कोंडागांव: पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने प्रेस कॉन्फ्रेंंस कर मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कई आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि सातवें साल की शुरुआत में केंद्र सरकार ने भारत को ऐसे मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया जहां देश का नागरिक सरकार की असंवेदनशीलता की पीड़ा सहने को मजबूर है.
इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी के विकास के 60 साल बनाम 60 महीने के नारे को पूरी तरह असफल बताया. उन्होंने कहा कि आज सरकार के पास उपलब्धि के नाम पर दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है. देश के बेरोजगारों को हर साल दो करोड़ नौकरी देने के वादे के साथ सत्ता में आई लेकिन 2017-18 से भारत में पिछले 45 सालों से सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर रही.
'मोदी सरकार ने मजदूरों को किया मजबूर'
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं कोरोना महामारी के बीच आठ करोड़ प्रवासी मजदूर बिना खाने-पीने के सैकड़ों हजारों किलोमीटर दूर अपने गांव पैदल जाने को मजबूर हुए लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा कि अगर लॉकडाउन वन के पहले ही मजदूरों की घर वापसी होती तो आज मजदूर कोरोना संक्रमित नहीं होते.
'भूपेश सरकार ने की स्पेशल ट्रेन की मांग'
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मजदूरों के घर वापसी के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग की, तब बीजेपी नेताओं ने ट्रेन चलाने का विरोध किया और बस से लाने की बात कही. मोदी सरकार के कुप्रबंधन और गलत फैसलों और अदूरदर्शिता के कारण छत्तीसगढ़ और पूरे देश के मजदूर कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं.
'बीजेपी नेता केवल घड़ियाली आंसू बहा रहे'
पीसीसी चीफ ने कहा कि छत्तीसगढ़ भाजपा के नेता मजदूरों के नाम से घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. घर पहुंच चुके मजदूरों से झूठी हमदर्दी जता रहे हैं. भाजपा के नेता तब कहां थे जब मोदी सरकार के अचानक लॉकडाउन के फैसले से छत्तीसगढ़ सहित देशभर के मजदूर दूसरे राज्यों के संक्रमित एरिया में 2 माह तक फंसे रहे.
'मोदी सरकार को मजदूरों की चिंता नहीं'
वहीं मोदी सरकार को जितनी चिंता विदेशों में फंसे भारतीयों की थी अगर उतनी चिंता देश के भीतर फंसे कामगारों ,श्रमिकों , पर्यटन यात्रियों और छात्रों की होती तो लॉकडाउन से पहले ही सभी सुरक्षित अपने घर पहुंच जाते. मजदूरों को सड़कों और रेल पटरियों में पैदल नहीं भटकना पड़ता और मजदूर दुर्घटना के शिकार नहीं होते.
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भूपेश सरकार की तारीफ
इसके साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि भूपेश बघेल सरकार की दूरदर्शिता है जो कोरोना महामारी संकट को भांपते हुए राज्य के नागरिकों की सुरक्षा के लिए सभी सार्वजनिक कार्यक्रम को तत्काल बैन किया. होली मिलन के आयोजनों से दूरी बनाई इतना ही नहीं राज्य के नागरिकों से सुरक्षित रहने की अपील की.