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DOCTOR'S DAY: वो डॉक्टर, जिसने छत्तीसगढ़ के पहले कोरोना हॉट स्पॉट में संक्रमण रोकने में बड़ी भूमिका निभाई

कोरबा में कोरोना का हॉटस्पॉट बने कटघोरा में स्थिति को नियंत्रण में लाने और कम्युनिटी स्प्रैड को रोकने में कटघोरा के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर रुद्र पाल सिंह कंवर की अहम भूमिका रही. ETV भारत ने उनसे खास बातचीत की और अपना अनुभव बताया.

doctor rudra pal singh
डॉक्टर डे पर डॉक्टर्स को नमन
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Published : Jul 1, 2020, 6:48 PM IST

Updated : Jul 1, 2020, 8:05 PM IST

कोरबा: छत्तीसगढ़ का पहला कोरोना हॉटस्पॉट कटघोरा अब सामान्य होने की तरफ बढ़ रहा है. वर्तमान में यहां पिछले डेढ़ महीने से कोई भी पॉजिटिव मरीज नहीं मिला है. जो पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं, वह क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखे गए प्रवासी मजदूर हैं. जिला प्रशासन के मुताबिक कटघोरा में कोरोना संक्रमण को नियंत्रण करना आसान नहीं था.

डॉक्टर डे पर डॉक्टर्स को नमन

यहां कोरोना से जंग में सबसे अहम भूमिका निभाई कटघोरा के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर रूद्र पाल सिंह कंवर ने, जिन्होंने डॉक्टर्स डे के दिन पर ETV भारत से अपने अनुभव साझा किए.

कटघोरा बना था कोरोना हॉटस्पॉट

कटघोरा के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर कंवर कहते हैं कि जब कटघोरा हॉटस्पॉट बना, तब प्रदेश के लिए कोरोना वायरस एकदम नया था. तब हम विदेश से लौटे लोगों को ही क्वॉरेंटाइन में रख कर उनकी सैंपलिंग कर रहे थे. फिर एकदम से पता चला कि कुछ जमाती कटघोरा में आकर ठहरे हुए हैं. जिसके बाद कोरोना पॉजिटिव मरीजों के मिलने का सिलसिला शुरू हुआ. एक के बाद एक 28 मरीज कटघोरा में मिले, जो कि प्रदेश में सर्वाधिक था. देखते ही देखते कटघोरा कोरोना हॉटस्पॉट बन गया.

'कटघोरा में कम्युनिटी स्प्रेड नहीं होने दिया'

डॉक्टर ने बताया कि ये चुनौती तो थी, लेकिन वे बिना डरे डटे रहे. फिर चाहे वह पुलिस प्रशासन हो या सरकारी अमले के अन्य अधिकारी. सभी ने आगे आकर पूरी हिम्मत से काम लिया और आज परिणाम सबके सामने है. उन्होंने कहा कि कटघोरा में कम्युनिटी स्प्रेड नहीं होने दिया. यह सबसे बड़ी उपलब्धि रही. वर्तमान में कटघोरा में पिछले डेढ़ महीने से कोई भी पॉजिटिव मरीज नहीं मिला है. जो मरीज मिल रहे हैं, वह क्वॉरेंटाइन सेंटरों में रह रहे प्रवासी मजदूर हैं.

'टीमवर्क से सब हो पाया संभव'

डॉक्टर कंवर ने आगे बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने रात को 3-3 बजे तक मरीजों को शिफ्ट किया है. कई शर्ट्स सैनिटाइजर से खराब हो गए. हालांकि ये कोई समस्या नहीं थी, क्योंकि सभी में अपनी जिम्मेदारी निभाने का जुनून था. सभी पूरे जज्बे के साथ काम कर रहे थे. रात को 3 बजे मरीजों को शिफ्ट करने के बाद सभी स्वास्थ्यकर्मी नहा-धोकर रेस्ट हाउस में सो जाते थे, घर भी नहीं जा पाते थे. एंबुलेंस भी समय पर मिल जाती थी. पूरा अमला काम कर रहा था, यह किसी एक के बस की बात नहीं थी. टीमवर्क से यह संभव हो पाया.

पढ़ें- कोरबा : कोरोना से जंग जीत चुके 15 लोगों ने प्लाज्मा डोनेट करने की जताई इच्छा

डॉक्टर कंवर ने बताया कि कोरोना का संक्रमण का खतरा अब भी बना हुआ है. इस दौरान सबसे बड़ी चुनौती थी कि हॉटस्पॉट में लोगों के साथ ही खुद को और परिवार को भी संक्रमण से बचाना है. जिसमें पूरी स्वास्थ्य टीम काफी हद तक सफल रही.

कोरबा: छत्तीसगढ़ का पहला कोरोना हॉटस्पॉट कटघोरा अब सामान्य होने की तरफ बढ़ रहा है. वर्तमान में यहां पिछले डेढ़ महीने से कोई भी पॉजिटिव मरीज नहीं मिला है. जो पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं, वह क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखे गए प्रवासी मजदूर हैं. जिला प्रशासन के मुताबिक कटघोरा में कोरोना संक्रमण को नियंत्रण करना आसान नहीं था.

डॉक्टर डे पर डॉक्टर्स को नमन

यहां कोरोना से जंग में सबसे अहम भूमिका निभाई कटघोरा के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर रूद्र पाल सिंह कंवर ने, जिन्होंने डॉक्टर्स डे के दिन पर ETV भारत से अपने अनुभव साझा किए.

कटघोरा बना था कोरोना हॉटस्पॉट

कटघोरा के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर कंवर कहते हैं कि जब कटघोरा हॉटस्पॉट बना, तब प्रदेश के लिए कोरोना वायरस एकदम नया था. तब हम विदेश से लौटे लोगों को ही क्वॉरेंटाइन में रख कर उनकी सैंपलिंग कर रहे थे. फिर एकदम से पता चला कि कुछ जमाती कटघोरा में आकर ठहरे हुए हैं. जिसके बाद कोरोना पॉजिटिव मरीजों के मिलने का सिलसिला शुरू हुआ. एक के बाद एक 28 मरीज कटघोरा में मिले, जो कि प्रदेश में सर्वाधिक था. देखते ही देखते कटघोरा कोरोना हॉटस्पॉट बन गया.

'कटघोरा में कम्युनिटी स्प्रेड नहीं होने दिया'

डॉक्टर ने बताया कि ये चुनौती तो थी, लेकिन वे बिना डरे डटे रहे. फिर चाहे वह पुलिस प्रशासन हो या सरकारी अमले के अन्य अधिकारी. सभी ने आगे आकर पूरी हिम्मत से काम लिया और आज परिणाम सबके सामने है. उन्होंने कहा कि कटघोरा में कम्युनिटी स्प्रेड नहीं होने दिया. यह सबसे बड़ी उपलब्धि रही. वर्तमान में कटघोरा में पिछले डेढ़ महीने से कोई भी पॉजिटिव मरीज नहीं मिला है. जो मरीज मिल रहे हैं, वह क्वॉरेंटाइन सेंटरों में रह रहे प्रवासी मजदूर हैं.

'टीमवर्क से सब हो पाया संभव'

डॉक्टर कंवर ने आगे बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने रात को 3-3 बजे तक मरीजों को शिफ्ट किया है. कई शर्ट्स सैनिटाइजर से खराब हो गए. हालांकि ये कोई समस्या नहीं थी, क्योंकि सभी में अपनी जिम्मेदारी निभाने का जुनून था. सभी पूरे जज्बे के साथ काम कर रहे थे. रात को 3 बजे मरीजों को शिफ्ट करने के बाद सभी स्वास्थ्यकर्मी नहा-धोकर रेस्ट हाउस में सो जाते थे, घर भी नहीं जा पाते थे. एंबुलेंस भी समय पर मिल जाती थी. पूरा अमला काम कर रहा था, यह किसी एक के बस की बात नहीं थी. टीमवर्क से यह संभव हो पाया.

पढ़ें- कोरबा : कोरोना से जंग जीत चुके 15 लोगों ने प्लाज्मा डोनेट करने की जताई इच्छा

डॉक्टर कंवर ने बताया कि कोरोना का संक्रमण का खतरा अब भी बना हुआ है. इस दौरान सबसे बड़ी चुनौती थी कि हॉटस्पॉट में लोगों के साथ ही खुद को और परिवार को भी संक्रमण से बचाना है. जिसमें पूरी स्वास्थ्य टीम काफी हद तक सफल रही.

Last Updated : Jul 1, 2020, 8:05 PM IST
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