कोरबा: राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक बुधवार को जिले के प्रवास पर रहीं. इस दौरान उन्होंने एक मामले की सुनवाई करते हुए असहाय महिला को भरण-पोषण के रूप में 10 हजार रुपये प्रतिमाह देने का आदेश दिया है. जिस महिला के पक्ष में आयोग ने यह फैसला दिया, वह पढ़ने लिखने में भी सक्षम नहीं है. आरोप था कि महिला को धोखे में रखकर उसके सौतेले बेटे ने कई दस्तावेजों पर अंगूठा लगवा लिए थे. इस फैसले ने असहाय महिला के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी.
दरअसल, एसईसीएल रजगामार में कार्यरत एसईसीएल कर्मी कुंज राम यादव ने रामबाई को चूड़ी पहना कर शादी की थी. छत्तीसगढ़ में इस रस्म से हुए विवाह को चूड़ियाही विवाह कहते हैं और जिससे यह विवाह हुआ हो उसे चूड़ियाही पत्नी के तौर पर मान्यता दी जाती है. रामबाई से विवाह के बाद कुंज राम चल बसे, महिला के सौतेले पुत्र बृजलाल यादव ने मुआवजा के साथ ही एसईसीएल में अनुकंपा नौकरी भी प्राप्त कर ली. कुछ दिन साथ रखने के बाद बृजलाल ने सौतेली मां को घर से निकाल दिया.
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समाज के अध्यक्ष ने की थी आयोग में शिकायत
रामबाई बेसहारा होकर दर-दर भटकने को विवश हो गई. तमाम शिकायतों के बाद भी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही थी. इस बीच यादव समाज के नेता राजा यादव ने उनकी शिकायत लिखी और महिला आयोग से इसकी शिकायत की. जिस पर सुनवाई करते हुए महिला आयोग ने बुधवार को फैसला सुनाया.
पहले गोलमोल जवाब देता रहा बृजलाल
सुनवाई शुरू हुई तब बृजलाल ने पहले तो कह दिया कि पिता ने रामबाई से विवाह नहीं किया था, एक नौकरानी के तौर पर उसे घर में रखा था. लेकिन आगे चलकर उसने फिर यह बात कही कि कुछ दिन वह साथ रहीं. जिसके बाद महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक भड़क उठीं और उन्होंने बृजलाल से दो टूक शब्दों में कहा कि 'फालतू की बात मत करो, वह पढ़ी-लिखी नहीं हैं, इसलिए तुम उसका हक मारोगे'
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प्रतिमाह भरण पोषण के लिए 10 रुपये देने का आदेश
जिसके बाद रामबाई के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आयोग ने बेटे को 10 हजार रुपये प्रतिमाह भरण पोषण के तौर पर देने का आदेश दिया. साथ ही साथ मौके पर मौजूद एएसपी कीर्तन राठौर और अपर कलेक्टर प्रियंका महोबिया को एक पत्र भी लिखा. 2 महीने के अंदर प्रकरण की रिपोर्ट आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा. आयोग की अध्यक्ष ने यह भी कहा कि जांच के बाद मुआवजा और जमीन जायदाद में से रामबाई को हिस्सा दिया जाना भी सुनिश्चित किया जाए.