कोरबा : जिले के 2 शिक्षक धरमलाल लहरे और गौरव शर्मा ने कोरबा को गौरवान्वित किया है. दोनो ही शिक्षा विभाग में व्याख्याता के पद पर कार्यरत हैं. दोनों को उनके बेहतरीन काम और शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए राज्यपाल पुरस्कार से नवाजा गया है. गौरव मास्टर ट्रेनर है, वह 9वीं से लेकर 12वीं तक की कक्षाओं के लिए पुस्तकें लिख चुके हैं. वहीं धरमलाल शैक्षणिक दायित्वों के साथ ही बच्चों के काफी करीब हैं. इसके अलावा वह हर साल स्कूल और आसपास के इलाकों में 500 से ज्यादा पौधे लगाकर पर्यावरण को संरक्षित भी कर रहे हैं.
धरमलाल और गौरव की इस उपलब्धि पर जिला शिक्षा अधिकारी गोवर्धन भारद्वाज ने उन्हें बधाई देकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है. भारद्वाज ने कहा कि दोनों का काम बेहतरीन है. अन्य शिक्षकों को भी इनके कार्यों से प्रेरणा लेकर शिक्षा की दिशा में बेहतर कार्य करने चाहिए.
राज्यपाल पुरस्कार प्राप्त कर चुके गौरव शर्मा का योगदान
गौरव शर्मा शिक्षा विभाग में व्याख्याता के पद पर काम कर रहे हैं. वह जिले के दूरस्थ विद्यालय उच्चतर माध्यमिक स्कूल कुदुरमाल में पदस्थ थे. यहां रहते हुए उन्होंने बच्चों को बेहतर शिक्षा दी. गौरव केमिस्ट्री विषय के शिक्षक हैं. उन्हें केमिस्ट्री में महारत हासिल है. गौरव 9वीं और 10वीं के केमिस्ट्री विषय को लिखने वाले लेखक दल में भी शामिल है.
गौरव की योग्यता को देखते हुए विभाग ने इन्हें मास्टर ट्रेनर की जिम्मेदारी दी है. अब गौरव विभाग के शिक्षकों को बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए ट्रेनिंग देते हैं.
गौरव कहते हैं कि कोरोना काल में हमने काम के साथ आराम भी किया. अब समय है कि हमें बच्चों का भविष्य संवारने में अपना योगदान देना चाहिए. कोरोना के समय में भी हमने कोरोना वारियर्स के तौर पर काम किया. उनके आह्वान पर कई शिक्षकों ने आगे आकर जिम्मेदारी ली. फिर से एक बार समय आ गया है कि बच्चों को शिक्षा की धुरी से जोड़ कर रखें. उनका आने वाले कल को मजबूत करें.
धरमलाल लहरे का योगदान
धरमलाल लहरे जिले के हाई स्कूल कोथारी में व्याख्याता के पद पर पदस्थ हैं. वह नवाचार के लिए पहचाने जाते हैं. राज्यपाल पुरस्कार के बाद यह तथ्य विस्थापित भी हो चुका है. धरमलाल समय से 1 घंटे पहले ही स्कूल पहुंच जाते हैं और छुट्टी होने के 1 घंटे बाद वापस घर लौटते हैं. शिक्षा के प्रति उनका समर्पण गजब का है.
धरमलाल कहते हैं कि ऐसा कोई भी साल नहीं होगा, जब उन्होंने एजुकेशन से हटकर कोई अन्य प्रयास नहीं किया हो. पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बच्चों के साथ मिलकर हर वर्ष 500 की संख्या में पौधे लगवाते हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों को पढ़ाने के लिए कई टूल्स का भी उपयोग करते हैं. नवाचारी तरीके से बच्चों को पढ़ाते हैं, ताकि उन्हें सीखने में आसानी हो.