कोरबा: उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हो गया है. छठ के आखिरी दिन निर्जला व्रतधारियों ने घाट पर सूर्य को अर्घ्य देकर और प्रसाद ग्रहण कर व्रत समाप्त किया. देश के विभिन्न शहरों में सूर्य को अर्घ्य दिया गया. महिलाओं ने छठी मइया और सूर्य भगवान से अपने परिवार की खुशियां मांगी. इसके बाद उन्होंने अपने निर्जला व्रत का पारण किया.
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इस दौरान घाटों पर व्रतियों के अलावा परिवार के सदस्यों की भीड़ उमड़ी रही. इससे पहले महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना के साथ अपने व्रत की शुरुआत की थी. शाम चार बजे से ही नदी और पोखरों पर महिलाएं पूजा के लिए पहुंच गईं. शाम ढलने के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर वे घर लौटीं. डेंगुर नाला, सर्वमंगला मंदिर, मुड़ापार तालाब, सुभाष ब्लॉक शिव मंदिर के घाटों पर बड़ी संख्या में लोग छठ पूजा के समापन के दिन घाटों पर पहुंचे. घाट पर महिलाओं ने पारंपरिक तरीके से पूजा-अर्चना की. इस दौरान लोग कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए नजर आए.
धूमधाम से मनाया गया छठ महापर्व
देश के अलग-अलग राज्यों के विविध भागों में छठ व्रतियों ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया. चारों ओर महापर्व की धूम रही. लोक आस्था का महापर्व छठ भगवान भास्कर और छठी मां को समर्पित है. 4 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में लोगों की गहरी आस्था है. वहीं इस महापर्व के विधि-विधान से जुड़ी कई गाथाएं हैं, जिनका अलग ही महत्व है. छठ महापर्व में व्रती अपने-अपने घरों में कोसी भराई करती हैं. मान्यता है कि कोसी भरने से सालभर घरों में सुख-सौभाग्य और धन-धन्य बरकरार रहता है.