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कोंडागांव: जिन्हें कोई सहारा नहीं देता, उन्हें 'जिंदगी' दे रहे ये युवा

अक्सर हर शहर-गांव के चौक-चौराहों में भटके मानसिक रोगी घूमते नजर आते रहे हैं, जो सर्दी, गर्मी, बारिश की मार सहते हुए इधर-उधर भटकते रहते हैं. इन्हीं लोगों को उनके परिवार से मिलाने का नेक काम कर रहे हैं कोंडागांव के पांच नौजवान.

33 विक्षिप्तों को परिवार से मिलवाया
33 विक्षिप्तों को परिवार से मिलवाया
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Published : Mar 19, 2020, 7:48 PM IST

Updated : Mar 20, 2020, 1:55 AM IST

कोंडागांव: कोंडागांव: मानव जीवन का उद्देश्य है अपने तन, मन और वचन से लोगों की मदद करना. खुद खुश रहना और औरों को भी खुशियां बांटना. कुछ ऐसा ही कर रहे हैं एक समाजसेवी संस्था के युवा. 5 युवाओं की ये टोली किसी न किसी की जिंदगी में मुस्कान बन कर पहुंचती है. ये सभी पिछले 2 साल से मानसिक तौर पर कमजोर लोगों को इलाज पहुंचाने में मदद कर रहे हैं. इतना ही नहीं ये ऐसे लोगों को उनके परिवारवालों से भी मिलवा रहे हैं.

अक्सर हर शहर-गांव के चौक-चौराहों में मानसिक रोगी घूमते नजर आते रहे हैं, जो सर्दी, गर्मी, बारिश की मार सहते हुए इधर-उधर भटकते रहते हैं. इनके लिए कोई विशेष सुविधा नहीं की गई है, जिससे इनके जीवन में कोई सुधार आ सके. इस सबको देखते हुए इन युवाओं ने मानसिक रोगियों को ढूंढ़ कर उनके जीवन में नया सवेरा लाने की कोशिश की.

जिन्हें कोई सहारा नहीं देता, उन्हें 'जिंदगी' दे रहे ये युवा

सेंदरी में संचालित है मानसिक सुधार गृह

समाजसेवी संस्था में काम करने वाले ये युवा बताते हैं कि वे शहर में विक्षिप्तों की तलाश करते हैं. इन्हें जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन के सहयोग से मानसिक रोग उपचार केंद्र भेजा जाता है. ये सेंटर बिलासपुर के सेंदरी में स्थित है. ये पांचों युवा कोंडागांव के रहने वाले हैं, जिनका नाम मोहम्मद शकील सिद्दीकी, यतींद्र छोटू सलाम, भोला गौरव ठाकुर, अतुन ठाकुर, पवन ठाकुर शामिल हैं.

युवाओं ने 33 लोगों को उनके परिवार से मिलवाया

युवाओं ने बताया कि इस पहल से वे अब तक 80 में से 33 लोगों को इलाज कराकर उनके परिवार से मिलवा चुके हैं. वहीं जिसका पता नहीं मिलता उनको वृद्ध आश्रम में रखवा देते हैं, जिससे वो लावारिस की तरह अपनी जिंदगी न काटें बल्कि लोगों के साथ मिलकर हंसी-खुशी रहें'.

किसी मिसाल से कम नहीं हैं पांचों युवा

बशीर बद्र ने लिखा है...कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से...ये नए मिजाज का शहर है जरा फासले से मिला करो...दुनिया तो इसी लाइन पर चल रही है लेकिन ये युवा ठीक उल्टा ही कर रहे हैं. जिन्हें जिंदगी में कोई सहारा नहीं मिलता, उन्हें ये गले लगाकर नई जिंदगी दे रहे हैं.

कोंडागांव: कोंडागांव: मानव जीवन का उद्देश्य है अपने तन, मन और वचन से लोगों की मदद करना. खुद खुश रहना और औरों को भी खुशियां बांटना. कुछ ऐसा ही कर रहे हैं एक समाजसेवी संस्था के युवा. 5 युवाओं की ये टोली किसी न किसी की जिंदगी में मुस्कान बन कर पहुंचती है. ये सभी पिछले 2 साल से मानसिक तौर पर कमजोर लोगों को इलाज पहुंचाने में मदद कर रहे हैं. इतना ही नहीं ये ऐसे लोगों को उनके परिवारवालों से भी मिलवा रहे हैं.

अक्सर हर शहर-गांव के चौक-चौराहों में मानसिक रोगी घूमते नजर आते रहे हैं, जो सर्दी, गर्मी, बारिश की मार सहते हुए इधर-उधर भटकते रहते हैं. इनके लिए कोई विशेष सुविधा नहीं की गई है, जिससे इनके जीवन में कोई सुधार आ सके. इस सबको देखते हुए इन युवाओं ने मानसिक रोगियों को ढूंढ़ कर उनके जीवन में नया सवेरा लाने की कोशिश की.

जिन्हें कोई सहारा नहीं देता, उन्हें 'जिंदगी' दे रहे ये युवा

सेंदरी में संचालित है मानसिक सुधार गृह

समाजसेवी संस्था में काम करने वाले ये युवा बताते हैं कि वे शहर में विक्षिप्तों की तलाश करते हैं. इन्हें जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन के सहयोग से मानसिक रोग उपचार केंद्र भेजा जाता है. ये सेंटर बिलासपुर के सेंदरी में स्थित है. ये पांचों युवा कोंडागांव के रहने वाले हैं, जिनका नाम मोहम्मद शकील सिद्दीकी, यतींद्र छोटू सलाम, भोला गौरव ठाकुर, अतुन ठाकुर, पवन ठाकुर शामिल हैं.

युवाओं ने 33 लोगों को उनके परिवार से मिलवाया

युवाओं ने बताया कि इस पहल से वे अब तक 80 में से 33 लोगों को इलाज कराकर उनके परिवार से मिलवा चुके हैं. वहीं जिसका पता नहीं मिलता उनको वृद्ध आश्रम में रखवा देते हैं, जिससे वो लावारिस की तरह अपनी जिंदगी न काटें बल्कि लोगों के साथ मिलकर हंसी-खुशी रहें'.

किसी मिसाल से कम नहीं हैं पांचों युवा

बशीर बद्र ने लिखा है...कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से...ये नए मिजाज का शहर है जरा फासले से मिला करो...दुनिया तो इसी लाइन पर चल रही है लेकिन ये युवा ठीक उल्टा ही कर रहे हैं. जिन्हें जिंदगी में कोई सहारा नहीं मिलता, उन्हें ये गले लगाकर नई जिंदगी दे रहे हैं.

Last Updated : Mar 20, 2020, 1:55 AM IST
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