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कोरबा में डिजास्टर से निपटने को आपदा विभाग ने की टेस्टिंग, 35 गोताखोरों की तैनाती

कोरबा में डिजास्टर से निपटने के लिए आपदा विभाग (Disaster Department) ने टेस्टिंग किया है. 35 गोताखोरों की तैनाती भी कर दिया है. बारिश आने से पहले प्रशासन ने 25 पुनर्वास केंद्रों के लिए स्थान भी आरक्षित कर लिया है.

नगर सेना
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Published : Jun 25, 2022, 9:51 PM IST

Updated : Jun 25, 2022, 10:52 PM IST

कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा में बारिश शुरु होने से पहले बाढ़ और इससे उपजी आपदा के परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. नगर सेना के आपदा प्रबंधन टीम ने मानिकपुर पोखरी में बाढ़ प्रबंधन के लिए उपकरणों की टेस्टिंग किया है. गोताखोरों को पानी में उतार कर उनकी क्षमता का आकलन करने के साथ ही मोटर बोट को भी चला कर देखा गया. वैसे तो जिले में 35 गोताखोरों की तैनाती गई है.

आपदा विभाग ने की टेस्टिंग

दरअसल जिले में हसदेव नदी का फैलाव है. बारिश अधिक होने पर जब बांगो और दर्री बांध के गेट खुलते हैं. तब निचली बस्तियों में कई बार विपरीत परिस्थितियां निर्मित होती हैं. पिछले साल भी एक युवक ढेंगुरनाला में फंस गया था. जिसे निकालने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी.

यह भी पढ़ें: बिलासपुर से जांजगीर चांपा पहुंचा ब्रेव बॉय राहुल साहू, लोगों ने ऐसे किया स्वागत

2 जवान महाराष्ट्र से ट्रेनिंग लेकर लौटे: आपदा और बाढ़ की परिस्थितियों में नगर सेना के जवान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. जिनके पास बाढ़ से निपटने के लिए सभी उपकरण मौजूद होते हैं. डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट बीपी सिदार ने बताया कि "हाल ही में हमारे दो जवान महाराष्ट्र से बाढ़ के हालातों से निपटने की ट्रेनिंग लेकर लौटे हैं. जबकि शेष जवानों को रायपुर में विशेषज्ञों द्वारा ट्रेनिंग दी गई है. हमारे पास वर्तमान में कुल मिलाकर 35 गोताखोरों की मौजूद है. जोकि जिला स्तर पर किसी भी तरह की परिस्थितियों से निपटने के लिए सक्षम हैं.

मानिकपुर पोखरी में बोट का किया टेस्ट: नगर सेना के जवानों ने मानसून के आने से पहले मोटर बोट की टेस्टिंग भी की. तैयारियां लगातार जारी हैं. शहर से लगे हुए मानिकपुर कोयला खदान के समीप एक बड़ा जलाशय है. जिसे मानिकपुर पोखरी के नाम से ही जाना जाता है. यहां पर्याप्त मात्रा में जलराशि मौजूद है. जवानों ने यहां अपनी मोटर बोट को पानी में उतार कर इसकी सफल टेस्टिंग पूरी की. इस दौरान मोटरबोट को दूर तक चला कर देखा गया. यह भी जांच की गई की मोटर बोट कितनी दूरी तक का सफर तय कर पाने में सक्षम है. एक बार में यह कितने लोगों का भार उठा सकता है.

इन गांवों में रहता है बाढ़ का खतरा: खास तौर पर हसदेव नदी के किनारे बसी निचली बस्तियों में अधिक बरसात होने पर बाढ़ का खतरा रहता है. जिसे देखते हुए प्रशासन ने अलर्ट भी जारी किया है. मुख्य तौर पर ढेंगुरनाला, बेलगरी बस्ती, सीतामढ़ी से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में चारपारा, बलरामपुर, भलपरी, जोगीपाली, कोहड़िया, राताखार, गेरवा घाट जैसे कई इलाकों को ज्यादा बरसात होने पर सतर्क रहने को कहा गया है.

25 पुनर्वास केंद्रों के लिए स्थान आरक्षित: बारिश आने से पहले प्रशासन ने 25 पुनर्वास केंद्रों के लिए स्थान भी आरक्षित किए हैं. बाढ़ के हालात निर्मित होने पर बाढ़ प्रभावित लोगों को यहां ठहराया जाता है. जिनमें से नगर निगम क्षेत्र में 11, करतला तहसील में 7, पोड़ीउपरोड़ा अनुभाग में 1, तो कटघोरा में 6 पुनर्वास केंद्रों को चिह्नित कर प्रभारी अधिकारियों की ड्यूटी भी लगाई गई है.

कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा में बारिश शुरु होने से पहले बाढ़ और इससे उपजी आपदा के परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. नगर सेना के आपदा प्रबंधन टीम ने मानिकपुर पोखरी में बाढ़ प्रबंधन के लिए उपकरणों की टेस्टिंग किया है. गोताखोरों को पानी में उतार कर उनकी क्षमता का आकलन करने के साथ ही मोटर बोट को भी चला कर देखा गया. वैसे तो जिले में 35 गोताखोरों की तैनाती गई है.

आपदा विभाग ने की टेस्टिंग

दरअसल जिले में हसदेव नदी का फैलाव है. बारिश अधिक होने पर जब बांगो और दर्री बांध के गेट खुलते हैं. तब निचली बस्तियों में कई बार विपरीत परिस्थितियां निर्मित होती हैं. पिछले साल भी एक युवक ढेंगुरनाला में फंस गया था. जिसे निकालने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी.

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2 जवान महाराष्ट्र से ट्रेनिंग लेकर लौटे: आपदा और बाढ़ की परिस्थितियों में नगर सेना के जवान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. जिनके पास बाढ़ से निपटने के लिए सभी उपकरण मौजूद होते हैं. डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट बीपी सिदार ने बताया कि "हाल ही में हमारे दो जवान महाराष्ट्र से बाढ़ के हालातों से निपटने की ट्रेनिंग लेकर लौटे हैं. जबकि शेष जवानों को रायपुर में विशेषज्ञों द्वारा ट्रेनिंग दी गई है. हमारे पास वर्तमान में कुल मिलाकर 35 गोताखोरों की मौजूद है. जोकि जिला स्तर पर किसी भी तरह की परिस्थितियों से निपटने के लिए सक्षम हैं.

मानिकपुर पोखरी में बोट का किया टेस्ट: नगर सेना के जवानों ने मानसून के आने से पहले मोटर बोट की टेस्टिंग भी की. तैयारियां लगातार जारी हैं. शहर से लगे हुए मानिकपुर कोयला खदान के समीप एक बड़ा जलाशय है. जिसे मानिकपुर पोखरी के नाम से ही जाना जाता है. यहां पर्याप्त मात्रा में जलराशि मौजूद है. जवानों ने यहां अपनी मोटर बोट को पानी में उतार कर इसकी सफल टेस्टिंग पूरी की. इस दौरान मोटरबोट को दूर तक चला कर देखा गया. यह भी जांच की गई की मोटर बोट कितनी दूरी तक का सफर तय कर पाने में सक्षम है. एक बार में यह कितने लोगों का भार उठा सकता है.

इन गांवों में रहता है बाढ़ का खतरा: खास तौर पर हसदेव नदी के किनारे बसी निचली बस्तियों में अधिक बरसात होने पर बाढ़ का खतरा रहता है. जिसे देखते हुए प्रशासन ने अलर्ट भी जारी किया है. मुख्य तौर पर ढेंगुरनाला, बेलगरी बस्ती, सीतामढ़ी से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में चारपारा, बलरामपुर, भलपरी, जोगीपाली, कोहड़िया, राताखार, गेरवा घाट जैसे कई इलाकों को ज्यादा बरसात होने पर सतर्क रहने को कहा गया है.

25 पुनर्वास केंद्रों के लिए स्थान आरक्षित: बारिश आने से पहले प्रशासन ने 25 पुनर्वास केंद्रों के लिए स्थान भी आरक्षित किए हैं. बाढ़ के हालात निर्मित होने पर बाढ़ प्रभावित लोगों को यहां ठहराया जाता है. जिनमें से नगर निगम क्षेत्र में 11, करतला तहसील में 7, पोड़ीउपरोड़ा अनुभाग में 1, तो कटघोरा में 6 पुनर्वास केंद्रों को चिह्नित कर प्रभारी अधिकारियों की ड्यूटी भी लगाई गई है.

Last Updated : Jun 25, 2022, 10:52 PM IST
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