कोरबा: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कोरबा दौरे पर थे. जहां सीएम भूपेश से मिलने के लिए सैकड़ों की तादाद में आदिवासी रैली निकालकर जा रहे थे. रैली में माकपा नेता भी शामिल थे. सभी सीएम भूपेश से ट्रैक्टर रैली के माध्यम से मिलने जा रहे थे. जिसे प्रशासन ने बीच रास्ते में रोक दिया. सीएम से मिलने नहीं देने पर माकपा नेताओं और किसानों के साथ आदिवासियों ने नाराजगी जताई है.
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माकपा नेताओं ने बताया कि वनाधिकार के सवाल पर वे मुख्यमंत्री से मिलने जा रहे थे. सीएम बघेल को अपनी बात कहकर उन्हें ज्ञापन सौंपना था, लेकिन प्रशासन ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया. किसी को भी मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया गया. इसे लेकर लोगों में काफी नाराजगी है. माकपा नेताओं का आरोप है कि मुख्यमंत्री के दौरे में शायद यह पहली बार हुआ है. जब किसी राजनैतिक पार्टी ने वनाधिकार के मुद्दे पर प्रदर्शन की घोषणा की हो. सैकड़ों आदिवासियों को बीच रास्ते में ही प्रशासन को बलपूर्वक रोकना पड़ा हो.
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माकपा नेता और किसानों में आक्रोश
माकपा ने कहा कि वनाधिकार के मुद्दे पर कोरबा में सरकारी दावों की पोल खुल गई है. जिलेभर में वन भूमि पर बसे आदिवासियों की बेदखली का अभियान चल रहा है. पुराने आवेदनों को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया है. नए आवेदन पत्र तो लिए ही नहीं जा रहे हैं. मुख्यमंत्री का अपने प्रशासन पर ही कोई नियंत्रण नहीं है. माकपा नेताओं ने वन भूमि से बेदखल लोगों को दोबारा काबिज कराने की मुहिम छेड़ने की घोषणा की है.
कई आदिवासियों को वन भूमि से किया गया बेदखल
कोरबा में लॉकडाउन के दौरान पाली के उड़ता गांव में वन भूमि पर काबिज आदिवासियों को बेदखल कर दिया गया था. रैनपुर में गलत तरीके से दावों को खारिज कर कब्जाधारियों को बेदखल करने का भी मामला सामने आया था. कोरबा निगम के क्षेत्र में वन भूमि पर बसे आदिवासियों को पट्टा देने के लिए तो प्रशासन तैयार ही नहीं है. इन्हीं मुद्दों को लेकर आदिवासी सीएम से मिलने जा रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उड़ाई जा रही धज्जियां
माकपा जिला सचिव प्रशांत झा का कहना है कि प्रशासन के रवैये से यह साफ जो चुका है. कम-से-कम वनाधिकार के सवाल पर कांग्रेस-भाजपा में कोई अंतर नहीं है. पिछली भाजपा सरकार की तरह ही कांग्रेस सरकार आदिवासियों के साथ कर रही है. उनका कहना है कि वनाधिकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और दिशा-निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है. कोरबा जिला प्रशासन और वन विभाग आदिवासियों की हक छीन रहा है.
बांकीमोंगरा में अस्पताल बनाने की मांग
छत्तीसगढ़ किसान सभा से जुड़े लगभग 50 गांव के 500 से अधिक किसान गंगानगर में एकत्रित हुए थे रैली शुरू होने से पहले गंगानगर में सभा भी हुई. सभा को माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, पार्षद राजकुमारी कंवर समेत कई नेताओं ने संबोधित किया. मुख्यमंत्री से एक प्रतिनिधिमंडल को भी मिलने नहीं दिया गया. माकपा नेताओं ने दीपका तहसीलदार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. बांकीमोंगरा में 50 बिस्तरों का अस्पताल और शासकीय कॉलेज खोलने समेत कई मांगें की.