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कोंडागांव में 50 लाख का धान सड़ा, अब सड़े धान के चावल को PDS में खपाने की तैयारी

कोंडागांव के धान खरीदी केंद्र में 50 लाख का धान खरीदी केंद्र के प्रभारी की लापरवाही की भेंट चढ़ गया.धान बचाने के लिए केंद्र प्रभारी के पास पर्याप्त संसाधन मौजूद थे.लेकिन धान को बचाने में किसी तरह की दिलचस्पी नहीं दिखाई गई.

Negligence of in-charge of paddy procurement center
धान खरीदी केंद्र के प्रभारी की लापरवाही
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Published : Mar 16, 2022, 9:55 PM IST

Updated : Mar 17, 2022, 11:52 AM IST

कोंडागांव : छत्तीसगढ़ सरकार ने 7 फरवरी 2022 तक धान खरीदी की. प्रदेश में इस वित्तीय वर्ष में तय टारगेट से ज्यादा धान खरीदी हुई है. धान केंद्रों से मिलर्स धान उठाव भी कर रहे हैं.लेकिन बस्तर के कोंडागांव में कुछ धान खरीदी केंद्र ऐसे भी हैं जिन पर कार्रवाई की गई है.इन धान खरीदी केंद्रों में रखरखाव को लेकर लापरवाही बरती गई थी.जिसके बाद जिले के कलेक्टर ने धान खरीदी केंद्र के प्रभारियों और मिलर्स पर कड़ी कार्रवाई की. उचित सुरक्षा और भण्डारण के अभाव में हजारों क्विंटल धान की बोरियां बारिश में भींग गईं थी. जिसके बाद बोरियों में अंकुरण और सड़न शुरु हो गई थी.

कोंडागांव के धान खरीदी केंद्र में लापरवाही

कहां का है मामला ?

फरसगांव विकासखंड के लंजोड़ा लेम्प्स धान खरीदी में लापरवाही देखने को मिली. जिला विपणन अधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी अनुसार खरीफ फसल वर्ष 2021-22 में 07 फरवरी तक लंजोड़ा धान उपार्जन केंद्र में 36291 क्विंटल धान की खरीदी की गई थी.जिसमें से 16298 क्विंटल धान परिवहनकर्ता ने उठाया. जबकि 15029 क्विंटल धान का उठाव मिलर्स ने किया. इस प्रकार 31957 क्विंटल धान का उठाव लंजोड़ा लेम्प्स धान खरीदी केंद्र से हुआ. बचा हुए 4334 क्विंटल धान में से 2309 क्विंटल धान का DO (डिलीवरी ऑर्डर) और TO (ट्रांसपोर्ट आर्डर) जिला विपणन कार्यालय से कट चुका है. इस धान का उठाव होना बाकी है.

वहीं 2025 क्विंटल धान अब भी विभागीय जानकारी अनुसार लंजोड़ा के धान खरीदी केंद्र में सुरक्षित है.जिसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी धान खरीदी केंद्र प्रभारी की है.लेकिन जिस धान को सुरक्षित माना जा रहा था दरअसल वो अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया. बेमौसम बारिश के कारण बचा हुआ धान पानी में भींगा जबकि खरीदी केंद्र प्रभारी के पास धान बचाने के संसाधन मौजूद थे.अब 5 हजार धान की बोरियों में से अंकुरित दाने दिख रहे हैं. कई बोरियां सड़ चुकी हैं.

यह भी पढ़ें: सदन में गोलबाजार : बृजमोहन ने पूछा-1920 में देश आजाद ही नहीं हुआ तो किसने दिया व्यापारियों को पट्टा...?

2000 क्विंटल धान सड़ा

बोरियों में रखे हुए खराब धान की मात्रा लगभग 2000 क्विंटल के आसपास है,जिसकी लागत 50 लाख आंकी गई है. सुरक्षा एवं भण्डारण हेतू पर्याप्त संसाधन और मौसम विभाग द्वारा दी गयी पूर्वानुमान की जानकारी के बावजूद जिम्मेदार लोगों ने धान की सुरक्षा और भण्डारण में लापरवाही बरती है. मामले में के एल उइके, सहायक पंजीयक, सहकारी संस्थाएं, कोंडागांव ने बताया कि बचे हुए 2025 क्विंटल धान बोरियों के बारिश में भीग ख़राब हो जाने की सूचना मिली है. भीगे हुए बोरों से पलटी कर धान को सुरक्षित कर संग्रहण केंद्र और मिलर्स को भेजा जाएगा.

यहां देखने वाली बात यह है कि स्तरहीन और ख़राब धान को पलटी करके मिलर्स को मिलिंग के लिए दिया जाएगा. फिर वह चावल ज़ब पीडीएस (सार्वजानिक वितरण प्रणाली) दुकानों में वितरण के लिए पहुंचेगा तो उसकी गुणवत्ता कैसी होगी? बारिश में भीगे खराब धान से निकले गुणवत्ता हीन चावल का खामियाजा आम उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल सकता है.

कोंडागांव : छत्तीसगढ़ सरकार ने 7 फरवरी 2022 तक धान खरीदी की. प्रदेश में इस वित्तीय वर्ष में तय टारगेट से ज्यादा धान खरीदी हुई है. धान केंद्रों से मिलर्स धान उठाव भी कर रहे हैं.लेकिन बस्तर के कोंडागांव में कुछ धान खरीदी केंद्र ऐसे भी हैं जिन पर कार्रवाई की गई है.इन धान खरीदी केंद्रों में रखरखाव को लेकर लापरवाही बरती गई थी.जिसके बाद जिले के कलेक्टर ने धान खरीदी केंद्र के प्रभारियों और मिलर्स पर कड़ी कार्रवाई की. उचित सुरक्षा और भण्डारण के अभाव में हजारों क्विंटल धान की बोरियां बारिश में भींग गईं थी. जिसके बाद बोरियों में अंकुरण और सड़न शुरु हो गई थी.

कोंडागांव के धान खरीदी केंद्र में लापरवाही

कहां का है मामला ?

फरसगांव विकासखंड के लंजोड़ा लेम्प्स धान खरीदी में लापरवाही देखने को मिली. जिला विपणन अधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी अनुसार खरीफ फसल वर्ष 2021-22 में 07 फरवरी तक लंजोड़ा धान उपार्जन केंद्र में 36291 क्विंटल धान की खरीदी की गई थी.जिसमें से 16298 क्विंटल धान परिवहनकर्ता ने उठाया. जबकि 15029 क्विंटल धान का उठाव मिलर्स ने किया. इस प्रकार 31957 क्विंटल धान का उठाव लंजोड़ा लेम्प्स धान खरीदी केंद्र से हुआ. बचा हुए 4334 क्विंटल धान में से 2309 क्विंटल धान का DO (डिलीवरी ऑर्डर) और TO (ट्रांसपोर्ट आर्डर) जिला विपणन कार्यालय से कट चुका है. इस धान का उठाव होना बाकी है.

वहीं 2025 क्विंटल धान अब भी विभागीय जानकारी अनुसार लंजोड़ा के धान खरीदी केंद्र में सुरक्षित है.जिसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी धान खरीदी केंद्र प्रभारी की है.लेकिन जिस धान को सुरक्षित माना जा रहा था दरअसल वो अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया. बेमौसम बारिश के कारण बचा हुआ धान पानी में भींगा जबकि खरीदी केंद्र प्रभारी के पास धान बचाने के संसाधन मौजूद थे.अब 5 हजार धान की बोरियों में से अंकुरित दाने दिख रहे हैं. कई बोरियां सड़ चुकी हैं.

यह भी पढ़ें: सदन में गोलबाजार : बृजमोहन ने पूछा-1920 में देश आजाद ही नहीं हुआ तो किसने दिया व्यापारियों को पट्टा...?

2000 क्विंटल धान सड़ा

बोरियों में रखे हुए खराब धान की मात्रा लगभग 2000 क्विंटल के आसपास है,जिसकी लागत 50 लाख आंकी गई है. सुरक्षा एवं भण्डारण हेतू पर्याप्त संसाधन और मौसम विभाग द्वारा दी गयी पूर्वानुमान की जानकारी के बावजूद जिम्मेदार लोगों ने धान की सुरक्षा और भण्डारण में लापरवाही बरती है. मामले में के एल उइके, सहायक पंजीयक, सहकारी संस्थाएं, कोंडागांव ने बताया कि बचे हुए 2025 क्विंटल धान बोरियों के बारिश में भीग ख़राब हो जाने की सूचना मिली है. भीगे हुए बोरों से पलटी कर धान को सुरक्षित कर संग्रहण केंद्र और मिलर्स को भेजा जाएगा.

यहां देखने वाली बात यह है कि स्तरहीन और ख़राब धान को पलटी करके मिलर्स को मिलिंग के लिए दिया जाएगा. फिर वह चावल ज़ब पीडीएस (सार्वजानिक वितरण प्रणाली) दुकानों में वितरण के लिए पहुंचेगा तो उसकी गुणवत्ता कैसी होगी? बारिश में भीगे खराब धान से निकले गुणवत्ता हीन चावल का खामियाजा आम उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल सकता है.

Last Updated : Mar 17, 2022, 11:52 AM IST
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