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टापू में तब्दील होने से पहले गांवों में दवाइयां जुटाने में जुटा स्वास्थ्य विभाग

जिले में लगभग 50 गांव ऐसे है, जो बारिश के दिनों में नदी-नालों से घिर जाते हैं. जिसके कारण यहां आना-जाना मुश्किल हो जाता है. ये गांव तीन महीने तक जिला और ब्लॉक मुख्यालय से पूरी तरह कट जाते हैं.

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Published : Jun 21, 2019, 11:22 PM IST

टापू में तब्दील होने से पहले गांवों में दवाइयां जुटाने में जुटा स्वास्थ्य विभाग

कांकेर: छत्तीसगढ़ में मानसून ने दस्तक दे दी है. ऐसे में जिले के कई अंदरूनी गांव जो बारिश के दिनों में टापू में तब्दील हो जाते हैं. वहां स्वास्थ्य विभाग ने जरूरी दवाइयां पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है. ताकि बारिश के दिनों में ग्रामीणों को किसी तरह की परेशानियों का सामना ना करना पड़े.

टापू में तब्दील होने से पहले गांवों में दवाइयां जुटाने में जुटा स्वास्थ्य विभाग

जिले में लगभग 50 गांव ऐसे है, जो बारिश के दिनों में नदी-नालों से घिर जाते हैं. जिसके कारण यहां आना-जाना मुश्किल हो जाता है. ये गांव तीन महीने तक जिला और ब्लॉक मुख्यालय से पूरी तरह कट जाते हैं.

मितानिन देंगी दवाइयां
स्वास्थ्य विभाग ने सभी ग्राम पंचायतों में जरूरी दवाइयां भेजने के निर्देश दे दिया है. साथ ही इन गांवों में सेवा देने वाली मितानिनों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है. गांव-गांव तक दवाइयां पहुंचाने में मितानिनों की सेवा ली जा रही है. दवाइयों से साथ इन गावों में राशन भी पहुंचाया जा रहा है.

महामारी को लेकर अलर्ट
जिला स्वास्थ्य अधिकारी जेएल उइके ने कहा कि बारिश को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ऐसे गावों में महामारी को लेकर भी अलर्ट पर रहने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि अगर गांव में एक से ज्यादा लोगों को एक ही बीमारी के लक्षण दिखे तो तुरंत वहां शिविर लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं.

कांकेर: छत्तीसगढ़ में मानसून ने दस्तक दे दी है. ऐसे में जिले के कई अंदरूनी गांव जो बारिश के दिनों में टापू में तब्दील हो जाते हैं. वहां स्वास्थ्य विभाग ने जरूरी दवाइयां पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है. ताकि बारिश के दिनों में ग्रामीणों को किसी तरह की परेशानियों का सामना ना करना पड़े.

टापू में तब्दील होने से पहले गांवों में दवाइयां जुटाने में जुटा स्वास्थ्य विभाग

जिले में लगभग 50 गांव ऐसे है, जो बारिश के दिनों में नदी-नालों से घिर जाते हैं. जिसके कारण यहां आना-जाना मुश्किल हो जाता है. ये गांव तीन महीने तक जिला और ब्लॉक मुख्यालय से पूरी तरह कट जाते हैं.

मितानिन देंगी दवाइयां
स्वास्थ्य विभाग ने सभी ग्राम पंचायतों में जरूरी दवाइयां भेजने के निर्देश दे दिया है. साथ ही इन गांवों में सेवा देने वाली मितानिनों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है. गांव-गांव तक दवाइयां पहुंचाने में मितानिनों की सेवा ली जा रही है. दवाइयों से साथ इन गावों में राशन भी पहुंचाया जा रहा है.

महामारी को लेकर अलर्ट
जिला स्वास्थ्य अधिकारी जेएल उइके ने कहा कि बारिश को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ऐसे गावों में महामारी को लेकर भी अलर्ट पर रहने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि अगर गांव में एक से ज्यादा लोगों को एक ही बीमारी के लक्षण दिखे तो तुरंत वहां शिविर लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं.

Intro:कांकेर - बारिश का मौसम नजदीक है और प्री मानसून की बारिश भी शुरू हो चुकी है , ऐसे में जिले के कई अंदरूनी गांव जो बारिश के मौसम में टापू में तब्दील हो जाते है । वहा जरूरी दवाइयों को पहुचाने का काम शुरू कर दिया गया है , ताकि बारिश के दिनों में ग्रामीणों को किसी तरह की दिक्कतों का सामना ना करना पड़े। जिले के लगभग 50 गांव ऐसे है जो बारिश के दौरान नदी -नालों के उफान में आने से टापू के तब्दील हो जाते है और इन गांव का संपर्क जिला और ब्लॉक मुख्यलय से पूरी तरह कट जाता है ।


Body:स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सभी ग्राम पंचायतों में जरूरी दवाइयां भेजने सभी बीएमओ को निर्देश दिया गया है और मितानिनो के माध्यम से गांव -गांव तक दवाइयां पहुचाई जा रही है । जिले के अंदरूनी इलाकों में आज भी नक्सल दहशत के चलते पूल पुलिया के निर्माण नही हो सका है , जिसके चलते यहां के ग्रामीण बारिश के तीन महीने टापू में रहने मजबूर हो जाते है, इन इलाको में विकास करवाना छोड़ नक्सल दहशत का नाम लेकर शासन प्रशासन के द्वारा राशन और दवाइयां पहुचाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया जाता है लेकिन यहां के भोले भाले ग्रामीण इसमें ही खुश रहते है कि उनके लिए राशन और जरूरी दवाइया पहुचा दी जा रही है ।


पिछले साल हुआ था हादसा , नदी में बह गया था ग्रामीण
पिछले साल बारिश के दौरान हादसा हुआ था जब एक ग्रामीण जरूरी सामान लेने घर से निकला था और कोटरी नदी के तेज़ बहाव में बहने से उसकी मौत हो गई थी, जिसके चलते इस बार प्रशासन के द्वारा तीन माह के राशन और दवाइयां गाँवो तक पहुचाने कार्य शुरू कर दिया गया है । ताकि ग्रामीण किसी तरह का खतरा ना उठाये।


महामारी को लेकर अलर्ट पर रहने का निर्देश
जिला स्वास्थ्य अधिकारी जे एल उइके ने इस दौरान स्वास्थ्य अमले को महामारी को लेकर भी अलर्ट पर रहने को कहा है और यदि किसी गाँव मे एक से ज्यादा लोगो को एक ही बीमारी हो तो तत्काल गांव में जाकर शिविर लगाने के निर्देश भी दिए है । जे एल उइके ने बताया कि किसी भी हालात से निपटने के लिए स्वास्थ्य अमला तैयार है ।




Conclusion:50 से अधिक गांव आज भी आदिकाल में
आजादी के 70 साल बाद भी जिले के 50 से अधिक गांव के लोग आज भी आदिकाल में जीने मजबूर है, जहा विकास के नाम पर कुछ भी नही है , शासन प्रशासन नक्सली दहशत का हवाला देकर अपनी मजबूरी बताते फिरते है तो वही बारिश के मौसम में यदि किसी ग्रामीण को गम्भीर बीमारी ने जकड़ लिया तो उसका बचना मुश्किल हो जाता है ।


बाइट- जे एल उइके जिला स्वास्थ्य अधिकारी
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