायटी के माध्यम से ही आवासों का निर्माण किया जा सकता है. इसे लेकर भी पेंच फंसा हुआ है. जिले में DMF का भारी-भरकम फंड मौजूद है. लेकिन डीएमएफ मद से नए कॉलोनी के निर्माण का कोई प्रावधान नहीं है. जिसके बाद अब कलेक्टर स्तर से शासन को प्रस्ताव भेजे जाने की बात हो रही है. जिससे एक नई उम्मीद की किरण दिखी है.
कोरबा की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी और उनके परिवार क्यों जानलेवा घरों में रहने को हैं मजबूर ?
जर्जर आवासों में रहते हैं 60 पुलिस परिवार
कोरबा के कोतवाली परिसर में 60 पुलिसकर्मियों का परिवार रहता है. कोतवाली परिसर में पुलिस आवास की हालत किसी से छिपी नहीं है. बावजूद इसके पुलिस विभाग शायद किसी हादसे के इंतजार में है. तभी इन परिवारों को नया आवास मिल पाएगा. कोतवाली परिसर में दशकों पहले पुलिस क्वॉर्टर्स बनाए गए. जिसके बाद 60 परिवार यहां आकर बसे. उसके बाद से इन आवासों को भूले-बिसरे भी कभी मरम्मत नहीं किया गया. कब किस छत के छज्जे का प्लास्टर टूट कर गिर जाए. इसका कोई भरोसा नहीं है. बीच-बीच में पुलिसकर्मी अपने निजी खर्च से अपने-अपने घरों की मरम्मत करवाते रहते हैं. कुछ घर तो ऐसे हैं जिनकी छत से पानी टपकता है. घर के बच्चे बर्तन में छत से टपकते हुए पानी को भरते हैं और उसे बाहर फेंकते हैं.
तत्कालीन सांसद ने 6 साल पहले लिखा था पत्र
पुलिस आवास गृह (police residence) की जर्जर अवस्था को देखकर तत्कालीन भाजपा सांसद डॉ बंशीलाल महतो (EX BJP MP Dr Banshilal Mahto) ने पुलिस विभाग के महानिदेशक को पत्र लिखा था. उन्होंने इसके पहले मुख्यमंत्री सचिवालय को भी पत्र लिखकर आवास गृहों के निर्माण करने की मांग की थी.