कोंडागांव : नगरपालिका क्षेत्र कोंडागांव में दो अलग-अलग शॉपिंग कॉन्प्लेक्स और स्विमिंग पूल का लोकार्पण पीसीसी चीफ एवं स्थानीय विधायक मोहन मरकाम ने किया.लेकिन स्विमिंग पूल के उद्घाटन और लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान ही अजीब तस्वीर देखने को मिली. क्योंकि पीसीसी चीफ के इस लोकार्पण कार्यक्रम में नगरपालिका समेत स्थानीय प्रशासन के कई नेताओं ने दूरी बना ली.
मोहन मरकाम ने दी सफाई : बीते दिनों कोंडागांव प्रवास के दौरान भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सह प्रभारी नितिन नवीन ने कहा था कि '' पीसीसी चीफ एवं स्थानीय विधायक मोहन मरकाम को तो यहां का कोई भी अधिकारी नहीं सुनता है. ना तवज्जो देता है.'' वह बात आज यहां स्पष्ट नजर आयी. लगभग ढाई करोड़ की लागत से बनाए गए स्विमिंग पूल के उद्घाटन और लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस के नगर पालिका अध्यक्ष समेत नगर पालिका सीएमओ, उपाध्यक्ष सभी नदारद रहे. जब इस संबंध में पीसीसी चीफ मोहन मरकाम से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि '' वह रात को 10:00 बजे ही रायपुर से लौटे हैं और प्रोटोकॉल जारी हुआ था. उसके बाद भी अधिकारी कर्मचारी क्यों नहीं आये हैं. इस लोकार्पण कार्यक्रम में वे इसका पता लगाएंगे.''
बीजेपी ने मामले में मोहन मरकाम को घेरा:वहीं इस संबंध में पूर्व मंत्री लता उसेंडी का कहना है कि '' डॉ रमन सिंह के मुख्यमंत्री रहने के दौरान वर्ष 2011-12 में उनके मंत्री कार्यकाल में यह स्विमिंग पूल स्वीकृत हुआ था. उसके बाद मोहन मरकाम के विधायक काल के दौरान यह इतने विलम्ब से बन पाया है.आगामी चुनाव सिर पर होने के कारण मोहन मरकाम ने इसे आनन-फानन में अपूर्ण अवस्था में ही श्रेय लेने के चक्कर में उद्घाटन एवं लोकार्पण किया है.''
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क्या है नगर पालिका उपाध्यक्ष का बयान : इस मामले को लेकर नगरपालिका कोंडागांव के उपाध्यक्ष जसकेतु उसेंडी का कहना है कि '' उन्हें इस लोकार्पण और उद्घाटन समारोह के संबंध में कोई भी जानकारी नहीं है. बल्कि वे तो यह जानते हैं कि 2 मार्च को एक पत्र जारी हुआ था. जिसमें इस स्विमिंग पूल के अपूर्ण होने की जानकारी उन्हें प्राप्त थी .किसी भी प्रकार के लोकार्पण एवं उद्घाटन कार्यक्रम को आगे पोस्टपोन करने के लिए पत्र जारी किया गया था.'' मोहन मरकाम के आनन-फानन में इस तरह स्विमिंग पूल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के लोकार्पण उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर उनके ही पार्टी कार्यकर्ताओं और अधिकारी कर्मचारियों ने दूरी बनाई है. जो यह दर्शाता है कि उनकी कोंडागांव में कोई नहीं सुनता है.