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कांकेर: बरसात में टापू बन जाते हैं ये गांव, नाव के भरोसे चलती है जिदंगी

जिले के कोयलीबेड़ा ब्लॉक में जमकर हो रही बारिश से अंदरुनी इलाके के कई गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं. पुल नहीं होने से यहां के ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

जिले के कोयलीबेड़ा ब्लॉक में जमकर हो रही बारिश से अंदरुनी इलाके के कई गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं.
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Published : Aug 5, 2019, 10:42 PM IST

कांकेर : जिले का कोयलीबेड़ा ब्लॉक, जो कि विकास से कोसो दूर है. इसकी सबसे बड़ी वजह नक्सलवाद है. जब से नक्सलवाद ने जिले में पैर पसारे तब से मानो इस क्षेत्र में विकास के पहिए थम गए हैं. कोयलीबेड़ा ब्लॉक के बांदेक्षेत्र में आज भी बारिश के मौसम में सैकड़ों ग्रामीणों की जिंदगी की डोर एक नाव से बंधी हुई है.

पुल नहीं होने से यहां के ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

जान जोखिम में डालकर चलती हैं जिंदगी
जिले के कोयलीबेड़ा ब्लॉक में जमकर बदरा बरस रहे हैं, जिससे सभी नदी-नाले उफान पर हैं. ऐसे में जिले के अंदरुनी इलाकों के कई गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं. सितरम नदी पर आजादी के बाद से आज तक पुल का निर्माण नहीं हुआ. इससे दर्जनों गांव के सैकड़ों ग्रामीण, बारिश के महीनों में नाव पर अपनी जान जोखिम में डालकर आने-जाने को मजबूर हैं.

नाव के भरोसे ग्रामीण
ग्रामीणों को जरूरी सामग्रियों और किसी तरह की इमरजेंसी होने पर जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है. सितरम के दूसरे छोर में दर्जन भर से अधिक गांव हैं, जहां के ग्रामीण एक नाव के सहारे आवागमन कर रहे हैं. जनप्रतिनिधियों से कोटरी नदी पर पुल निर्माण की मांग करके यहां के ग्रामीण थक चुके हैं, लेकिन इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

पुल नहीं होने से हो रही है परेशानी
धरमपुर पंचायत के आगे बसे कंदाड़ी, बेचाकाट, हिदुर, आलदण्ड, राजा मुंडा, बेरेबेड़ा, केरिपदर, बिनागुंडा, जारापर और सीताराम जैसे दर्जनों गांव को जोड़ने वाली एकमात्र कोटरी नदी में पुल नहीं होने से ये गांव भारी बारिश से टापू में तब्दील हो जाते हैं.

जल्द होगा पुल का निर्माण
मामले में कलेक्टर केएल चौहान का कहना है कि, 'उन्हें संबंधित विभाग से जानकारी मिली है कि नदी पर पुल स्वीकृत हो चुका है. जल्द ही यहां पुल का निर्माण कराया जाएगा.'

कांकेर : जिले का कोयलीबेड़ा ब्लॉक, जो कि विकास से कोसो दूर है. इसकी सबसे बड़ी वजह नक्सलवाद है. जब से नक्सलवाद ने जिले में पैर पसारे तब से मानो इस क्षेत्र में विकास के पहिए थम गए हैं. कोयलीबेड़ा ब्लॉक के बांदेक्षेत्र में आज भी बारिश के मौसम में सैकड़ों ग्रामीणों की जिंदगी की डोर एक नाव से बंधी हुई है.

पुल नहीं होने से यहां के ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

जान जोखिम में डालकर चलती हैं जिंदगी
जिले के कोयलीबेड़ा ब्लॉक में जमकर बदरा बरस रहे हैं, जिससे सभी नदी-नाले उफान पर हैं. ऐसे में जिले के अंदरुनी इलाकों के कई गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं. सितरम नदी पर आजादी के बाद से आज तक पुल का निर्माण नहीं हुआ. इससे दर्जनों गांव के सैकड़ों ग्रामीण, बारिश के महीनों में नाव पर अपनी जान जोखिम में डालकर आने-जाने को मजबूर हैं.

नाव के भरोसे ग्रामीण
ग्रामीणों को जरूरी सामग्रियों और किसी तरह की इमरजेंसी होने पर जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है. सितरम के दूसरे छोर में दर्जन भर से अधिक गांव हैं, जहां के ग्रामीण एक नाव के सहारे आवागमन कर रहे हैं. जनप्रतिनिधियों से कोटरी नदी पर पुल निर्माण की मांग करके यहां के ग्रामीण थक चुके हैं, लेकिन इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

पुल नहीं होने से हो रही है परेशानी
धरमपुर पंचायत के आगे बसे कंदाड़ी, बेचाकाट, हिदुर, आलदण्ड, राजा मुंडा, बेरेबेड़ा, केरिपदर, बिनागुंडा, जारापर और सीताराम जैसे दर्जनों गांव को जोड़ने वाली एकमात्र कोटरी नदी में पुल नहीं होने से ये गांव भारी बारिश से टापू में तब्दील हो जाते हैं.

जल्द होगा पुल का निर्माण
मामले में कलेक्टर केएल चौहान का कहना है कि, 'उन्हें संबंधित विभाग से जानकारी मिली है कि नदी पर पुल स्वीकृत हो चुका है. जल्द ही यहां पुल का निर्माण कराया जाएगा.'

Intro:कांकेर - जिले का कोयलीबेड़ा ब्लॉक जो कि विकास के नाम पर आज भी काफी पिछड़ा हुआ नज़र आता है , इसका सबसे प्रमुख कारण नक्सलवाद को माना जा सकता है , नक्सलवाद ने जबसे जिले में पैर पसारे तब से मानो इस क्षेत्र का विकास थम सा गया । कोयलीबेड़ा ब्लॉक के बांदेक्षेत्र में आज भी बारिश के मौसम में सैकड़ों ग्रामीणों की जिंदगी की डोर एक नाव से बंधी हुई है , सितरम नदी में आजादी के बाद आज तक पूल का निर्माण नही होने से दर्जनों गांव के सैकड़ों ग्रामीण बारिश के महीनों में नाव से अपनी जान जोखिम में डाल आवागमन करने मजबूर है। Body:जिले के कोयलीबेड़ा ब्लॉक में जमकर बदरा बरस रहे है जिससे सभी नदी नाले उफान पर है। ऐसे में जिले के अंदरूनी इलाको के कई गांव टापू में तब्दील हो चुके है । लेकिन जरूरी सामग्रियों और किसी तरह की एमरजेंसी होने पर ग्रामीणों को अपनी जान जोखिम में डाल नदी पार करनी पड़ती है । सितरम के दूसरे छोर में दर्जन भर से अधिक गांव है जहां के ग्रामीण एक नाव के सहारे आवागमन कर रहे है , कोटरी नदी पर पूल निर्माण की मांग करते करते यहां के ग्रामीण थक चुके है , लेकिन उनकी मांग अब तक किसी ने नही सुनी जिससे ग्रामीण आज भी नाव के जरिये उफनती नदी को जान जोखिम में डाल पार करने मजबूर है।

टापू बन जाते है ये गांव
धरमपुर पंचायत के आगे बसे कंदाड़ी,बेचाकाट,हिदुर,आलदण्ड,राजा मुंडा,बेरेबेड़ा,केरिपदर,बिनागुंडा,जारापर,सीताराम जैसे दर्जनो गांव को जोड़ने वाली एकमात्र कोटरी नदी में पूल नही होने से ये गांव भारी बारिश से टापू में तब्दील हो जाते है। Conclusion:प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि सबसे कर चुके मांग
इस क्षेत्र के लोगो ने कई बार जिला प्रशासन , विधायक , सांसद सभी से इस नदी पर पूल की मांग की लेकिन अब तक इस नदी पर पूल का निर्माण नही हो सका , जिससे आज भी इस क्षेत्र के लोग नाव के भरोसे आवागमन को मजबुर है । वही इस मामले में कलेक्टर के एल चौहान का कहना है कि उन्हें सम्बन्धित विभाग से जानकारी मिली है कि इस नदी पर पूल स्वीकृत हो चुका है जल्द ही यहां पूल निर्माण हो जाएगा ।

बाइट- ग्रामीण

के एल चौहान कलेक्टर
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