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निजी अस्पताल पर बड़ा आरोप: पहले आयुष्मान भारत योजना में इलाज से किया इंकार, फिर निकाल ली राशि - फर्जीवाड़े का आरोप

कोरबा में मौजूद निजी अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना के नाम पर फर्जीवाड़ा करने के आरोप लगे हैं.

बालाजी ट्रामा एंड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल
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Published : May 16, 2019, 9:28 PM IST

Updated : May 16, 2019, 9:39 PM IST

कोरबा: शहर के नामी निजी अस्पताल में बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. मृतक के बेटे ने अस्पताल प्रबंधन पर बेहद ही गंभीर आरोप लगाए हैं.

अस्पताल पर फर्जीवाड़े का आरोप

सड़क हादसे में हुए थे घायल
मृतक राजकुमार नाथानी सड़क हादसे में घायल हुए थे, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए बालाजी ट्रामा एंड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी मौत हो गई. मृतक के बेटे रितेश ने बताया कि अस्पताल में पिता को भर्ती कराने के दौरान उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से आयुष्मान कार्ड होने की बात कही, जिस पर अस्पताल प्रबंधन ने आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं होने की बात कहते हुए बिल का नकद भुगतान कराने की बात कही थी.

एक लाख तीस हजार का थमाया बिल
राजकुमार का अस्पताल में करीब छह दिन तक इलाज चला, इलाज में आए खर्च के तौर पर अस्पताल प्रबंधन ने रितेश को 1 लाख 30 हजार रुपये का बिल थमाया, जिसमें से रितेश की ओर से 80 हजार रुपये जमा कराए गए.

इलाज के दौरान हुई मौत
रितेश के बताया कि पांच जनवरी की सुबह उनके पिता का ऑपरेशन किया गया, जिसकी फीस उनसे वसूल की गई, लेकिन फीस का बिल नहीं दिया गया. 6 जनवरी को इलाज के दौरान रितेश के पिता ने दम तोड़ दिया और इसी दिन सुबह 10:49 पर उनके केस का आयुष्मान योजना के तहत अप्रूवल मिल गया.

बिल का कराया नकद भुगतान
पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट में मौत का समय सुबह 10:55 का लिखा गया. रितेश का आरोप है कि 6 जनवरी को ही अस्पताल प्रबंधन ने उनके आयुष्मान भारत खाते से 82 हजार 500 रुपए निकाल लिए, जबकि बिल का नकद में पेमेंट किया जा चुका था.

अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ शिकायत
रितेश और उनके परिवार ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. रितेश ने 6 बिंदुओं पर जिला प्रशासन से जांच की मांग की है, जिसमें 3 बिंदुओं पर जांच कमेटी गठित की गई है. कमेटी में CMHO की अध्यक्षता में तीन स्वास्थ्य अधिकारियों को शामिल किया गया है.

मृतक के बेटे के आरोप और जांच रिपोर्ट के बिंदू

पहला आरोप: भर्ती के समय आयुष्मान कार्ड होने की बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं होने की बात कही और इलाज में खर्च हुए एक लाख 13 हजार रुपये नकद ले लिए.
जांच में यह पाया गया कि अस्पताल प्रबंधन और आवेदक द्वारा दिए गए दस्तावेज अनुसार लगभग 80 हजार रुपये का भुगतान किया गया. अस्पताल प्रबंधन की ओर से डॉ. गुणसागर चौधरी के दिए गए बयान के अनुसार आवेदक की ओर से 5 जनवरी को आयुष्मान कार्ड से इलाज कराने का निवेदन किया गया था.

जांच रिपोर्ट: अस्पताल प्रबंधन की ओर से पेश दस्तावेज के अनुसार अस्पताल का खर्च, मेडिसिन बिल एवं समय-समय पर किए गए अन्य जांच के रूप में है, जिससे यह प्रतीत होता है कि अस्पताल की बिलिंग सिस्टम, मरीज और उनके परिजन के लिए असुविधाजनक है, जिसमें सुधार की आवश्यकता है.

दूसरा आरोप: डॉक्टर प्रदीप त्रिपाठी 5 जनवरी को रितेश के पिता का ऑपरेशन करने के बाद वे रायपुर चले गए, जिसके बाद रितेश के पिता की मृत्यु हो गई.

जांच रिपोर्ट: जांच में यह आरोप सिद्ध नहीं हो पाया. जांच कमेटी का कहना है कि 'अस्पताल प्रबंधन की ओर से दिए गए दस्तावेज में 6 जनवरी को डॉ, प्रदीप त्रिपाठी ने मरीज को देखा था और डॉक्टर त्रिपाठी के अनुसार मरीज की देख-रेख की जिम्मेदारी डॉक्टर नवील शर्मा को दी गई थी. दस्तावेजों के अनुसार डॉ शर्मा ने मरीज की जांच की थी.

तीसरा आरोप: रितेश ने आरोप लगाया कि 5 जनवरी को सुबह 7:30 बजे टोल फ्री नंबर पर संपर्क करने पर जिला आयुष्मान सलाहकार से संपर्क करने की बात कही गई. जिला आयुष्मान सलाहकार से मोबाइल पर संपर्क करने पर हॉस्पिटल प्रबंधन की ओर से कहा गया कि, आयुष्मान कार्ड के तहत इलाज किया जाएगा और औपचारिकता पूरी करने के बाद मरीज का इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत किया जाएगा.

जांच रिपोर्ट: जांच में यह पाया गया कि 5 जनवरी को सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर फाइनल बिल बनाया गया. आयुष्मान भारत के पोर्टल को देखने पर पता चला कि 6 जनवरी को अस्पताल प्रबंधन की ओर से रितेश के पिता को योजना के तहत ट्रामा सेंटर में भर्ती किया गया है. एडमिट होने के करीब पांच दिन बाद अस्पताल प्रबंधन को लगभग 80 हजार रुपये नकद देने के बाद आयुष्मान योजना का लाभ दिया गया जो कि आपत्तिजनक है और निषेधात्मक कार्रवाई अनुशंसित है.

जांच रिपोर्ट को नकारते हुए मृतक के बेटे ने सवाल उठाए हैं. रितेश का कहना है कि 'डॉ. त्रिपाठी को बचाने के लिए फर्जी अटेंडेंस डायरी दिखाकर जांच कमेटी को गुमराह किया गया'. उन्होंने कहा कि जांच कमेटी CCTV फुटेज देखकर तय करें कि, डॉ त्रिपाठी ऑपरेशन के बाद मरीज को देखने आए थे या नहीं.

लोक आयोग में की शिकायत
रितेश ने लोक आयोग में CMHO के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. मामले की सुनवाई चार जुलाई को होगी. पीड़ित का आरोप है कि जांच कमिटी ने अस्पताल प्रबंधन के दबाव में सही ढंग से जांच नहीं की है. उनका आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन की टीम में पूर्व महापौर जोगेश लाम्बा के भाई उमेश लाम्बा शामिल हैं, जिन्होंने 6 जनवरी को उनके परिजन से दुर्व्यवहार किया था.

स्वास्थ्य मंत्री से भी की फरियाद
इस मामले में पीड़ित ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से भी मिलकर इसकी शिकायत की है. वहीं CMHO बीबी बोडे का कहना है कि 'बालाजी ट्रामा सेंटर को जांच प्रतिवेदन के आधार पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था और जवाब संतोषजनक नहीं मिलने पर ट्रामा सेंटर का आयुष्मान योजना से नाम निरस्त करने की कार्रवाई का लेटर रायपुर भेजा गया है.

कोरबा: शहर के नामी निजी अस्पताल में बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. मृतक के बेटे ने अस्पताल प्रबंधन पर बेहद ही गंभीर आरोप लगाए हैं.

अस्पताल पर फर्जीवाड़े का आरोप

सड़क हादसे में हुए थे घायल
मृतक राजकुमार नाथानी सड़क हादसे में घायल हुए थे, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए बालाजी ट्रामा एंड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी मौत हो गई. मृतक के बेटे रितेश ने बताया कि अस्पताल में पिता को भर्ती कराने के दौरान उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से आयुष्मान कार्ड होने की बात कही, जिस पर अस्पताल प्रबंधन ने आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं होने की बात कहते हुए बिल का नकद भुगतान कराने की बात कही थी.

एक लाख तीस हजार का थमाया बिल
राजकुमार का अस्पताल में करीब छह दिन तक इलाज चला, इलाज में आए खर्च के तौर पर अस्पताल प्रबंधन ने रितेश को 1 लाख 30 हजार रुपये का बिल थमाया, जिसमें से रितेश की ओर से 80 हजार रुपये जमा कराए गए.

इलाज के दौरान हुई मौत
रितेश के बताया कि पांच जनवरी की सुबह उनके पिता का ऑपरेशन किया गया, जिसकी फीस उनसे वसूल की गई, लेकिन फीस का बिल नहीं दिया गया. 6 जनवरी को इलाज के दौरान रितेश के पिता ने दम तोड़ दिया और इसी दिन सुबह 10:49 पर उनके केस का आयुष्मान योजना के तहत अप्रूवल मिल गया.

बिल का कराया नकद भुगतान
पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट में मौत का समय सुबह 10:55 का लिखा गया. रितेश का आरोप है कि 6 जनवरी को ही अस्पताल प्रबंधन ने उनके आयुष्मान भारत खाते से 82 हजार 500 रुपए निकाल लिए, जबकि बिल का नकद में पेमेंट किया जा चुका था.

अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ शिकायत
रितेश और उनके परिवार ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. रितेश ने 6 बिंदुओं पर जिला प्रशासन से जांच की मांग की है, जिसमें 3 बिंदुओं पर जांच कमेटी गठित की गई है. कमेटी में CMHO की अध्यक्षता में तीन स्वास्थ्य अधिकारियों को शामिल किया गया है.

मृतक के बेटे के आरोप और जांच रिपोर्ट के बिंदू

पहला आरोप: भर्ती के समय आयुष्मान कार्ड होने की बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं होने की बात कही और इलाज में खर्च हुए एक लाख 13 हजार रुपये नकद ले लिए.
जांच में यह पाया गया कि अस्पताल प्रबंधन और आवेदक द्वारा दिए गए दस्तावेज अनुसार लगभग 80 हजार रुपये का भुगतान किया गया. अस्पताल प्रबंधन की ओर से डॉ. गुणसागर चौधरी के दिए गए बयान के अनुसार आवेदक की ओर से 5 जनवरी को आयुष्मान कार्ड से इलाज कराने का निवेदन किया गया था.

जांच रिपोर्ट: अस्पताल प्रबंधन की ओर से पेश दस्तावेज के अनुसार अस्पताल का खर्च, मेडिसिन बिल एवं समय-समय पर किए गए अन्य जांच के रूप में है, जिससे यह प्रतीत होता है कि अस्पताल की बिलिंग सिस्टम, मरीज और उनके परिजन के लिए असुविधाजनक है, जिसमें सुधार की आवश्यकता है.

दूसरा आरोप: डॉक्टर प्रदीप त्रिपाठी 5 जनवरी को रितेश के पिता का ऑपरेशन करने के बाद वे रायपुर चले गए, जिसके बाद रितेश के पिता की मृत्यु हो गई.

जांच रिपोर्ट: जांच में यह आरोप सिद्ध नहीं हो पाया. जांच कमेटी का कहना है कि 'अस्पताल प्रबंधन की ओर से दिए गए दस्तावेज में 6 जनवरी को डॉ, प्रदीप त्रिपाठी ने मरीज को देखा था और डॉक्टर त्रिपाठी के अनुसार मरीज की देख-रेख की जिम्मेदारी डॉक्टर नवील शर्मा को दी गई थी. दस्तावेजों के अनुसार डॉ शर्मा ने मरीज की जांच की थी.

तीसरा आरोप: रितेश ने आरोप लगाया कि 5 जनवरी को सुबह 7:30 बजे टोल फ्री नंबर पर संपर्क करने पर जिला आयुष्मान सलाहकार से संपर्क करने की बात कही गई. जिला आयुष्मान सलाहकार से मोबाइल पर संपर्क करने पर हॉस्पिटल प्रबंधन की ओर से कहा गया कि, आयुष्मान कार्ड के तहत इलाज किया जाएगा और औपचारिकता पूरी करने के बाद मरीज का इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत किया जाएगा.

जांच रिपोर्ट: जांच में यह पाया गया कि 5 जनवरी को सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर फाइनल बिल बनाया गया. आयुष्मान भारत के पोर्टल को देखने पर पता चला कि 6 जनवरी को अस्पताल प्रबंधन की ओर से रितेश के पिता को योजना के तहत ट्रामा सेंटर में भर्ती किया गया है. एडमिट होने के करीब पांच दिन बाद अस्पताल प्रबंधन को लगभग 80 हजार रुपये नकद देने के बाद आयुष्मान योजना का लाभ दिया गया जो कि आपत्तिजनक है और निषेधात्मक कार्रवाई अनुशंसित है.

जांच रिपोर्ट को नकारते हुए मृतक के बेटे ने सवाल उठाए हैं. रितेश का कहना है कि 'डॉ. त्रिपाठी को बचाने के लिए फर्जी अटेंडेंस डायरी दिखाकर जांच कमेटी को गुमराह किया गया'. उन्होंने कहा कि जांच कमेटी CCTV फुटेज देखकर तय करें कि, डॉ त्रिपाठी ऑपरेशन के बाद मरीज को देखने आए थे या नहीं.

लोक आयोग में की शिकायत
रितेश ने लोक आयोग में CMHO के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. मामले की सुनवाई चार जुलाई को होगी. पीड़ित का आरोप है कि जांच कमिटी ने अस्पताल प्रबंधन के दबाव में सही ढंग से जांच नहीं की है. उनका आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन की टीम में पूर्व महापौर जोगेश लाम्बा के भाई उमेश लाम्बा शामिल हैं, जिन्होंने 6 जनवरी को उनके परिजन से दुर्व्यवहार किया था.

स्वास्थ्य मंत्री से भी की फरियाद
इस मामले में पीड़ित ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से भी मिलकर इसकी शिकायत की है. वहीं CMHO बीबी बोडे का कहना है कि 'बालाजी ट्रामा सेंटर को जांच प्रतिवेदन के आधार पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था और जवाब संतोषजनक नहीं मिलने पर ट्रामा सेंटर का आयुष्मान योजना से नाम निरस्त करने की कार्रवाई का लेटर रायपुर भेजा गया है.

Intro:शहर के बालाजी ट्रामा एंड सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में 6 जनवरी 2019 को राजकुमार नथानी की मौत हो गई थी। उनकी मौत को परिवार वालों ने अस्पताल की लापरवाही करार दिया था।


Body:दरअसल, राजकुमार नथानी को सड़क दुर्घटना में घायल होने पर 1 जनवरी को बालाजी ट्रामा एंड सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहाँ अस्पताल प्रबंधन ने आयुष्मान कार्ड नहीं चलने की बात कही और नगदी में इलाज करवाने की बात कही गई। इसके बाद 6 दिन चले इलाज में 1 लाख 30 हज़ार का खर्चा आया जिसमें उनके पुत्र रितेश नथानी द्वारा 80 हज़ार रुपए जमा किया गया था। 5 जनवरी को उनके पिता का सुबह बड़ा ऑपेरशन किया गया और उस रकम की वसूली नगद में की गई लेकिन बिल नहीं दिया गया। वहीं 6 जनवरी को ऑपेरशन के बाद रितेश के पिता की मौत हो गई जबकि 6 जनवरी को ही सुबह 10:49 को उनका आयुष्मान योजना के तहत इस केस को अप्रूवल मिल गया। जब पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट सामने आई तो उसमें मृत्यु का समय सुबह 10:55 का लिखा गया। 6 जनवरी की तारीख को ही उनके आयुष्मान खाते से 82500 रुपए अस्पताल प्रबंधन ने निकाल लिए जबकि नगद में पेमेंट किया जा चुका था।
इस पूरे मामले से दुखी रितेश नथानी और उनके परिवार ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। रितेश ने 6 बिंदुओं पर जिला प्रशासन से जांच की मांग की जिसमें 3 बिंदुओं पर जांच कमिटी गठित की गई। CMHO की अध्यक्षता में 3 अन्य जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को शामिल किया गया।
जिन 3 आरोपों पर जांच कमिटी ने रिपोर्ट सौंपी:
प्रथम आरोप: भर्ती के समय आयुष्मान कार्ड होने की बात अस्पताल प्रबंधन को बताया गया था। इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन द्वारा आयुष्मान कार्ड नहीं चलने की बात कही गई एवं नकद रकम लेकर इलाज किया गया, जिसमें लगभग ₹130000 का खर्च आया है। जांच में यह पाया गया कि अस्पताल प्रबंधन एवं आवेदक द्वारा दिए गए दस्तावेज अनुसार लगभग ₹80000 भुगतान किया गया है। अस्पताल प्रबंधन की ओर से डॉ गुणसागर चौधरी के दिए गए बयान के अनुसार आवेदक के द्वारा 5 जनवरी को आयुष्मान कार्ड से इलाज कराने का निवेदन किया गया था।
जांच: अस्पताल प्रबंधन द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज के अनुसार अस्पताल का खर्च हॉस्पिटल बिल, मेडिसिन बिल एवं समय-समय पर किए गए अन्य जांच के रूप में है जिससे यह प्रतीत होता है कि अस्पताल का बिलिंग सिस्टम, मरीज एवं परिजन के लिए असुविधाजनक है जिसमें सुधार की आवश्यकता है।
दूसरा आरोप: डॉक्टर प्रदीप त्रिपाठी जिनके द्वारा रितेश के पिताजी का 5 जनवरी को ऑपरेशन किया गया, ऑपरेशन करने के तुरंत बाद रायपुर चले गए जिससे रितेश के पिता की मृत्यु हो गई।
जांच: जांच में आरोप को सिद्ध नहीं पाया गया और कमेटी ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा दिए गए दस्तावेज में 6 जनवरी को डॉ प्रदीप त्रिपाठी ने मरीज को देखा था और डॉक्टर त्रिपाठी के अनुसार मरीज के देखरेख की जिम्मेदारी डॉक्टर नवील शर्मा को दी गई थी। दस्तावेजों के अनुसार डॉ नवील शर्मा के द्वारा मरीज को देखा गया था।
तीसरा आरोप: 5 जनवरी को रितेश द्वारा लगभग सुबह 7:30 बजे टोल फ्री नंबर में संपर्क करने पर जिला आयुष्मान सलाहकार से संपर्क करने की बात कही गई। जिला आयुष्मान सलाहकार से मोबाइल पर संपर्क करने पर हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा आयुष्मान कार्ड के तहत इलाज किया जाएगा कहा गया एवं समस्त फॉर्मेलिटी को पूरा कर आयुष्मान में भर्ती किया जाएगा। जिसमें यह पाया गया कि मरीज का दिनांक 5 जनवरी को सुबह 8:05 पर फाइनल बिल बनाया गया। आयुष्मान भारत के पोर्टल को देखने पर यह पता चला कि 6 जनवरी को अस्पताल प्रबंधन द्वारा रितेश के पिता को योजना के तहत ट्रामा सेंटर में भर्ती किया गया है।
जांच: आयुष्मान भारत के नियम अनुसार मरीज के भर्ती के 24 घंटे के भीतर आयुष्मान योजना के तहत इलाज किए जाने का प्रावधान है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन के द्वारा भर्ती के लगभग 5 दिन बाद और लगभग ₹80000 नगद देने के बाद आयुष्मान योजना का लाभ दिया गया जोकि आपत्तिजनक है और निषेधात्मक कार्रवाई अनुशंसित है।

इस जांच रिपोर्ट के सामने आने पर रितेश बेहद अंसतुष्ट नज़र आए। रितेश ने सवाल उठाया कि उनके दूसरे आरोप को कैसे सिद्ध नहीं पाया गया। उनका आरोप है कि डॉ प्रदीप त्रिपाठी को बचाने के लिए फर्जी अटेंडेंस डायरी दिखाकर जांच कमिटी को गुमराह किया गया। रितेश का कहना है कि जांच कमिटी CCTV फुटेज की जांच में देख कर तय करे डॉ त्रिपाठी आपरेशन के बाद मरीज को देखने आए थे या नहीं।
मरीज की मौत और आयुष्मान योजना के तहत की गई भर्राशाही के मामले में पीड़ित ने अब लोक आयोग रायपुर में CMHO के खिलाफ प्रकरण दर्ज करा दिया है जिसमें 4 जुलाई के सुनवाई की तारीख दे दी गई है। इस पूरे मामले में पीड़ित ने आरोप लगवा है कि जांच कमिटी ने अस्पताल प्रबंधन के दबाव में सही ढंग से जांच नहीं किया है। उनका आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन के टीम में पूर्व महापौर जोगेश लाम्बा के भाई उमेश लाम्बा शामिल जिन्होंने 6 जनवरी को परिजनों से दुर्व्यवहार किया था। इस मामले में पीड़ित ने स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव से भी मिलकर इसकी शिकायत की है।
इस पूरे मामले में CMHO बी बी बोडे का कहना है कि बालाजी ट्रामा सेंटर को जांच प्रतिवेदन के आधार पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था पर जवाब संतोषजनक नहीं मिलने पर ट्रामा सेंटर का आयुष्मान योजना से नाम निरस्त करने की कार्रवाई का लेटर रायपुर भेजा गया है।

बाइट- डॉ बी बी बोडे, CMHO, कोरबा
बाइट- रितेश नथानी, पीड़ित


Conclusion:
Last Updated : May 16, 2019, 9:39 PM IST
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