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कोंडागांव: ODF घोषित होने के बाद खरीदे गए चलित शौचालय, देखरेख के अभाव में खा रहे जंग

स्वच्छता के क्षेत्र में तीन पुरस्कार हासिल कर चुके कोंडगांव जिले में करोड़ों रूपये के चलित शौचालय जंग खा रहें हैं. ODF घोषित होने के बाद इस जिले के गांव में शौचालयों के उपयोग के लिए चलित शौचालयों की खरीदी की गई थी, जो देखरेख के अभाव में जंग खा रही है.

Mobile toilets purchased for villagers in Kondagaon are rusting
चलित शौचालय
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Published : Nov 30, 2020, 5:50 PM IST

कोंडागांव: विश्व शौचालय दिवस के दिन जिले को स्वच्छता के क्षेत्र में 3 पुरस्कार दिए गए थे. ओडीएफ घोषित करने के बाद जिले के जिस गांव में शौचालय नहीं थे वहां उपयोग के लिए चलित शौचालयों की खरीदी की गई थी. गांवों में शौचालयों की जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार ने व्यवस्था तो कर दी लेकिन ये ग्रामीणों तक पहुंचने से पहले ही बर्बाद हो गई. खरीदी के बाद इन चलित शौचालयों को जिला मुख्यालय में रखा गया था जहां देखरेख और उपयोग की कमी में करोड़ों रुपयों के इन शौचालयों में जंग लगना शुरू हो गया.

जंग खा रहे मोबाइल टॉयलेट

जिला प्रशासन ने एक साल पहले लगभग 35 चलित शौचालयों की खरीद की थी. जिनका उपयोग शौचालय विहीन गांव में होना था, लेकिन थोक के भाव में खरीदे गए शौचालय को प्रशासन गांव तक पहुंचाने में नाकाम रहा. शौचालय खरीदी के बाद इन शौचालयों का उचित उपयोग न होने से जिला मुख्यालय में यह खड़े-खड़े जंग खाने लगे. कुछ शौचालय नक्सलगढ़ की शोभा बढ़ा रहें हैं. हाल में कुछ शौचालयों को क्वॉरेंटाइन सेंटरों में उपयोग के लिए रखा गया है. इस विषय पर जिला कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा का कहना है कि जिले के कुछ गांवों में शौचालय का निर्माण नहीं हुआ था, उन गावों के लिए चलित शौचालयों की खरीदी की गई थी. उन्होंने चलित शौचालयों की रिपोर्ट मांग कर जांच की बात कही है. जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने इस विषय पर किसी भी तरह की जानकारी नहीं दे पाने की बात कही है.

पढ़ें- SPECIAL: अंबिकापुर नगर निगम बना मिसाल, कचरे की कमाई से ही कर रहा कचरा साफ

भ्रष्टाचार का हो सकता है मामला

Mobile toilets
मोबाइल टॉयलेट

जिले को वर्ष 2017-18 में ओडीएफ घोषित कर दिया गया था. उसके बाद मार्च 2020 में करोड़ों की लागत से शौचालय खरीदना कई सवाल खड़े करता है. इस मामले में विभागीय अफसरों की मिलीभगत से शौचालय खरीदी की बात सामने आ रही है. जो घपले की ओर इशारा करता है. मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोंडागांव से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में जीएसटी सहित लगभग 6 लाख 13 हजार की लागत से लगभग 35 चलित शौचालयों की खरीदी की गई थी. जिले में निवासरत 1 लाख 25 हजार 650 परिवारों के पास शौचालयों का निर्माण किया गया है , जिसमें स्वच्छ भारत मिशन से जिले में 8 हजार 428 शौचालय बने हैं.

पढ़ें- स्वच्छता की मौजूदा स्थिति में कठिन है 2030 का लक्ष्य


जिले को मिले थे 3 पुरस्कार

Mobile Toilet are rusting
जंग खा रहे मोबाइल टॉयलेट

विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर राज्य स्वच्छता पुरस्कार कार्यक्रम का आयोजन राज्य स्तर पर किया गया था, राज्य स्तर पर आयोजित कार्यक्रम में कोंडागांव जिले को स्वच्छता के क्षेत्र में तीन पुरस्कारों के साथ 50 लाख रुपए की राशि पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग मंत्री टीएस सिंहदेव ने दी थी, इनमें जनपद पंचायत माकड़ी को ओडीएफ ब्लॉक स्थायित्व पुरस्कार, जनपद पंचायत बडेराजपुर के ग्राम पंचायत तीतरवंड को सिंगल प्लास्टिक मुक्त ग्राम पंचायत पुरस्कार और उत्कृष्ट स्वच्छता ग्राही समूह पुरस्कार भी मिल चुका है.

कोंडागांव: विश्व शौचालय दिवस के दिन जिले को स्वच्छता के क्षेत्र में 3 पुरस्कार दिए गए थे. ओडीएफ घोषित करने के बाद जिले के जिस गांव में शौचालय नहीं थे वहां उपयोग के लिए चलित शौचालयों की खरीदी की गई थी. गांवों में शौचालयों की जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार ने व्यवस्था तो कर दी लेकिन ये ग्रामीणों तक पहुंचने से पहले ही बर्बाद हो गई. खरीदी के बाद इन चलित शौचालयों को जिला मुख्यालय में रखा गया था जहां देखरेख और उपयोग की कमी में करोड़ों रुपयों के इन शौचालयों में जंग लगना शुरू हो गया.

जंग खा रहे मोबाइल टॉयलेट

जिला प्रशासन ने एक साल पहले लगभग 35 चलित शौचालयों की खरीद की थी. जिनका उपयोग शौचालय विहीन गांव में होना था, लेकिन थोक के भाव में खरीदे गए शौचालय को प्रशासन गांव तक पहुंचाने में नाकाम रहा. शौचालय खरीदी के बाद इन शौचालयों का उचित उपयोग न होने से जिला मुख्यालय में यह खड़े-खड़े जंग खाने लगे. कुछ शौचालय नक्सलगढ़ की शोभा बढ़ा रहें हैं. हाल में कुछ शौचालयों को क्वॉरेंटाइन सेंटरों में उपयोग के लिए रखा गया है. इस विषय पर जिला कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा का कहना है कि जिले के कुछ गांवों में शौचालय का निर्माण नहीं हुआ था, उन गावों के लिए चलित शौचालयों की खरीदी की गई थी. उन्होंने चलित शौचालयों की रिपोर्ट मांग कर जांच की बात कही है. जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने इस विषय पर किसी भी तरह की जानकारी नहीं दे पाने की बात कही है.

पढ़ें- SPECIAL: अंबिकापुर नगर निगम बना मिसाल, कचरे की कमाई से ही कर रहा कचरा साफ

भ्रष्टाचार का हो सकता है मामला

Mobile toilets
मोबाइल टॉयलेट

जिले को वर्ष 2017-18 में ओडीएफ घोषित कर दिया गया था. उसके बाद मार्च 2020 में करोड़ों की लागत से शौचालय खरीदना कई सवाल खड़े करता है. इस मामले में विभागीय अफसरों की मिलीभगत से शौचालय खरीदी की बात सामने आ रही है. जो घपले की ओर इशारा करता है. मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोंडागांव से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में जीएसटी सहित लगभग 6 लाख 13 हजार की लागत से लगभग 35 चलित शौचालयों की खरीदी की गई थी. जिले में निवासरत 1 लाख 25 हजार 650 परिवारों के पास शौचालयों का निर्माण किया गया है , जिसमें स्वच्छ भारत मिशन से जिले में 8 हजार 428 शौचालय बने हैं.

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जिले को मिले थे 3 पुरस्कार

Mobile Toilet are rusting
जंग खा रहे मोबाइल टॉयलेट

विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर राज्य स्वच्छता पुरस्कार कार्यक्रम का आयोजन राज्य स्तर पर किया गया था, राज्य स्तर पर आयोजित कार्यक्रम में कोंडागांव जिले को स्वच्छता के क्षेत्र में तीन पुरस्कारों के साथ 50 लाख रुपए की राशि पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग मंत्री टीएस सिंहदेव ने दी थी, इनमें जनपद पंचायत माकड़ी को ओडीएफ ब्लॉक स्थायित्व पुरस्कार, जनपद पंचायत बडेराजपुर के ग्राम पंचायत तीतरवंड को सिंगल प्लास्टिक मुक्त ग्राम पंचायत पुरस्कार और उत्कृष्ट स्वच्छता ग्राही समूह पुरस्कार भी मिल चुका है.

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