कोरबा: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस और बीजेपी के बीच टक्कर है. दोनों ही पार्टी में अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. कांग्रेस ने पिछली बार की तरह इस बार फिर से किसान कर्जमाफी का मास्टर स्ट्रोक खेला है. विपक्षी इसे चुनावी वादा कह रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस इसे भूपेश सरकार की बड़ी उपलब्धि की तरह पेश कर रही है. कांग्रेसियों का मानना है कि घोषणा पत्र में कर्जमाफी का वादा सत्ता में वापसी की चाबी है. विपक्षी दलों ने कांग्रेस के घोषणा पत्र के कई वादों को अधूरा बताया और उनके वादों पर भरोसा नहीं करने की बात कह रहे हैं.
किसानों ने लिए हैं 6610 करोड़ रुपए कर्ज: 2018 में बीजेपी के 15 साल के शासन के बाद कांग्रेस सत्ता में आई. जिसकी मुख्य वजह किसानों की कर्ज माफी के ऐलान को माना गया. 2018 में कृषि ऋण 3546 करोड़ रुपए था. जो साल दर साल 2023 में बढ़कर दोगुना करीब 6610 करोड़ रुपए हो गया है. यदि सरकार बनने के बाद कांग्रेस किसानों का दोबारा कर्ज माफ करती है, तो उसे 6610 करोड़ रुपए की भारी भरकम राशि का वित्तीय भार वहन करना होगा. छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार का यह भी दावा है कि सरकार बनने से लेकर अब तक उन्होंने कुल 9270 करोड़ रुपए का कृषि लोन माफ किया है.
किसानों को फिर से कर्जमाफी की उम्मीद: छत्तीसगढ़ एक किसान प्रधान राज्य है. यहां कई आदिवासी और किसान हैं, जो खेती किसानी के लिए बैंक से लोन लेते हैं. ऐसे ही एक किसान सीताराम झरिया कहते हैं कि है कि उन्हें 90 फीसदी उम्मीद है कि कांग्रेस सरकार बनेगी, तो उनका कर्जा माफ हो जाएगा. उन्होंने बताया, " मेरे नाम पर 36 हजार रूपये का लोन सैंक्शन हुआ था. हर साल इतना ही लोन मुझे मिलता है. यह पैसा मुझे वापस चुकाना नहीं पड़ा. सरकार ने यह कर्ज माफ किया था, जिससे मुझे काफी मदद मिल गई थी."
"सरकार ने पिछली बारी कर्ज माफ किया था. इस बार घोषणा फिर की है. देखते हैं इस बार माफ होता है या नहीं. किसानों का कर्ज माफ हुआ, तो सुविधा मिलती है. उम्मीद तो है कि इस बार भी लोन माफ होगा." - हेतराम राठिया, किसान
सभी किसानों का कर्जमाफी नहीं करने के आरोप: बीजेपी नेता अशोक चावलानी ने कर्जमाफी को लेकर कांग्रेस पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, "कांग्रेस ने कर्जमाफी का वादा तो किया, लेकिन इन्होंने सभी का लोन माफ नहीं किया. कई किसानों का लोन माफ नहीं हुआ है. इनके बड़े नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी आकर घोषणा करते हैं. इन्हें घोषणा करने का अधिकार ही नहीं है. कांग्रेस के पिछले घोषणा पत्र के कई वादे अधूरे रह गए थे. इस बार भी यह वादा अधूरा रह जाएगा."
बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस का पलटवार: कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष संतोष राठौर ने बीजेपी नेता अशोक चावलानी के आरोपों पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा, "कांग्रेस जो वादा करती है, उसे पूरा करती है. मजदूर और किसानों ने देखा है, पिछले बार भी हमारे नेताओं ने कर्ज माफी का वादा किया था और उस वादे को उन्होंने पूरा किया. सरकार जैसे ही बनी 2 घंटे के भीतर कर्ज माफी किया गया. इस बार फिर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घोषणा की है. लगभग 20 लाख किसानों ने कर्ज लिया है, जिसे माफ किया जाएगा."कोरबा के स्थानीय कांग्रेसी नेताओं को भरोसा है कि कांग्रेस फिर सत्ता में वापसी करेगी. क्योंकि किसान खुश हैं. उन्होंने कहना है कि पहले न तो समर्थन मूल्य मिलता था, न कर्ज माफी होती थी. कांग्रेस सरकार ने यह काम किया है. जिससे सरकार के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ा है.
छत्तीसगढ़ में किसानों द्वारा लिए गए कर्ज के आंकड़े:
- प्रदेश में कुल किसान क्रेडिट कार्ड - 21.23 लाख,
- प्रदेश में कुल धान खरीदी केंद्रों की संख्या - 2617 केंद्र
- वर्ष 2023 में कुल पंजीकृत किसान - 24.98 लाख,
- वर्ष 2023 में कुल दिया गया लोन - 6610 करोड़ रुपए.
"कर्जमाफी टर्निंग पॉइंट, लेकिन लोकतंत्र के लिए घातक": कर्जमाफी के वादे पर अधिवक्ता नूतन सिंह ठाकुर कहते हैं, किसी भी पार्टी का घोषणा पत्र जनता को प्रभावित करने के लिए होता है. प्रदेश में दोनों प्रमुख पार्टियों ने अपना घोषणा पत्र जारी किया है. जिसमें कमोबेश एक जैसे वादे हैं. कांग्रेस ने कर्जमाफी की घोषणा को दोहराया है. निश्चित तौर पर इसका असर तो पड़ेगा. आदिवासी और गरीब जनता मुफ्त की चीज प्राप्त करने के लिए आगे आती है. लेकिन यह लोकतंत्र के लिए घातक है. इससे कर्ज लेने की संस्कृति बढ़ेगी. लोग बार-बार कर्ज़ लेंगे. इस उम्मीद में की सरकार माफ कर ही देगी. इसके दूरगामी परिणाम घातक होंगे. लोगों को यह भी सोचना चाहिए कि इसका भार कहीं ना कहीं आम जनता पर ही पड़ता है. जनता के ही पैसों से कर्ज माफी होती है. इसलिए मुफ्त की रेवड़ी बांटने की संस्कृति पर रोक लगाना भी जरूरी है.
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के पहले चरण के तहत 20 सीटों पर मतदान हो चुका है. अब 17 नवंबर को दूसरे चरण के तहत बाकी के 70 सीटों पर वोटिंग होनी है. जिसके लिए सभी राजनीतिक दलों के बीच घमासान जारी है. सभी विपक्षी दल कांग्रेस के कर्जमाफी की काट निकालने के लिए अपने घोषणा पत्र में बड़े बड़े वादे कर रहे हैं. अब देखना होगा कि क्या कांग्रेस इस बार भी कर्जमाफी के भरोसे दोबारा सत्ता हासिल करेगी या फिर बीजेपी समेत तमाम विपक्षी दलों के वादों पर जनता मुहर लगाएगी.