कोंडागांव: छत्तीसगढ़ राज्य के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र माने जाने वाले बस्तर संभाग के कोंडागांव जिले को नक्सल मुक्त कराने के लिए शासन प्रशासन कई योजनाएं चला रहा है. लेकिन हकीकत ये है कि इसका फायदा नक्सल पीड़ित परिवारों (naxal victims families) को मिल ही नहीं रहा है. कई नक्सल पीड़ित परिवार अपना सबकुछ छोड़कर पुलिस-प्रशासन की शरण में आए. लेकिन इन्हें जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वो अब तक नहीं मिली है. कई परिवारों को नक्सलियों ने उनके गांव से खदेड़ दिया, तो कुछ परिवार प्रशासन से मिले आश्वासन के बाद अपने गांव छोड़कर चले गए. लेकिन तब से उनकी हालत दयनीय बनी हुई है.
कोंडागांव जिले में ऐसे 80 परिवार हैं जो गांव, घर-जमीन, व्यवसाय सब कुछ छोड़कर नक्सल पीड़ित शासन-प्रशासन के कहने पर कहीं और जाकर बसे. शुरुआत में इन्हें 1 क्विंटल चावल, 10 किलो आलू, 10 किलो प्याज दिए गए. लेकिन उसके बाद किसी ने उनकी सुध नहीं ली. ग्रामीणों ने बताया कि शासन की तरफ से उन्हें ढाई लाख रुपये दिए जाने का आश्वासन दिया गया था.
ना आवास मिला ना रोजगार
आशियाने के नाम पर खपरैल और टिन का शेड बनाकर रहने के लिए दे दिया गया. जिसमें 3 परिवार के 16 लोग एक साथ रहते हैं. लेकिन बारिश होने पर वो भी रहने लायक नहीं है. जर्जर होने के कारण कभी भी दीवार ढहने का अंदेशा बना रहता है. साथ ही बारिश में छाता लेकर बैठना पड़ता है. ना रोजगार मिला है ना आवास मिला. जिसे लेकर वे सभी हतोत्साहित हैं. नक्सल पीड़ित अपनी मांगों को लेकर शासन-प्रशासन के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने की बात कह रहे हैं.
'शासन-प्रशासन ने सिर्फ आश्वसान दिया'
मर्दापाल क्षेत्र के युवक ने बताया कि 2013 में नक्सलियों ने उसके पिता की हत्या कर दी. इसके बाद 2017 में पूरा परिवार कोंडागांव पहुंचा, तब से वे यहीं रह रहे हैं. इस दौरान शासन या प्रशासन की तरफ से उन्हें किसी तरह की सुविधा नहीं मिल रही है.
दिल्ली जाने की दी चेतावनी
ग्रामीणों ने बताया कि फरवरी में भी वे कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक से मिलकर अपनी समस्याओं के बारे में बता चुके हैं. उस दौरान भी आश्वासन देकर उन्हें चुप करा दिया गया. लेकिन अब एक बार फिर वे 1 जुलाई को कलेक्ट्रेट के सामने अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन की बात कह रहे हैं. नक्सल पीड़ितों का कहना है कि यदि उनकी मांगे पूरी नहीं होती है तो वे दिल्ली जाकर अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन करेंगे.