कोरबा: हसदेव डैम, दर्री के डुबान क्षेत्र की 10 से 15 एकड़ जमीन पर राख पाटकर कब्जा करने का मामला सामने आया है. इसी जमीन पर स्थानीय ग्रामीण सब्जी-भाजी जैसी छोटी फसल लगाकर किसी तरह गुजर-बसर करते थे, जो अब पूरी तरह से खत्म हो चुका है. दूसरी तरफ पहले ही प्रदूषण की मार झेल रही हसदेव नदी में बारिश के मौसम में यहां पाटी गई राख के नदी में मिलने की पूरी संभावना है. सिंचाई विभाग के अफसरों ने साफतौर पर कहा है कि इस स्थान पर राख डंप करने के लिए विभागीय तौर पर कोई अनुमति नहीं दी गई है.
दरअसल CSEB ने जमीन पाटने का ठेका दिया है. बता दें कि पावर प्लांट से बड़े पैमाने पर फ्लाई ऐश राख निकलती है. नियम के मुताबिक अफसरों को इसकी उपयोगिता केंद्र सरकार को दिखानी होती है, जिसके कारण कई बार एसा देखा गया है कि पावर प्लांट के अफसर नियमों को ताक पर रखकर कहीं भी रख डंप करवा देते हैं. जबकि जहां राख डंप की जानी होती है, उस जगह पर राख डंप करने के लिए विभागीय अनुमति के साथ-साथ जमीन के मालिक की अनुमति भी जरुरी होती है.
![Ashes being dumped without permission of department in Korba](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/6314606_image.jpg)
अधिकारियों का कुछ भी कहने से किया इंकार
राख डंप करने के सवाल पर CSEB पावर प्लांट के मुख्य अभियंता एसके मेहता ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया, हालांकि उन्होंने विभागीय प्रक्रिया पूरी कर लेने की बात कही है.
![Ashes being dumped without permission of department in Korba](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/6314606_image-1.jpg)
विभाग ने नहीं दी अनुमति: वासनिक
Etv भारत ने जब इस मामले में सिंचाई विभाग के कार्यपालन अभियंता पीके वासनिक से जानकारी लेनी चाही तो, उन्होंने ने भी आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं बताया. लेकिन यह साफ तौर पर कहा कि डुबान क्षेत्र में राख डंप करने की अनुमति नहीं दी गई है.
शौचायल को भी पाट दिया गया
जमीन पाटने के साथ डुबान क्षेत्र के मुहाने पर एक ग्रामीण के शौचालय को भी ठेकेदार ने पाट दिया गया है, जिसे स्वच्छ भारत अभियान के तहत ग्रामीणों को बना कर दिया गया है. इस शौचालय को भी 3 फीट तक पाट दिया गया है. ग्रामीण ने किसी तरह घेरा लगाकर शौचालय का दरवाजा बचा लिया है. ताकि वह इसका उपयोग कर सकें.
![Ashes being dumped without permission of department in Korba](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/6314606_img.jpg)
सड़क बनाने पाट रहे जमीन: ग्रामीण
जमीन को पहले राख, कोयला और फिर मिट्टी से पाटा जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि यहां पर सड़क बनाने के लिए ये जमीन पाटी जा रही है. ग्रामीणों की मानें तो जमीन के पाटे जाने के बाद अब इन्हें रोजी रोटी के लिए भटकना पड़ेगा.