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SPECIAL: खास हैं गोबर से बने ये Ecofriendly दीये, महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर

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Published : Oct 16, 2019, 2:53 PM IST

Updated : Oct 16, 2019, 6:02 PM IST

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने बड़े कनेरा गांव में 15 से 20 महिलाओं के समूह को गोबर के पाउडर से ईको फ्रेंडली दीये बनाने की ट्रेनिंग दी गई है. ये महिलाएं दीए के साथ और भी कई चीजें बनाती हैं.

खास हैं गोबर से बने ये Ecofriendly दीये

कोंडागांव: जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत बड़े कनेरा की महिलाएं बिहान योजना से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. महिलाओं को सशक्त, सबल और स्वावलंबी बनाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका बेहतर क्रियान्वयन से महिलाओं को इसका लाभ भी मिल रहा है.

गोबर के दीये बनाती महिलाएं

इसी कड़ी में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने बड़े कनेरा गांव में 15 से 20 महिलाओं के समूह को गोबर के पाउडर से ईको फ्रेंडली दीये बनाने की ट्रेनिंग दी है. ये महिलाएं दीए के साथ और भी कई चीजें बनाती हैं.

बनकर तैयार गोबर के दीये और आकर्षक सामान
बनकर तैयार गोबर के दीये और आकर्षक सामान

ऑर्डर के साथ बढ़ेगी दीयों की सप्लाई
ग्रामीण महिलाएं इस काम से काफी उत्साहित हैं और घर के काम और खेती-किसानी करने के बाद इसके लिए अतिरिक्त समय निकालकर यहां गोबर से अलग-अलग सामानों का निर्माण कर रही हैं.

महिलाओं ने बताया कि इस दिवाली में ज्यादा से ज्यादा दीयों की बिक्री का अनुमान है. फिलहाल एक दीये की कीमत 5 रुपए रखी गई है. जैसे-जैसे ऑर्डर और सप्लाई बढ़ेगी तो इसकी कीमत में भी कमी आएगी.

दीये बनाने की शुरूआती प्रक्रिया
दीये बनाने की शुरूआती प्रक्रिया

लगातार मेहनत करती हैं महिलाएं
जिला पंचायत CEO नूपुर राशि पन्ना ने बताया कि, “अभी अलग-अलग समूहों की 15 से 20 महिलाएं इस योजना से जुड़ी हैं. दंतेवाड़ा से अभी लगभग 4000 दीए बनाकर सप्लाई करने का ऑर्डर आया है जो पूरा भी हो चुका है.”

धुप में सूखते दीये
धुप में सूखते दीये

आर्गेनिक खाद भी बना रहीं महिलाएं
CEO ने बताया कि, 'महिला समूह द्वारा दीये और दूसरी सामग्रियों के साथ-साथ आर्गेनिक खाद का निर्माण भी किया जा रहा है. दूसरी कई योजनाओं को शुरू करने पर विचार किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं योजनाओं का लाभ लेकर बेहतर आय अर्जित कर जीवन यापन कर सकें.'

दीये बनाती महिलाएं
दीये बनाती महिलाएं

ये है बनाने की विधि

  • इन दीयों को बनाने में गोबर के पाउडर और प्रीमिक्स (मुल्तानी मिट्टी और गोंद) का उपयोग किया जाता है.
  • गोबर के पाउडर और प्रीमिक्स को पानी में मिलाकर कड़ा मिश्रण बनाया जाता है.
  • मिश्रण तैयार हो जाने के बाद इसकी छोटी लोई बनाकर इसे दीया बनाने वाले विशेष सांचे में ढाल दिया जाता है.
  • सांचे से बने हुए दीये को बाहर निकालकर धूप में सुखा दिया जाता है.
  • दीयों के सूख जाने के बाद इनका रंग-रोगन कर इन्हें खूबसूरत ईको फ्रेंडली दीये का रूप दे दिया जाता है.

कोंडागांव: जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत बड़े कनेरा की महिलाएं बिहान योजना से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. महिलाओं को सशक्त, सबल और स्वावलंबी बनाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका बेहतर क्रियान्वयन से महिलाओं को इसका लाभ भी मिल रहा है.

गोबर के दीये बनाती महिलाएं

इसी कड़ी में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने बड़े कनेरा गांव में 15 से 20 महिलाओं के समूह को गोबर के पाउडर से ईको फ्रेंडली दीये बनाने की ट्रेनिंग दी है. ये महिलाएं दीए के साथ और भी कई चीजें बनाती हैं.

बनकर तैयार गोबर के दीये और आकर्षक सामान
बनकर तैयार गोबर के दीये और आकर्षक सामान

ऑर्डर के साथ बढ़ेगी दीयों की सप्लाई
ग्रामीण महिलाएं इस काम से काफी उत्साहित हैं और घर के काम और खेती-किसानी करने के बाद इसके लिए अतिरिक्त समय निकालकर यहां गोबर से अलग-अलग सामानों का निर्माण कर रही हैं.

महिलाओं ने बताया कि इस दिवाली में ज्यादा से ज्यादा दीयों की बिक्री का अनुमान है. फिलहाल एक दीये की कीमत 5 रुपए रखी गई है. जैसे-जैसे ऑर्डर और सप्लाई बढ़ेगी तो इसकी कीमत में भी कमी आएगी.

दीये बनाने की शुरूआती प्रक्रिया
दीये बनाने की शुरूआती प्रक्रिया

लगातार मेहनत करती हैं महिलाएं
जिला पंचायत CEO नूपुर राशि पन्ना ने बताया कि, “अभी अलग-अलग समूहों की 15 से 20 महिलाएं इस योजना से जुड़ी हैं. दंतेवाड़ा से अभी लगभग 4000 दीए बनाकर सप्लाई करने का ऑर्डर आया है जो पूरा भी हो चुका है.”

धुप में सूखते दीये
धुप में सूखते दीये

आर्गेनिक खाद भी बना रहीं महिलाएं
CEO ने बताया कि, 'महिला समूह द्वारा दीये और दूसरी सामग्रियों के साथ-साथ आर्गेनिक खाद का निर्माण भी किया जा रहा है. दूसरी कई योजनाओं को शुरू करने पर विचार किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं योजनाओं का लाभ लेकर बेहतर आय अर्जित कर जीवन यापन कर सकें.'

दीये बनाती महिलाएं
दीये बनाती महिलाएं

ये है बनाने की विधि

  • इन दीयों को बनाने में गोबर के पाउडर और प्रीमिक्स (मुल्तानी मिट्टी और गोंद) का उपयोग किया जाता है.
  • गोबर के पाउडर और प्रीमिक्स को पानी में मिलाकर कड़ा मिश्रण बनाया जाता है.
  • मिश्रण तैयार हो जाने के बाद इसकी छोटी लोई बनाकर इसे दीया बनाने वाले विशेष सांचे में ढाल दिया जाता है.
  • सांचे से बने हुए दीये को बाहर निकालकर धूप में सुखा दिया जाता है.
  • दीयों के सूख जाने के बाद इनका रंग-रोगन कर इन्हें खूबसूरत ईको फ्रेंडली दीये का रूप दे दिया जाता है.
Intro:जिला मुख्यालय कोंडागांव से लगभग 20 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत बड़े कनेरा की महिलाएं बिहान योजना से जुड़ बनीं आत्मनिर्भर......Body:महिलाओं को सशक्त, सबल व स्वावलंबी बनाने केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका क्रियान्वयन भी बेहतर तरीके से किया जा रहा है व महिलाओं को इसका लाभ भी मिल रहा है।
इसी कड़ी में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा बड़े कनेरा में 15 से 20 महिलाओं के समूह को गोबर के पाउडर से दीए बनाने की ट्रेनिंग दी गई इस कार्य में जिला पंचायत कोंडागांव नूपुर राशि पन्ना ने अधिक से अधिक ग्रामीण महिलाओं को जोड़ कार्य शुरू किया ।
अभी शुरुआत में लगभग 15 से 20 महिलाएं इस योजना से जुड़ कर दियो व अन्य सामग्रियों का निर्माण कार्य कर रहीं हैं।
ग्रामीण महिलाएं इस कार्य से काफी उत्साहित हैं घर के कार्य व कृषि कार्य के बाद इसके लिए अतिरिक्त समय निकाल यहां गोबर से अलग-अलग वस्तुओं का निर्माण कर वे कर रहीं हैं।
बाइट_नूपुर राशि पन्ना, जिला पंचायत सीईओ कोंडागांव,
बाइट_ पूर्णिमा बघेल, ग्रामीण महिला, बड़े कनेरा( गोबर से दीए बनाने का प्रोसेस बताती हुई)Conclusion:जिला पंचायत सीईओ ने बताया कि अभी अलग-अलग समूहों की 15 से 20 महिलाएं इस योजना से जुड़ी हैं, दंतेवाड़ा से अभी लगभग 4000 दिए बनाकर सप्लाई करने का ऑर्डर आया है जो कि लगभग पूर्ण भी हो चुका है और अभी आगे सप्लाई के लिए महिलाएं लगातार मेहनत कर दियो का निर्माण कर रही हैं महिलाओं ने बताया कि इस दीवाली में ज्यादा से ज्यादा दीयों की बिक्री का अनुमान है एक दिए की कीमत ₹5 रखी गई है जैसे-जैसे ऑर्डर व सप्लाई बढ़ेगी तो इसके दाम में भी कमी आएगी।
इन दीयो को बनाने में गोबर के पाउडर व प्रीमिक्स( मुल्तानी मिट्टी+ गोंद) का उपयोग होता है ,
इससे केवल दीए ही नहीं अलग अलग आकृति की चीजें भी बनाई जा रही हैं।
इस योजना से आज महिलाएं आत्मनिर्भर व बेहतर आय अर्जित कर एक स्वस्थ जीवन यापन हेतु प्रेरित हो रही हैं ।

जिला पंचायत सीईओ ने बताया कि अभी महिलाओं के समूह द्वारा दिए व अन्य सामग्रियों के साथ-साथ आर्गेनिक खाद का निर्माण भी किया जा रहा है धीरे-धीरे और भी कई योजनाओं को अमलीजामा पहनाने की तैयारी चल रही है ताकि अधिक से अधिक महिलाएं योजनाओं का लाभ ले बेहतर से बेहतर आय अर्जित कर जीवन यापन कर सकें।
Last Updated : Oct 16, 2019, 6:02 PM IST
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