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SPECIAL: 'साइकिल अच्छी होती तो मैं गोल्ड मेडल जरूर लाती' - कोरबा में साइकिलिस्ट दुर्गेश्वरी पटेल

कोरबा जिले के कटघोरा कसनिया गांव की दुर्गेश्वरी पटेल ने उत्तराखंड के हल्द्वानी में हुए नेशनल साइकिलिंग प्रतियोगिता में भाग लिया था और चौथा स्थान प्राप्त किया, लेकिन अच्छी साइकिल न होने की वजह से वह पहले या दूसरे स्थान पर नहीं आ पाई. दुर्गेश्वरी ने शासन-प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है ताकि वह राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर सके.

cyclist durgeshwari of korba  wants financial help from government to achive goals
दुर्गेश्वरी को है सरकार से मदद की आस
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Published : Feb 27, 2020, 12:03 AM IST

कोरबा: छत्तीसगढ़ में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जरूरत है तो बस इन प्रतिभाओं को ढूंढने की, इन्हें निखारने की और इनका हरसंभव मदद करने की. प्रदेश में ऐसे भी बच्चे हैं जो आर्थिक अभाव की वजह से अपना टैलेंट बाहर नहीं ला पाते और अगर किसी तरह उन्हें अपना जोनर दिखाने का मौका मिल भी जाए तो पर्याप्त संसाधन नहीं होने की वजह से पीछे रह जाते हैं.

दुर्गेश्वरी को है सरकार से मदद की आस

कोरबा जिले के कटघोरा कसनिया गांव की दुर्गेश्वरी पटेल की कहानी भी कुछ इसी तरह है. दुर्गेश्वरी बहुत अच्छी साइकिलिस्ट है, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से उसके पास अच्छी साइकिल नहीं है.

नेशनल साइकिलिंग प्रतियोगिता में चौथा स्थान

दुर्गेश्वरी ने उत्तराखंड के हल्द्वानी में हुए नेशनल साइकिलिंग प्रतियोगिता में भाग लिया था और चौथा स्थान प्राप्त किया. दुर्गेश्वरी का कहना है कि, 'साइकिल अच्छी होती तो मैं गोल्ड मेडल जरूर लाती.'

korba durgeshwari news
दुर्गेश्वरी पटेल का घर

एक तरफ सरकार खेलो इंडिया का नारा भी देती है और दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में खेल प्रतिभा छिपी रह जाती है. खासकर ग्रामीण अंचल के खिलाड़ियों को सरकार की योजनाओं का लाभ आसानी से नहीं मिल पाता.

durgeshwari cyclist korba
उत्तराखंड के हल्द्वानी में हुए नेशनल साइकिलिंग प्रतियोगिता में दुर्गेश्वरी

'बेटी की कोई कर दे मदद'

दुर्गेश्वरी की मां का कहना है कि, 'हम लोग बड़ी मुश्किल से साग-सब्जी बेचकर परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं, अगर सरकार या किसी अन्य संस्था हमारी बेटी को मदद देती है तो वह जरूर प्रदेश और देश का नाम रोशन करेगी.'

korba durgeshwari news
अपनी मां के साथ दुर्गेश्वरी

'शासन-प्रशासन ने नहीं दिया ध्यान'

दुर्गेश्वरी के साइकिलिंग कोच का कहना है कि, 'कटघोरा में 7-8 साल से साइकिलिंग के खिलाड़ी संस्था से कोचिंग ले रहे हैं, लेकिन सरकार से किसी भी खिलाड़ी को कभी मदद नहीं मिली और न ही किसी जिम्मेदार ने आज तक इस तरफ ध्यान दिया.'

कोच का कहना है कि, 'दुर्गेश्वरी बहुत ही मेहनती है. उसने उत्तराखंड में हुए नेशनल साइकिलिंग प्रतियोगिता में 40 किलोमीटर की रेस को एक घंटे दस मिनट में पूरा कर लिया, अगर उसके पास अच्छी साइकिल होती तो वह पहले या दूसरे स्थान पर जरूर आती.

korba durgeshwari news
दुर्गेश्वरी को है सरकार से मदद की आस

सोचने वाली बात यह है कि सरकार युवाओं के विकास के लाख दावे करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसकी सच्चाई कुछ और नजर आ रही है. शासन-प्रशासन को चाहिए कि प्रदेश के आखिरी छोर पर अभाव में जिंदगी जीने को मजबूर खिलाड़ियों की मदद करे, ताकि वो बेहतर प्रदर्शन कर प्रदेश और देश का मान बढ़ा सकें.

कोरबा: छत्तीसगढ़ में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जरूरत है तो बस इन प्रतिभाओं को ढूंढने की, इन्हें निखारने की और इनका हरसंभव मदद करने की. प्रदेश में ऐसे भी बच्चे हैं जो आर्थिक अभाव की वजह से अपना टैलेंट बाहर नहीं ला पाते और अगर किसी तरह उन्हें अपना जोनर दिखाने का मौका मिल भी जाए तो पर्याप्त संसाधन नहीं होने की वजह से पीछे रह जाते हैं.

दुर्गेश्वरी को है सरकार से मदद की आस

कोरबा जिले के कटघोरा कसनिया गांव की दुर्गेश्वरी पटेल की कहानी भी कुछ इसी तरह है. दुर्गेश्वरी बहुत अच्छी साइकिलिस्ट है, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से उसके पास अच्छी साइकिल नहीं है.

नेशनल साइकिलिंग प्रतियोगिता में चौथा स्थान

दुर्गेश्वरी ने उत्तराखंड के हल्द्वानी में हुए नेशनल साइकिलिंग प्रतियोगिता में भाग लिया था और चौथा स्थान प्राप्त किया. दुर्गेश्वरी का कहना है कि, 'साइकिल अच्छी होती तो मैं गोल्ड मेडल जरूर लाती.'

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दुर्गेश्वरी पटेल का घर

एक तरफ सरकार खेलो इंडिया का नारा भी देती है और दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में खेल प्रतिभा छिपी रह जाती है. खासकर ग्रामीण अंचल के खिलाड़ियों को सरकार की योजनाओं का लाभ आसानी से नहीं मिल पाता.

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उत्तराखंड के हल्द्वानी में हुए नेशनल साइकिलिंग प्रतियोगिता में दुर्गेश्वरी

'बेटी की कोई कर दे मदद'

दुर्गेश्वरी की मां का कहना है कि, 'हम लोग बड़ी मुश्किल से साग-सब्जी बेचकर परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं, अगर सरकार या किसी अन्य संस्था हमारी बेटी को मदद देती है तो वह जरूर प्रदेश और देश का नाम रोशन करेगी.'

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अपनी मां के साथ दुर्गेश्वरी

'शासन-प्रशासन ने नहीं दिया ध्यान'

दुर्गेश्वरी के साइकिलिंग कोच का कहना है कि, 'कटघोरा में 7-8 साल से साइकिलिंग के खिलाड़ी संस्था से कोचिंग ले रहे हैं, लेकिन सरकार से किसी भी खिलाड़ी को कभी मदद नहीं मिली और न ही किसी जिम्मेदार ने आज तक इस तरफ ध्यान दिया.'

कोच का कहना है कि, 'दुर्गेश्वरी बहुत ही मेहनती है. उसने उत्तराखंड में हुए नेशनल साइकिलिंग प्रतियोगिता में 40 किलोमीटर की रेस को एक घंटे दस मिनट में पूरा कर लिया, अगर उसके पास अच्छी साइकिल होती तो वह पहले या दूसरे स्थान पर जरूर आती.

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दुर्गेश्वरी को है सरकार से मदद की आस

सोचने वाली बात यह है कि सरकार युवाओं के विकास के लाख दावे करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसकी सच्चाई कुछ और नजर आ रही है. शासन-प्रशासन को चाहिए कि प्रदेश के आखिरी छोर पर अभाव में जिंदगी जीने को मजबूर खिलाड़ियों की मदद करे, ताकि वो बेहतर प्रदर्शन कर प्रदेश और देश का मान बढ़ा सकें.

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