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जागो ग्राहक जागो : बाजारवाद के इस दौर में सही जानकारी से ही मिलेंगे अधिकार

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के मौके पर बाजारबाद सहित असली-नकली वस्तुओं की पहचान में फर्क संबंधी जानकारी के लिए विस्तार से पढ़िए पूरी खबर..

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जागो ग्राहक जागो
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Published : Mar 14, 2022, 10:31 PM IST

Updated : Mar 15, 2022, 8:42 AM IST

कोरबा: बाजारवाद के इस दौर में नकली और असली के बीच फर्क करना काफी मुश्किल हो जाता है. लुभावने विज्ञापन के फेर में पड़कर ग्राहक अपने अधिकारों के प्रति सजग नहीं होने के कारण ठगी का शिकार हो जाते हैं. और तो और वह अपना हक और ठगी के बदले उचित हर्जाना प्राप्त करने से भी तब वंचित रह जाते हैं. जब उन्हें उपभोक्ताओं के अधिकारों के विषय मे ठीक-ठीक जानकारी ही नहीं होती. उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए ही प्रत्येक वर्ष 15 मार्च को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है.

इस बार उपभोक्ता दिवस पर हम आपको बताएंगे कि किसी दुकानदार या कंपनी अगर आपको ठगा रही है या किसी भी वस्तु को खरीदने के बाद आप सेवा में कमी पाते हैं या अपने अधिकारों से वंचित हो जा रहे हैं, तब आपको क्या करना चाहिए. ऐसी परिस्थिति में जिला उपभोक्ता फोरम आपकी सहायता कर सकता है.

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस

ऑनलाइन भी कर सकते हैं शिकायत दर्ज

इस विषय में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष चंद्र कुमार अजगल्ले ने उपभोक्ताओं के अधिकारियों को लेकर ईटीवी भारत को महत्वपूर्ण जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आजकल तो उपभोक्ताओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज की जा रही है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि शिकायत करने के बाद किसी उपभोक्ता को तत्काल न्याय मिल जाएगा. सुनवाई के दौरान उन्हें न्यायालय में उपस्थित होना अनिवार्य है. कई बार लोग आवेदन में यह गलती करते हैं कि जहां से उन्होंने सामान खरीदा है. उस दुकानदार को ही पार्टी बना देते हैं जबकि दुकानदार केवल एक माध्यम होता है. असली पार्टी वस्तु का निर्माण करने वाली कंपनी होती है. उदाहरण के तौर पर यदि किसी कंपनी का मोबाइल खरीदा जा रहा है तो मोबाइल बेचने वाला दुकानदार पार्टी नहीं होगा. बल्कि मोबाइल का निर्माण करने वाली निर्माता कंपनी मोबाइल के गुणवत्ता के लिए जवाबदेह होगी. लोगों को इन गलतियों से बचना होगा. यदि कोई दुकानदार बिल देने से इनकार करे तो यह भी व्यावसायीक कदाचरण की श्रेणी में आता है. उपभोक्ता इसकी शिकायत कर सकते हैं.

गलती से भी न करे ये गलती

कई बार लोग अहंकार में किसी से बदला लेने की नीयत से शिकायत करते हैं, लेकिन इस भावना के साथ की गई शिकायत को जागरूकता नहीं कही जा सकती. जागरूकता समाज में तब आएगी जब लोग अपने अधिकारों को पहचानेंगे और उसके लिए लड़ेंगे. आजकल यह भी कहते हैं कि उपभोक्ताओं के मामले में अध्यक्ष यह भी कहते हैं कि उपभोक्ता अपने अधिकार के विषय में उतने जागरूक नहीं हैं, पढ़े-लिखे लोग भी इस विषय में जागरूक नहीं हो पा रहे हैं. इस दिशा में काफी जागरूकता आनी अभी बाकी है. फिलहाल तो यह स्थिति है कि सेवा में कमी के लिए किसके विरुद्ध शिकायत की जानी है. उपभोक्ताओं को इसकी भी ठीक-ठाक जानकारी नहीं होती.

उपभोक्ताओं के लिए बने हैं विशेष न्यायालय

इस विषय में जिला अधिवक्ता संघ के सचिव नूतन सिंह ठाकुर कहते हैं कि हाल ही में उपभोक्ताओं के लिए 2019 में नए अधिनियम का निर्माण किया गया है, जिसमें उपभोक्ताओं को उनके अधिकार दिलवाने के लिए अमूलचूल परिवर्तन हुए हैं. भारत सरकार ने प्रत्येक जिले में जिला उपभोक्ता फोरम की व्यवस्था दी है. उपभोक्ताओं को यह नहीं देखना चाहिए कि नुकसान 100 रुपये का है, या फिर हजार या लाखों रुपए का. यदि उन्हें लगता है सेवा में कमी है और वो ठगी के शिकार हो रहे हैं तो उन्हें शिकायत करनी चाहिए.जिलों में उपभोक्ताओं के लिए विशेष न्यायालय बने हुए हैं. जहां उपभोक्ताओं को न सिर्फ सामान के एवज में खर्च की गई राशि मिलेगी, बल्कि सुनवाई और न्यायालय के चक्कर लगाने में उन्हें जो मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी है. इसका हर्जाना देने की भी व्यवस्था दी गई है. उपभोक्ताओं को सिर्फ अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना है और शिकायत करनी है. उपभोक्ता चाहे तो स्वयं भी शिकायत कर सकते हैं. प्रक्रिया बेहद आसान है, एक बेहद सामान्य आवेदन होता है. जो कि उपभोक्ता फोरम के कार्यालय में ही उपलब्ध हो जाएगा.

यह भी पढ़ें: दुर्ग में सेक्सटॉर्सन गिरोह का पर्दाफाश : वीडियो कॉल पर अश्लील वीडियो बना खाते में डलवाता था पैसे, हरियाणा का तीसरी पास आरोपी गिरफ्तार

शिकायत पर वसूला 13 लाख का हर्जाना

शहर के निवासी रामरतन शर्मा ने सहारा इंडिया में पैसे निवेश किये थे. 3 साल बाद कंपनी की ओर से वादे के अनुसार ब्याज की राशि सहित वापस मिलने थे, लेकिन मेच्योरिटी की अवधि पूर्ण होने के बाद भी उन्हें रकम नहीं मिली. रामरतन शर्मा कहते हैं कि जब वह कंपनी के दफ्तर अपने हक के पैसे मांगने जाते थे. तब उनसे दुर्व्यवहार भी किया गया. मेच्योरिटी पर रकम मिलने की उम्मीद में उन्होंने ब्याज पर पैसे लिए लेकिन इसे चुकता नहीं कर पाए और उन्हें घर भी बेचना पड़ गया. जिससे बच्चे की कॉलेज की फीस भी चुकता की. कंपनी के इस व्यवहार से व्यथित होकर मैंने उपभोक्ता फोरम में अपील की, 2 साल तक केस चला और मुझे 13 लाख रुपए का हर्जाना देने का आदेश पारित किया गया. उपभोक्ता फोरम जाने से मुझे लाभ मिला है. आदेश के बाद मुझे पैसे वापस मिल जाने की उम्मीद है. लोगों को अगर परेशानी है तो उन्हें उपभोक्ता फोरम में शिकायत करनी चाहिए.

कोरबा: बाजारवाद के इस दौर में नकली और असली के बीच फर्क करना काफी मुश्किल हो जाता है. लुभावने विज्ञापन के फेर में पड़कर ग्राहक अपने अधिकारों के प्रति सजग नहीं होने के कारण ठगी का शिकार हो जाते हैं. और तो और वह अपना हक और ठगी के बदले उचित हर्जाना प्राप्त करने से भी तब वंचित रह जाते हैं. जब उन्हें उपभोक्ताओं के अधिकारों के विषय मे ठीक-ठीक जानकारी ही नहीं होती. उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए ही प्रत्येक वर्ष 15 मार्च को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है.

इस बार उपभोक्ता दिवस पर हम आपको बताएंगे कि किसी दुकानदार या कंपनी अगर आपको ठगा रही है या किसी भी वस्तु को खरीदने के बाद आप सेवा में कमी पाते हैं या अपने अधिकारों से वंचित हो जा रहे हैं, तब आपको क्या करना चाहिए. ऐसी परिस्थिति में जिला उपभोक्ता फोरम आपकी सहायता कर सकता है.

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस

ऑनलाइन भी कर सकते हैं शिकायत दर्ज

इस विषय में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष चंद्र कुमार अजगल्ले ने उपभोक्ताओं के अधिकारियों को लेकर ईटीवी भारत को महत्वपूर्ण जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आजकल तो उपभोक्ताओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज की जा रही है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि शिकायत करने के बाद किसी उपभोक्ता को तत्काल न्याय मिल जाएगा. सुनवाई के दौरान उन्हें न्यायालय में उपस्थित होना अनिवार्य है. कई बार लोग आवेदन में यह गलती करते हैं कि जहां से उन्होंने सामान खरीदा है. उस दुकानदार को ही पार्टी बना देते हैं जबकि दुकानदार केवल एक माध्यम होता है. असली पार्टी वस्तु का निर्माण करने वाली कंपनी होती है. उदाहरण के तौर पर यदि किसी कंपनी का मोबाइल खरीदा जा रहा है तो मोबाइल बेचने वाला दुकानदार पार्टी नहीं होगा. बल्कि मोबाइल का निर्माण करने वाली निर्माता कंपनी मोबाइल के गुणवत्ता के लिए जवाबदेह होगी. लोगों को इन गलतियों से बचना होगा. यदि कोई दुकानदार बिल देने से इनकार करे तो यह भी व्यावसायीक कदाचरण की श्रेणी में आता है. उपभोक्ता इसकी शिकायत कर सकते हैं.

गलती से भी न करे ये गलती

कई बार लोग अहंकार में किसी से बदला लेने की नीयत से शिकायत करते हैं, लेकिन इस भावना के साथ की गई शिकायत को जागरूकता नहीं कही जा सकती. जागरूकता समाज में तब आएगी जब लोग अपने अधिकारों को पहचानेंगे और उसके लिए लड़ेंगे. आजकल यह भी कहते हैं कि उपभोक्ताओं के मामले में अध्यक्ष यह भी कहते हैं कि उपभोक्ता अपने अधिकार के विषय में उतने जागरूक नहीं हैं, पढ़े-लिखे लोग भी इस विषय में जागरूक नहीं हो पा रहे हैं. इस दिशा में काफी जागरूकता आनी अभी बाकी है. फिलहाल तो यह स्थिति है कि सेवा में कमी के लिए किसके विरुद्ध शिकायत की जानी है. उपभोक्ताओं को इसकी भी ठीक-ठाक जानकारी नहीं होती.

उपभोक्ताओं के लिए बने हैं विशेष न्यायालय

इस विषय में जिला अधिवक्ता संघ के सचिव नूतन सिंह ठाकुर कहते हैं कि हाल ही में उपभोक्ताओं के लिए 2019 में नए अधिनियम का निर्माण किया गया है, जिसमें उपभोक्ताओं को उनके अधिकार दिलवाने के लिए अमूलचूल परिवर्तन हुए हैं. भारत सरकार ने प्रत्येक जिले में जिला उपभोक्ता फोरम की व्यवस्था दी है. उपभोक्ताओं को यह नहीं देखना चाहिए कि नुकसान 100 रुपये का है, या फिर हजार या लाखों रुपए का. यदि उन्हें लगता है सेवा में कमी है और वो ठगी के शिकार हो रहे हैं तो उन्हें शिकायत करनी चाहिए.जिलों में उपभोक्ताओं के लिए विशेष न्यायालय बने हुए हैं. जहां उपभोक्ताओं को न सिर्फ सामान के एवज में खर्च की गई राशि मिलेगी, बल्कि सुनवाई और न्यायालय के चक्कर लगाने में उन्हें जो मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी है. इसका हर्जाना देने की भी व्यवस्था दी गई है. उपभोक्ताओं को सिर्फ अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना है और शिकायत करनी है. उपभोक्ता चाहे तो स्वयं भी शिकायत कर सकते हैं. प्रक्रिया बेहद आसान है, एक बेहद सामान्य आवेदन होता है. जो कि उपभोक्ता फोरम के कार्यालय में ही उपलब्ध हो जाएगा.

यह भी पढ़ें: दुर्ग में सेक्सटॉर्सन गिरोह का पर्दाफाश : वीडियो कॉल पर अश्लील वीडियो बना खाते में डलवाता था पैसे, हरियाणा का तीसरी पास आरोपी गिरफ्तार

शिकायत पर वसूला 13 लाख का हर्जाना

शहर के निवासी रामरतन शर्मा ने सहारा इंडिया में पैसे निवेश किये थे. 3 साल बाद कंपनी की ओर से वादे के अनुसार ब्याज की राशि सहित वापस मिलने थे, लेकिन मेच्योरिटी की अवधि पूर्ण होने के बाद भी उन्हें रकम नहीं मिली. रामरतन शर्मा कहते हैं कि जब वह कंपनी के दफ्तर अपने हक के पैसे मांगने जाते थे. तब उनसे दुर्व्यवहार भी किया गया. मेच्योरिटी पर रकम मिलने की उम्मीद में उन्होंने ब्याज पर पैसे लिए लेकिन इसे चुकता नहीं कर पाए और उन्हें घर भी बेचना पड़ गया. जिससे बच्चे की कॉलेज की फीस भी चुकता की. कंपनी के इस व्यवहार से व्यथित होकर मैंने उपभोक्ता फोरम में अपील की, 2 साल तक केस चला और मुझे 13 लाख रुपए का हर्जाना देने का आदेश पारित किया गया. उपभोक्ता फोरम जाने से मुझे लाभ मिला है. आदेश के बाद मुझे पैसे वापस मिल जाने की उम्मीद है. लोगों को अगर परेशानी है तो उन्हें उपभोक्ता फोरम में शिकायत करनी चाहिए.

Last Updated : Mar 15, 2022, 8:42 AM IST
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