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कोरबा में बढ़ते कोरोना संक्रमण का पुलिसिंग पर असर, FIR दर्ज होने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं - कोरोना से प्रभावित हो रहा पुलिस का काम

कोरोना संक्रमण (Corona infection) ने हर क्षेत्र और गतिविधि को प्रभावित किया है. संक्रमण का असर आम पुलिसिंग (Policing) पर भी पड़ा है. ऐसा केस भी सामने आया है कि एफआईआर होने पर भी गिरफ्तारी नहीं की गई है. इसका बड़ा कारण संक्रमण का डर और आरोपियों का कंटेनमेंट जोन में होना है.

Corona infection impacting policing in Korba
कोरबा में बढ़ते कोरोना संक्रमण का पुलिसिंग पर असर
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Published : May 3, 2021, 9:17 PM IST

Updated : May 4, 2021, 3:43 PM IST

कोरबा: कोरोना ने शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार के साथ कई गतिविधियों को काफी प्रभावित किया है. लोगों की आम दिनचर्या के साथ अब तमाम विभागीय काम भी प्रभावित हो रहे हैं. पुलिसिंग (Policing) पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. बढ़ते संक्रमण के कारण पुलिसकर्मी आरोपियों को गिरफ्तार करने में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं.

कोरबा में बढ़ते कोरोना संक्रमण का पुलिसिंग पर असर

कानून व्यवस्था बनाये रखते हुए लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराने की पूरी जिम्मेदारी पुलिस के कंधों पर है. कोरोना संक्रमण काल में डॉक्टर के बाद अगर कोई सबसे आगे खड़ा है, तो वह पुलिस के जवान ही हैं. आम दिनों में आरोपियों की गिरफ्तारी से लेकर सामान्य तौर पर जितनी कार्रवाई होती थी, कोरोना काल में उसमें गिरावट दर्ज की जा रही है. हाल ही में जिले के कटघोरा थाना क्षेत्र में एक ऐसा ही मामला सामने आया. जहां कंटेनमेंट जोन घोषित किए गए क्षेत्र में एक आरोपी के खिलाफ FIR (First information report) दर्ज किया गया, लेकिन आरोपी सर्वाधिक संक्रमित क्षेत्रों में रह रहा था इसलिए उसकी गिरफ्तारी नहीं की गई. पुलिस के सामने भी ऐसे केसेस में असमंजस की स्थिति है.

बेवजह घूमने की शिकायत

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण की रोकथाम के लिए कटघोरा थाना के नागोई बछेरा गांव को 15 अप्रैल से ही माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है. यहां रहने वाले लोगेंद्र कुमार पटेल के खिलाफ बेवजह गांव में घूमने की शिकायतें मिल रही थी. जिसपर पुलिस ने पहले उसे समझाया लेकिन आरोपी नहीं माना. इसके बाद पंचायत सचिव रविंद्र की रिपोर्ट पर कटघोरा थाने में आरोपी लोगेंद्र के खिलाफ धारा 188, 269 और 270 भारतीय दंड विधान और महामारी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है. हालांकि ज्यादा संक्रमित क्षेत्र से आने के कारण आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की गई है.

जशपुर में शादी समारोह में 10 की जगह 60 लोग हुए शामिल, FIR दर्ज

कुछ केस में प्रोटोकॉल के तहत गिरफ्तारी

संक्रमण की रफ्तार जिले में काफी तेज हो चुकी है. लगातार लोग संक्रमित होते जा रहे हैं. ऐसे में पुलिस कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी कर रही है. गिरफ्तार किए गए आरोपी की सबसे पहले कोरोना जांच की जाती है. इसके बाद ही आगे की वैधानिक कार्रवाई होती है. वैधानिक कार्रवाई के बाद न्यायालय और जेल दाखिल करने के पहले एक बार फिर आरोपियों की कोरोना जांच की जाती है.

गंभीर अपराधों में सख्ती, छोटे केस में छूट

महामारी के दौर में गंभीर आपराधिक प्रकरणों में पुलिस आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर रिमांड पर लेने की कोशिश करती है, लेकिन ऐसी धाराएं जिनमें गिरफ्तारी कुछ समय के लिए टाली जा सकती है. पुलिस थोड़ी नरमी बरतती है. महामारी के इस दौर में पुलिस के जवानों को संक्रमण का सर्वाधिक खतरा है. जिसके कारण ही पुलिस रिस्क मैनेजमेंट के फैक्टर को भी ध्यान में रखकर पुलिसिंग कर रही है. मौजूद हालात में यदि जवान संक्रमित हुए तो लॉकडाउन का पालन कराना भी पुलिस के लिए बेहद मुश्किल हो जाएगा.

कोरबा में लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों की पुलिस ने लगाई क्लास

पॉजिटिव मिलने पर न्यायालय से लेते हैं गाइडेंस

डीएसपी मुख्यालय रामगोपाल करियारे के मुताबिक वर्तमान परिवेश में आरोपियों की गिरफ्तारी और पुलिसिंग में कोरोना प्रोटोकॉल का पूरी तरह से का पालन किया जा रहा है. गिरफ्तार किए गए आरोपियों की कोरोना जांच की जाती है. उनके निगेटिव होने पर ही उनकी उन्हें जेल दाखिल कराने या न्यायालय में पेश करने की वैधानिक कार्रवाई होती है. यदि कोई आरोपी पॉजिटिव मिलता है, तब इस संबंध में न्यायालय के समक्ष प्रकरण पेश किया जाता है. न्यायालय का जैसा भी दिशा निर्देश होता है, उसी तरह से कार्रवाई की जाती है.

क्या कहता है नियम ?

छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में लगभग 100 कैदी कोरोना संक्रमित हुए थे. जिनका ट्रीटमेंट किया गया और स्थिति अब नियंत्रण में है. कोरोना गाइडलाइन के अनुसार प्रदेश की जेलों में व्यवस्थाएं की गई है. जेलों में आने वाले नए बंदियों का सबसे पहले कोरोना टेस्ट कराया जाता है. उसके बाद उन्हें 14-14 दिन अलग-अलग बैरक में रखा जाता है. फिर उन्हें जेल में अन्य बंदियों के साथ रखा जाता है.

कोरबा: कोरोना ने शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार के साथ कई गतिविधियों को काफी प्रभावित किया है. लोगों की आम दिनचर्या के साथ अब तमाम विभागीय काम भी प्रभावित हो रहे हैं. पुलिसिंग (Policing) पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. बढ़ते संक्रमण के कारण पुलिसकर्मी आरोपियों को गिरफ्तार करने में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं.

कोरबा में बढ़ते कोरोना संक्रमण का पुलिसिंग पर असर

कानून व्यवस्था बनाये रखते हुए लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराने की पूरी जिम्मेदारी पुलिस के कंधों पर है. कोरोना संक्रमण काल में डॉक्टर के बाद अगर कोई सबसे आगे खड़ा है, तो वह पुलिस के जवान ही हैं. आम दिनों में आरोपियों की गिरफ्तारी से लेकर सामान्य तौर पर जितनी कार्रवाई होती थी, कोरोना काल में उसमें गिरावट दर्ज की जा रही है. हाल ही में जिले के कटघोरा थाना क्षेत्र में एक ऐसा ही मामला सामने आया. जहां कंटेनमेंट जोन घोषित किए गए क्षेत्र में एक आरोपी के खिलाफ FIR (First information report) दर्ज किया गया, लेकिन आरोपी सर्वाधिक संक्रमित क्षेत्रों में रह रहा था इसलिए उसकी गिरफ्तारी नहीं की गई. पुलिस के सामने भी ऐसे केसेस में असमंजस की स्थिति है.

बेवजह घूमने की शिकायत

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण की रोकथाम के लिए कटघोरा थाना के नागोई बछेरा गांव को 15 अप्रैल से ही माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है. यहां रहने वाले लोगेंद्र कुमार पटेल के खिलाफ बेवजह गांव में घूमने की शिकायतें मिल रही थी. जिसपर पुलिस ने पहले उसे समझाया लेकिन आरोपी नहीं माना. इसके बाद पंचायत सचिव रविंद्र की रिपोर्ट पर कटघोरा थाने में आरोपी लोगेंद्र के खिलाफ धारा 188, 269 और 270 भारतीय दंड विधान और महामारी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है. हालांकि ज्यादा संक्रमित क्षेत्र से आने के कारण आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की गई है.

जशपुर में शादी समारोह में 10 की जगह 60 लोग हुए शामिल, FIR दर्ज

कुछ केस में प्रोटोकॉल के तहत गिरफ्तारी

संक्रमण की रफ्तार जिले में काफी तेज हो चुकी है. लगातार लोग संक्रमित होते जा रहे हैं. ऐसे में पुलिस कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी कर रही है. गिरफ्तार किए गए आरोपी की सबसे पहले कोरोना जांच की जाती है. इसके बाद ही आगे की वैधानिक कार्रवाई होती है. वैधानिक कार्रवाई के बाद न्यायालय और जेल दाखिल करने के पहले एक बार फिर आरोपियों की कोरोना जांच की जाती है.

गंभीर अपराधों में सख्ती, छोटे केस में छूट

महामारी के दौर में गंभीर आपराधिक प्रकरणों में पुलिस आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर रिमांड पर लेने की कोशिश करती है, लेकिन ऐसी धाराएं जिनमें गिरफ्तारी कुछ समय के लिए टाली जा सकती है. पुलिस थोड़ी नरमी बरतती है. महामारी के इस दौर में पुलिस के जवानों को संक्रमण का सर्वाधिक खतरा है. जिसके कारण ही पुलिस रिस्क मैनेजमेंट के फैक्टर को भी ध्यान में रखकर पुलिसिंग कर रही है. मौजूद हालात में यदि जवान संक्रमित हुए तो लॉकडाउन का पालन कराना भी पुलिस के लिए बेहद मुश्किल हो जाएगा.

कोरबा में लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों की पुलिस ने लगाई क्लास

पॉजिटिव मिलने पर न्यायालय से लेते हैं गाइडेंस

डीएसपी मुख्यालय रामगोपाल करियारे के मुताबिक वर्तमान परिवेश में आरोपियों की गिरफ्तारी और पुलिसिंग में कोरोना प्रोटोकॉल का पूरी तरह से का पालन किया जा रहा है. गिरफ्तार किए गए आरोपियों की कोरोना जांच की जाती है. उनके निगेटिव होने पर ही उनकी उन्हें जेल दाखिल कराने या न्यायालय में पेश करने की वैधानिक कार्रवाई होती है. यदि कोई आरोपी पॉजिटिव मिलता है, तब इस संबंध में न्यायालय के समक्ष प्रकरण पेश किया जाता है. न्यायालय का जैसा भी दिशा निर्देश होता है, उसी तरह से कार्रवाई की जाती है.

क्या कहता है नियम ?

छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में लगभग 100 कैदी कोरोना संक्रमित हुए थे. जिनका ट्रीटमेंट किया गया और स्थिति अब नियंत्रण में है. कोरोना गाइडलाइन के अनुसार प्रदेश की जेलों में व्यवस्थाएं की गई है. जेलों में आने वाले नए बंदियों का सबसे पहले कोरोना टेस्ट कराया जाता है. उसके बाद उन्हें 14-14 दिन अलग-अलग बैरक में रखा जाता है. फिर उन्हें जेल में अन्य बंदियों के साथ रखा जाता है.

Last Updated : May 4, 2021, 3:43 PM IST
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