कोरबा: शहर के नामी निजी अस्पताल में बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. मृतक के बेटे ने अस्पताल प्रबंधन पर बेहद ही गंभीर आरोप लगाए हैं.
सड़क हादसे में हुए थे घायल
मृतक राजकुमार नाथानी सड़क हादसे में घायल हुए थे, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए बालाजी ट्रामा एंड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी मौत हो गई. मृतक के बेटे रितेश ने बताया कि अस्पताल में पिता को भर्ती कराने के दौरान उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से आयुष्मान कार्ड होने की बात कही, जिस पर अस्पताल प्रबंधन ने आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं होने की बात कहते हुए बिल का नकद भुगतान कराने की बात कही थी.
एक लाख तीस हजार का थमाया बिल
राजकुमार का अस्पताल में करीब छह दिन तक इलाज चला, इलाज में आए खर्च के तौर पर अस्पताल प्रबंधन ने रितेश को 1 लाख 30 हजार रुपये का बिल थमाया, जिसमें से रितेश की ओर से 80 हजार रुपये जमा कराए गए.
इलाज के दौरान हुई मौत
रितेश के बताया कि पांच जनवरी की सुबह उनके पिता का ऑपरेशन किया गया, जिसकी फीस उनसे वसूल की गई, लेकिन फीस का बिल नहीं दिया गया. 6 जनवरी को इलाज के दौरान रितेश के पिता ने दम तोड़ दिया और इसी दिन सुबह 10:49 पर उनके केस का आयुष्मान योजना के तहत अप्रूवल मिल गया.
बिल का कराया नकद भुगतान
पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट में मौत का समय सुबह 10:55 का लिखा गया. रितेश का आरोप है कि 6 जनवरी को ही अस्पताल प्रबंधन ने उनके आयुष्मान भारत खाते से 82 हजार 500 रुपए निकाल लिए, जबकि बिल का नकद में पेमेंट किया जा चुका था.
अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ शिकायत
रितेश और उनके परिवार ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. रितेश ने 6 बिंदुओं पर जिला प्रशासन से जांच की मांग की है, जिसमें 3 बिंदुओं पर जांच कमेटी गठित की गई है. कमेटी में CMHO की अध्यक्षता में तीन स्वास्थ्य अधिकारियों को शामिल किया गया है.
मृतक के बेटे के आरोप और जांच रिपोर्ट के बिंदू
पहला आरोप: भर्ती के समय आयुष्मान कार्ड होने की बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं होने की बात कही और इलाज में खर्च हुए एक लाख 13 हजार रुपये नकद ले लिए.
जांच में यह पाया गया कि अस्पताल प्रबंधन और आवेदक द्वारा दिए गए दस्तावेज अनुसार लगभग 80 हजार रुपये का भुगतान किया गया. अस्पताल प्रबंधन की ओर से डॉ. गुणसागर चौधरी के दिए गए बयान के अनुसार आवेदक की ओर से 5 जनवरी को आयुष्मान कार्ड से इलाज कराने का निवेदन किया गया था.
जांच रिपोर्ट: अस्पताल प्रबंधन की ओर से पेश दस्तावेज के अनुसार अस्पताल का खर्च, मेडिसिन बिल एवं समय-समय पर किए गए अन्य जांच के रूप में है, जिससे यह प्रतीत होता है कि अस्पताल की बिलिंग सिस्टम, मरीज और उनके परिजन के लिए असुविधाजनक है, जिसमें सुधार की आवश्यकता है.
दूसरा आरोप: डॉक्टर प्रदीप त्रिपाठी 5 जनवरी को रितेश के पिता का ऑपरेशन करने के बाद वे रायपुर चले गए, जिसके बाद रितेश के पिता की मृत्यु हो गई.
जांच रिपोर्ट: जांच में यह आरोप सिद्ध नहीं हो पाया. जांच कमेटी का कहना है कि 'अस्पताल प्रबंधन की ओर से दिए गए दस्तावेज में 6 जनवरी को डॉ, प्रदीप त्रिपाठी ने मरीज को देखा था और डॉक्टर त्रिपाठी के अनुसार मरीज की देख-रेख की जिम्मेदारी डॉक्टर नवील शर्मा को दी गई थी. दस्तावेजों के अनुसार डॉ शर्मा ने मरीज की जांच की थी.
तीसरा आरोप: रितेश ने आरोप लगाया कि 5 जनवरी को सुबह 7:30 बजे टोल फ्री नंबर पर संपर्क करने पर जिला आयुष्मान सलाहकार से संपर्क करने की बात कही गई. जिला आयुष्मान सलाहकार से मोबाइल पर संपर्क करने पर हॉस्पिटल प्रबंधन की ओर से कहा गया कि, आयुष्मान कार्ड के तहत इलाज किया जाएगा और औपचारिकता पूरी करने के बाद मरीज का इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत किया जाएगा.
जांच रिपोर्ट: जांच में यह पाया गया कि 5 जनवरी को सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर फाइनल बिल बनाया गया. आयुष्मान भारत के पोर्टल को देखने पर पता चला कि 6 जनवरी को अस्पताल प्रबंधन की ओर से रितेश के पिता को योजना के तहत ट्रामा सेंटर में भर्ती किया गया है. एडमिट होने के करीब पांच दिन बाद अस्पताल प्रबंधन को लगभग 80 हजार रुपये नकद देने के बाद आयुष्मान योजना का लाभ दिया गया जो कि आपत्तिजनक है और निषेधात्मक कार्रवाई अनुशंसित है.
जांच रिपोर्ट को नकारते हुए मृतक के बेटे ने सवाल उठाए हैं. रितेश का कहना है कि 'डॉ. त्रिपाठी को बचाने के लिए फर्जी अटेंडेंस डायरी दिखाकर जांच कमेटी को गुमराह किया गया'. उन्होंने कहा कि जांच कमेटी CCTV फुटेज देखकर तय करें कि, डॉ त्रिपाठी ऑपरेशन के बाद मरीज को देखने आए थे या नहीं.
लोक आयोग में की शिकायत
रितेश ने लोक आयोग में CMHO के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. मामले की सुनवाई चार जुलाई को होगी. पीड़ित का आरोप है कि जांच कमिटी ने अस्पताल प्रबंधन के दबाव में सही ढंग से जांच नहीं की है. उनका आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन की टीम में पूर्व महापौर जोगेश लाम्बा के भाई उमेश लाम्बा शामिल हैं, जिन्होंने 6 जनवरी को उनके परिजन से दुर्व्यवहार किया था.
स्वास्थ्य मंत्री से भी की फरियाद
इस मामले में पीड़ित ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से भी मिलकर इसकी शिकायत की है. वहीं CMHO बीबी बोडे का कहना है कि 'बालाजी ट्रामा सेंटर को जांच प्रतिवेदन के आधार पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था और जवाब संतोषजनक नहीं मिलने पर ट्रामा सेंटर का आयुष्मान योजना से नाम निरस्त करने की कार्रवाई का लेटर रायपुर भेजा गया है.