कोंडागांव: डेढ़ साल की बच्ची को लेकर एक आदिवासी ग्रामीण कलेक्टर कार्यालय में सुसाइड करने पहुंचा. ग्रामीण का आरोप है कि पुलिस और जिला प्रशासन ने परिवार की समस्या तक जानने की कोशिश नहीं की है. समस्याओं के समाधान के लिए पिछले 4 सालों से लगातार आवेदन देने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो ग्राम कोसागांव का ग्रामीण सुसाइड की अनुमति लेने कलेक्टर ऑफिस पहुंचा था. इस मामले में जिला प्रशासन पर आदिवासी ग्रामीण के प्रति संवेदनहीनता के आरोप लग रहे हैं.
रामकुमार नेताम अपनी पत्नी और डेढ़ साल की बेटी के साथ जिला कार्यालय परिसर में रस्सी लेकर पहुंचा था. जानकारी मिलने पर जब मीडिया के लोग मौके पर पहुंचे. वहां मौजूद लोगों ने उसे आत्महत्या करने से रोका.
4 साल से अफसरों के चक्कर काट रहा ग्रामीण आत्महत्या की अनुमति लेने पहुंचा
3 फरवरी को आवेदन दिए जाने के बाद से ही ग्राम कोसागांव में पटवारी, तहसीलदार के साथ-साथ एसडीएम भी पहुंचे और उससे उसके काबिज जमीन को दिखाने को कहा गया. उसने अपनी काबिज जमीन को दिखा दिया. लेकिन कलेक्टर ने इस संबंध में अब तक कोई जवाब नहीं दिया है. पूरा मामला जमीन के पट्टे और आवास से जुड़ा हुआ है. ग्रामीण का आरोप है कि वह 4 साल से पट्टे देने और आवास की मांग कर रहा है. लेकिन उसकी सुध अबतक प्रशासन ने नहीं ली.
जिला प्रशासन के खिलाफ होगा आंदोलन
सीपीआई के जिला सचिव तिलक पांडे, आप के आषुतोश पांडे और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के जिला अध्यक्ष नरेंद्र नेताम ने कहा कि कलेक्टोरेट कोंडागांव के सामने जो नजारा देखने को मिला वह बेहद दुखद था. एक आदिवासी परिवार द्वारा आत्महत्या कर लेने के आवेदन को पुलिस और जिला प्रशासन ने कोई भी तवज्जो नहीं दी. जो प्रशासन की संवेदनहीनता को दर्शाती है. यदि प्रशासन ने तवज्जो दिया होता तो रामकुमार को अपने परिवार के साथ जिला कार्यालय में आकर आत्महत्या करने को मजबूर न होना पड़ता. सभी विपक्षी दलों के लोग रामकुमार के केस को लेकर जिला प्रशासन और कांग्रेस सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की बात कह रहे हैं.