कोरबा: कोरोन संकट के बीच मास्क और सैनिटाइजर जैसी अहम सुरक्षा के बिना ही सरकारी कर्मचारी सामुदायिक सर्विलेंस का कार्य कर रहे हैं. जिसके तहत डोर टू डोर सर्वे कर लोगों से कोरोना के लक्ष्णों और ट्रैवल हिस्ट्री की जानकारी एकत्र की जा रही है. इस दौरान कई घर ऐसे भी हैं जिन्हें होम क्वॉरेंटाइन किया गया है. जहां कोविड-19 का पोस्टर भी चिपका हुआ है. इसके बावजूद प्रशासन सर्वे करने वाले कर्मचारियों को सुरक्षा के पुख्ता उपकरण प्रदान नहीं कर रही है.
कोरबा जिले में प्रदेश के सर्वाधिक 28 कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए गए थे. जिले को रेड जोन घोषित किया गया था. वर्तमान में पिछले 21 दिनों से कोई भी पॉजिटिव मरीज सामने नहीं आए हैं. जिससे फिलहाल जिला ऑरेंज जोन में है. अब जिले की सुरक्षा और भी पुख्ता करने के लिए नगर निगम क्षेत्र में प्रशासन ने सक्रिय सामुदायिक सर्विलेंस का कार्य शुरू किया है. जिसके तहत नगर पालिक निगम के सभी 67 वार्ड के सरकारी कर्मचारियों को सर्वे का काम सौंपा गया है. इस कार्य के लिए प्रशासन ने मितानिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और शिक्षकों को सर्वे टीम में शामिल किया गया है. 67 वार्ड के लिए कुल 201 टीमें बनाई गई हैं.
सुरक्षा के उपकरण नहीं
लॉकडाउन के दौरान मिली छूट के बाद जिले में अचानक भीड़ बढ़ गई है. ऐसे में कर्मचारियों को सर्वे का काम सौंपा गया है. निचले स्तर के सरकारी कर्मचारी घर-घर जाकर जनता से जानकारी जुटा रहे हैं. इस दौरान उन्हें मास्क, ग्लब्स, सैनिटाइजर या पीपीई किट जैसे कोई भी सुरक्षा के उपकरण नहीं दिए गए हैं. कर्मचारी कई ऐसे घरों में भी जा रहे हैं जिन्हें पहले में होम क्वॉरेंटाइन में रखा गया था. जहां कोविड-19 के पर्चे चिपकाए गए हैं. वहीं कर्मचारी अपने स्तर पर सुरक्षा के उपाय कर रहे हैं.
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जिम्मेदारी समझकर कर रहे काम
जिले के वार्ड क्रमांक 54 में ड्यूटी दे रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्यामता पटेल ने बताया कि 'सर्वे के दौरान हम, सभी लोगों से मेडिकल हिस्ट्री के साथ ही ट्रेवल हिस्ट्री की जानकारी पूछ रहे हैं. कोरोना के लक्षण संबंधी जानकारी जुटा रहे हैं. विभाग की ओर से हमें मास्क सैनिटाइजर आदि कुछ भी नहीं मिला है, लेकिन हम इसे अपनी जिम्मेदारी समझकर निभा रहे हैं.'