कोरबा: जिला खनिज न्यास मद में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद शासन ने जिला प्रशासन को जांच के आदेश दिए हैं. इसमें एजुकेशन हब के नाम पर करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप है. इसकी जांच के लिए जिला प्रशासन ने एक जांच टीम गठित कर दी है. वहीं मामले में तत्कालीन सहायक आयुक्त श्रीकांत दुबे को मुख्य आरोपी बताया जा रहा है.
करोड़ों की गड़बड़ी का आरोप
दरअसल, एजुकेशन हब के निर्माण के दौरान वित्तीय गड़बड़ी की शिकायत मिली थी. जिसपर जिले के पूर्व सहायक आयुक्त बीआर बंजारे ने एक जांच रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट में श्रीकांत दुबे के खिलाफ करोड़ों की गड़बड़ी का आरोप है. खनिज न्यास मद की राशि का उपयोग विस्थापितों के लिए होना था, लेकिन इस राशि का बंदरबांट इस तरह हुआ कि अधिकांश काम औचित्यहीन हो गए हैं. वन विभाग को स्वास्थ्य केंद्र बनाने का जिम्मा दे दिया गया, जबकि वन विभाग के पास तकनीकी अमला ही नहीं है.
आदिवासी विभाग का भृत्य करोड़पति!
मामले में एक और बड़ा खुलास हुआ है. बताया जा रहा है, एजुकेशन हब में 90 बच्चे हैं जबकि खरीदी 700 के लिए हुई है. वहीं निर्माण से ज्यादा खर्च नवीनीकरण के लिए हुआ है. इस मद की राशि भू-विस्थापितों के हिस्से में आई ही नहीं है. बीआर बंजारे की रिपोर्ट में एक दिलचस्प तथ्य यह भी सामने आया कि आदिवासी विभाग का भृत्य भी करोड़पति है. मामले में निर्माण विभाग के लिपिक अरुण दुबे, भंडार शाखा के लेखापाल सुखदेव और आदित्य के पास करोड़ों की संपत्ति होने की बात सामने आई है.
तीन सदस्यीय जांच टीम गठित
मामले में जिला कलेक्टर किरण कौशल ने बताया कि शासन से बिंदुवार कई शिकायतें आई हैं. जिसमें जांच के आदेश मिले हैं. शासन के निर्देश पर तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की गई है. जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी और शासन को अग्रिम कार्रवाई के लिए अनुसंशित किया जाएगा.
तत्कालीन कलेक्टर पर भी आरोप
इधर, रामपुर विधायक ननकी राम कंवर ने कहा कि सिर्फ सहायक आयुक्त नहीं बल्कि तत्कालीन कलेक्टर भी मामले में दोषी हैं. उन्होंने कहा कि चाहे मंत्री हो या अधिकारी, भ्रष्टाचार में संलिप्त सभी को जेल होनी चाहिए.