कांकेरः लॉकडाउन और मौसम की दोहरी मार के चलते सब्जी की खेती करने वाले किसानों पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है. खेती के लिए पहले ही कर्ज ले चुके हैं. ऐसे में किसानों को सब्जियों की कीमत भी नसीब नहीं हो रही है. नतीजा यह है कि कर्ज चुकाना तो दूर, वे फिर से उधार लेने को मजबूर हो गए हैं. दुधावा क्षेत्र में सब्जी की खेती करने वाले किसान खासे परेशान हैं. उनकी परेशानियों का ये आलम है कि, उन्हें अपनी सब्जियों को ट्रेक्टर ट्रालियों में भरकर फेंकने की नौबत आ पड़ी है.
फसलों के बर्बादी के बाद भी 100 मजदूरों को दे रहे है रोजगार
जनपद उपाध्यक्ष होने के साथ संजूगोपाल साहू एक किसान भी हैं. उन्होंने बताया कि हर रोज बैगन और टमाटर खराब हो रहे हैं. इनको बचाने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. संजूगोपाल ने कहा कि फसलों की बर्बादी के बाद भी 100 मजदूरों को रोजगार दे रहे हैं. दरअसल सब्जियों को फेंकने के लिए करीब 80 से 100 मजदूरों की जरुरत पड़ती है. जिसमें अतिरिक्त 40 हजार रुपये हर रोज खर्च हो रहा है. उन्होंने बताया कि तोषीत कुमार साहू के साथ 40 एकड़ जमीन लीज में लिया है. वहीं उसी क्षेत्र में दुधावा निवासी निरंजन गंजीर ने 4 एकड़ में टमाटर और बैगन लगाया है. एक साल से कोरोना का संकट झेलने के बाद अब तक अतिरिक्त लाखों के नुकसान चुकाना पड़ रहा है. संजूगोपाल साहू ने 10 एकड़ में बैगन, 13 एकड़ में टमाटर, 6 एकड़ में खीरा, 6 एकड़ मिर्च, करेला और 5 एकड़ में बरबट्टी की खेती कर रहे हैं. सबसे ज्यादा नुकसान बैगन और टमाटर में हो रहा है.
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लागत से भी कम मिल रही कीमत
लॉकडाउन से नुकसान सह रहे किसान ने बताया कि, सब्जियों के खरीदार भी मिल रहे हैं. फिर भी उनको नुकसान हो रहा है. मांग कम होने के कारण फसल की उचित कीमत नहीं मिल रही. लॉकडाउन के चलते मंडियां बंद हैं. टमाटर की कीमत 2 रुपए प्रति किलो मिल रही है. जिससे उन्हें काफी नुकसान हो रहा है. किसान संजू गोपाल साहू बताते हैं कि, 1 दिन में 500 से 600 कैरेट टमाटर निकलता है. लेकिन बिक्री केवल 150 कैरट तक ही हो रही है. जबकि बैगन की बिक्री पूरी तरह से बंद हो चुकी है. सब्जियां खराब होने लगी है. खराब सब्जियों को फेंकने में भी खर्च आ रहे हैं. इससे किसानों को उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है.