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जहर का कारोबार! सर्पदंश की घटनाएं और बढ़ते स्नेक कैचर

जिले में सर्पदंश की घटना लगातार बढ़ रही है. इसका एक कारण अंधविश्वास भी है. जिसके चक्कर में लोग अपनी जान गवां रहे हैं. लोगों को इससे बचने के लिए जागरूक होने की जरुरत है न की बैगाओं और झाड़ का सहारा लेने की.

Cases of snakebite in Korba
कोरबा में सर्पदंश का मामला
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Published : Oct 20, 2020, 8:19 PM IST

Updated : Oct 20, 2020, 9:09 PM IST

कोरबा: सर्पदंश के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. जिले भर में इस साल करीब 50 लोगों की मौत केवल सांप काटने की वजह से हो चुकी है. यह आंकड़े साल दर साल बढ़ रहे हैं. पिछले कुछ सालों तक सांप के काटने से मरने वालों की संख्या औसतन 30 के आसपास हुआ करती थी. पिछले दो साल में अब यह संख्या लगभग 50 के आसपास पहुंच चुकी है. जाहिर सी बात है सांपों के बढ़ते तादाद और उनके आवास पर अतिक्रमण के साथ ही जिले में सांप पकड़ने वाले स्नेक कैचर की भी बाढ़ सी आ गई है. लोग परिस्थितियों और हालातों के मुताबिक स्नेक कैचर्स को फोन करते हैं. जो लोगों के घर पहुंचकर सांप को काबू में करते हैं. ऐसे में जहरीले सांपों और उनके जहर की तस्करी की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता. हालांकि जिले में अबतक ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है, लेकिन विभाग ने इस तरह के मामले पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है.

कोरबा में सर्पदंश की समस्या

कुछ जानकार और स्नैक कैचर्स भी तस्करी की संभावना व्यक्त कर रहे हैं. जानकारों कहना है कि जिस तरह सांप पकड़ने वालों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए रेस्क्यू की आड़ में तस्करी भी हो सकती है. जिसपर विभाग को नजर रखनी चाहिए. शहर में जो पुराने स्नेक कैचर हैं वो वन विभाग को सूचना देकर उनका मार्गदर्शन भी लेते हैं, लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं जो वन विभाग को बिना कोई सूचना दिये यह काम कर रहे हैं. ऐसे लोगों को लोग अपने घर जहरीले सांप को पकड़ने के लिए बुलाते भी हैं.

Cases of snakebite in Korba
कोबरा

रेस्क्यू के पहले वन विभाग को करें सूचित

स्नेक रेस्क्यू टीम के सदस्य जितेंद्र सारथी बताते हैं कि जिस तरह से सांप पकड़ने वालों की संख्या बढ़ी है, उससे जहरीले सांप और उनके जहर के तस्करी की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता. हो सकता है रेस्क्यू करने की आड़ में कुछ लोग इस तरह का गलत काम कर रहे हों. रेस्क्यू के सबसे पहले वन विभाग को इसकी सूचना मिलनी चाहिए. जितेंद्र ने बताया कि हमारी टीम के सदस्य वन विभाग को सूचना देने के बाद ही सांपों का रेस्क्यू करते हैं. रेस्क्यू के बाद सांपों को सुरक्षित तरीके से जंगल में छोड़ दिया जाता है.

Cases of snakebite in Korba
नदी में सांप

SPECIAL: बस्तर दशहरा में अद्भुत है फूल रथ परिक्रमा, 600 साल पुरानी परंपरा आज भी है जीवित

जिले में मौजूद है सांपों की ये प्रजाति

सांप के काटने से ज्यादातर मौत ग्रामीण अंचल में ही होती है. जिन सांपों के काटने से सर्वाधिक मौत होती है उनकी करीब 15 प्रजातियां भारत में पाई जाती है. मुख्यत: कोबरा, रसल वाइपर, करैत और सो स्केल्ड वाइपर जैसे सांपों के काटने से लोगों की मौत होती है. इस तरह के सांप जिले में ज्यादा संख्या में भी पाए जाते हैं. जानकार अविनाश कहते हैं कि आमतौर पर सांप खुद ही इंसानों से डरते हैं. वे तभी हमला करते हैं जब उन्हें खतरा महसूस होता है. हम सांप की आदतों, उनके रहन-सहन के बारे में जानकारी प्राप्त कर, इस तरह के हमलों से बच सकते हैं. सांप काटने से होने वाली मौतों को बहुत हद तक कम कर सकते हैं.

जिले में पर्याप्त एंटी स्नेक वेनम

बढ़ते सर्पदंश के मामलों पर स्वास्थ्य विभाग की भी नजर रहती है. ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले परिवार सबसे पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या फिर जिला अस्पताल पर ही निर्भर रहते हैं. स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यक्रम समन्वयक पद्माकर शिंदे कहते हैं कि विभाग के पास एन्टी स्नेक वेनम की पर्याप्त खेप है. इसे ब्लॉक और ग्रामीण स्तर पर बनाए गए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक पर्याप्त मात्रा में पहुंचा दिया गया है. डिमांड आने पर तत्काल इसकी पूर्ति की जाती है. जिला अस्पताल में हर समय पर्याप्त मात्रा में दवाइयां उपलब्ध रहत है.

अंधविश्वास जान जाने का बड़ा कारण

बीते 2 साल में जिले में सर्पदंश के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. लोगों की जान तभी जाती है जब समय पर इलाज न मिले या फिर अंधविश्वास के फेर में वह बैगा गुनिया के चक्कर में फंस जाते हैं. समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण ही सांप काटने से लोगों की मौत हो रही है. जिससे स्वास्थ विभाग भी परेशान है.

तस्करी की नहीं मिली कोई शिकायत

कोरबा वन मंडल के डीएफओ गुरुनाथन एन का कहना है कि जिले में सर्पदंश और सांप मिलने की घटनाएं लगातार बढ़ी तो है. कुछ जानकार लोग हैं जो एनजीओ के संस्थापक हैं और हमारे मार्गदर्शन में काम कर रहे हैं, लेकिन कई ऐसे लोग भी हैं जो हमारी जानकारी के बिना सांपों का रेस्क्यू कर रहे हैं. जानकारी मिलने पर ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी. डीएफओ (DFO) ने कहा कि सांप और सांपों के जहर की तस्करी का कोई भी मामला फिलहाल सामने नहीं आया है. न ही ऐसी कोई सूचना हमें मिली है, लेकिन यदि ऐसा कहीं पाया जाता है तो इसके लिए बहुत कड़े प्रावधान हैं. निश्चित तौर पर ऐसा मामला सामने आने पर उचित कार्रवाई की जाएगी.

कोरबा: सर्पदंश के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. जिले भर में इस साल करीब 50 लोगों की मौत केवल सांप काटने की वजह से हो चुकी है. यह आंकड़े साल दर साल बढ़ रहे हैं. पिछले कुछ सालों तक सांप के काटने से मरने वालों की संख्या औसतन 30 के आसपास हुआ करती थी. पिछले दो साल में अब यह संख्या लगभग 50 के आसपास पहुंच चुकी है. जाहिर सी बात है सांपों के बढ़ते तादाद और उनके आवास पर अतिक्रमण के साथ ही जिले में सांप पकड़ने वाले स्नेक कैचर की भी बाढ़ सी आ गई है. लोग परिस्थितियों और हालातों के मुताबिक स्नेक कैचर्स को फोन करते हैं. जो लोगों के घर पहुंचकर सांप को काबू में करते हैं. ऐसे में जहरीले सांपों और उनके जहर की तस्करी की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता. हालांकि जिले में अबतक ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है, लेकिन विभाग ने इस तरह के मामले पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है.

कोरबा में सर्पदंश की समस्या

कुछ जानकार और स्नैक कैचर्स भी तस्करी की संभावना व्यक्त कर रहे हैं. जानकारों कहना है कि जिस तरह सांप पकड़ने वालों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए रेस्क्यू की आड़ में तस्करी भी हो सकती है. जिसपर विभाग को नजर रखनी चाहिए. शहर में जो पुराने स्नेक कैचर हैं वो वन विभाग को सूचना देकर उनका मार्गदर्शन भी लेते हैं, लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं जो वन विभाग को बिना कोई सूचना दिये यह काम कर रहे हैं. ऐसे लोगों को लोग अपने घर जहरीले सांप को पकड़ने के लिए बुलाते भी हैं.

Cases of snakebite in Korba
कोबरा

रेस्क्यू के पहले वन विभाग को करें सूचित

स्नेक रेस्क्यू टीम के सदस्य जितेंद्र सारथी बताते हैं कि जिस तरह से सांप पकड़ने वालों की संख्या बढ़ी है, उससे जहरीले सांप और उनके जहर के तस्करी की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता. हो सकता है रेस्क्यू करने की आड़ में कुछ लोग इस तरह का गलत काम कर रहे हों. रेस्क्यू के सबसे पहले वन विभाग को इसकी सूचना मिलनी चाहिए. जितेंद्र ने बताया कि हमारी टीम के सदस्य वन विभाग को सूचना देने के बाद ही सांपों का रेस्क्यू करते हैं. रेस्क्यू के बाद सांपों को सुरक्षित तरीके से जंगल में छोड़ दिया जाता है.

Cases of snakebite in Korba
नदी में सांप

SPECIAL: बस्तर दशहरा में अद्भुत है फूल रथ परिक्रमा, 600 साल पुरानी परंपरा आज भी है जीवित

जिले में मौजूद है सांपों की ये प्रजाति

सांप के काटने से ज्यादातर मौत ग्रामीण अंचल में ही होती है. जिन सांपों के काटने से सर्वाधिक मौत होती है उनकी करीब 15 प्रजातियां भारत में पाई जाती है. मुख्यत: कोबरा, रसल वाइपर, करैत और सो स्केल्ड वाइपर जैसे सांपों के काटने से लोगों की मौत होती है. इस तरह के सांप जिले में ज्यादा संख्या में भी पाए जाते हैं. जानकार अविनाश कहते हैं कि आमतौर पर सांप खुद ही इंसानों से डरते हैं. वे तभी हमला करते हैं जब उन्हें खतरा महसूस होता है. हम सांप की आदतों, उनके रहन-सहन के बारे में जानकारी प्राप्त कर, इस तरह के हमलों से बच सकते हैं. सांप काटने से होने वाली मौतों को बहुत हद तक कम कर सकते हैं.

जिले में पर्याप्त एंटी स्नेक वेनम

बढ़ते सर्पदंश के मामलों पर स्वास्थ्य विभाग की भी नजर रहती है. ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले परिवार सबसे पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या फिर जिला अस्पताल पर ही निर्भर रहते हैं. स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यक्रम समन्वयक पद्माकर शिंदे कहते हैं कि विभाग के पास एन्टी स्नेक वेनम की पर्याप्त खेप है. इसे ब्लॉक और ग्रामीण स्तर पर बनाए गए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक पर्याप्त मात्रा में पहुंचा दिया गया है. डिमांड आने पर तत्काल इसकी पूर्ति की जाती है. जिला अस्पताल में हर समय पर्याप्त मात्रा में दवाइयां उपलब्ध रहत है.

अंधविश्वास जान जाने का बड़ा कारण

बीते 2 साल में जिले में सर्पदंश के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. लोगों की जान तभी जाती है जब समय पर इलाज न मिले या फिर अंधविश्वास के फेर में वह बैगा गुनिया के चक्कर में फंस जाते हैं. समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण ही सांप काटने से लोगों की मौत हो रही है. जिससे स्वास्थ विभाग भी परेशान है.

तस्करी की नहीं मिली कोई शिकायत

कोरबा वन मंडल के डीएफओ गुरुनाथन एन का कहना है कि जिले में सर्पदंश और सांप मिलने की घटनाएं लगातार बढ़ी तो है. कुछ जानकार लोग हैं जो एनजीओ के संस्थापक हैं और हमारे मार्गदर्शन में काम कर रहे हैं, लेकिन कई ऐसे लोग भी हैं जो हमारी जानकारी के बिना सांपों का रेस्क्यू कर रहे हैं. जानकारी मिलने पर ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी. डीएफओ (DFO) ने कहा कि सांप और सांपों के जहर की तस्करी का कोई भी मामला फिलहाल सामने नहीं आया है. न ही ऐसी कोई सूचना हमें मिली है, लेकिन यदि ऐसा कहीं पाया जाता है तो इसके लिए बहुत कड़े प्रावधान हैं. निश्चित तौर पर ऐसा मामला सामने आने पर उचित कार्रवाई की जाएगी.

Last Updated : Oct 20, 2020, 9:09 PM IST
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