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kanker latest news : नक्सल ऑपरेशन ट्रेनिंग सेंटर में जानवरों का खतरा - काउंटर इंसरजेसी ऑफ जंगल वारफेयर स्कूल

नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई की ट्रेनिंग देने वाला देश का सबसे बड़ा ट्रेंनिग सेंटर जंगल वॉरफेयर कॉलेज इन दिनों दहशत में है. पिछले कुछ दिनों से भालुओं ने यहां आतंक मचा रखा है. कैंपस के अंदर मौजूद भालू अब अचानक आक्रामक होकर जंगलवार की बिल्डिंगों में घुस रहे हैं. kanker latest news

नक्सल ऑपरेशन ट्रेनिंग सेंटर में जानवरों का खतरा
नक्सल ऑपरेशन ट्रेनिंग सेंटर में जानवरों का खतरा
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Published : Oct 1, 2022, 11:39 AM IST

Updated : Oct 1, 2022, 2:23 PM IST

कांकेर: जंगल वॉलफेयर (Naxal Operation Training Center in kanker ) कॉलेज मेस, बिल्डिंग, दफ्तर हर जगह भालू समेत कई जंगली जानवर नजर आ रहे (Threat of animals in kanker ) हैं. मेस में जब जवान खाना खाने पहुंचते हैं, तो यहां भी भालू अपनी मौजूदगी का एहसास कराते हैं. खुले में बनी रसोई में भालू घुसकर बर्तन, सामान और खाने पर टूट पड़ते हैं. ऐसा ही एक वीडियो सामने आया है, जहां भालू जवानों को दौड़ाता दिख रहा है. यही नहीं भालुओं के आतंक के बीच यहां तेंदुआ और लकड़बघ्घा जंगली जानवर की भी दशहत कायम है. आलम ये है कि दशहत के बीच ट्रेनिंग के लिए जवान मजबूर हैं.

नक्सल ऑपरेशन ट्रेनिंग सेंटर में जानवरों का खतरा

क्यों बनाया गया था कॉलेज :2005 में जब कॉलेज की शुरूआत हुई तो पहाड़ी और जंगल को घेरा गया. यहां ट्रेनी जवानों को ट्रेंनिग दी जाती है. गुरिल्ला कमांडो की ट्रेनिंग दुनिया की सबसे मुश्किल ट्रेनिंग मानी जाती है. जहां से रास्ता खत्म हो जाता है, वहां से रास्ते का निर्माण करने में सक्षम गुरिल्ला कमांडोज को काउंटर इंसरजेसी ऑफ जंगल वारफेयर स्कूल में ट्रेनिंग दी जाती है.

नक्सल ऑपरेशन ट्रेनिंग सेंटर में जानवरों का खतरा
नक्सल ऑपरेशन ट्रेनिंग सेंटर में जानवरों का खतरा
भालुओं का बढ़ रहा आतंक : तीन दिन पहले ही कांकेर में भालू के हमले से 9 साल का बच्चा गंभीर रूप से घायल हो (Bear attack on child ) गया था. कांकेर के चारामा वन परिक्षेत्र अंतर्गत तारासगांव (Charama forest area of kanker ) में घर की बाड़ी में खेल रहे 9 साल के बच्चे पर बाड़ी की झाड़ी में ही छुपे भालू ने हमला कर दिया. बच्चा भालू के हमले से बुरी तरीके से घायल हो गया. घायल बच्चे को रायपुर एम्स रेफर किया गया था, जिसकी 2 दिन बाद मृत्यु हो गई थी.

ये भी पढ़ें- युवक पर भालू का हमला,लेकिन भालू की गई जान

कांकेर शहर में भी इन दिनों भालू से दहशत का माहौल बना हुआ है. भालू जंगल छोड़ इंसानी बस्तियों का रुख करने लगे हैं. भालुओं का झुंड शहर में कभी भी, कहीं भी दिखाई दे जाता है. वन विभाग ने जामवंत परियोजना के तहत शिव नगर से ठेलकाबोड़ तक विस्तृत पहाड़ी को भालुओं के आवास का रूप दे दिया है. रिहायसी बस्ती के पास भालुओं के लिए आवास बनाना आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है.

कांकेर: जंगल वॉलफेयर (Naxal Operation Training Center in kanker ) कॉलेज मेस, बिल्डिंग, दफ्तर हर जगह भालू समेत कई जंगली जानवर नजर आ रहे (Threat of animals in kanker ) हैं. मेस में जब जवान खाना खाने पहुंचते हैं, तो यहां भी भालू अपनी मौजूदगी का एहसास कराते हैं. खुले में बनी रसोई में भालू घुसकर बर्तन, सामान और खाने पर टूट पड़ते हैं. ऐसा ही एक वीडियो सामने आया है, जहां भालू जवानों को दौड़ाता दिख रहा है. यही नहीं भालुओं के आतंक के बीच यहां तेंदुआ और लकड़बघ्घा जंगली जानवर की भी दशहत कायम है. आलम ये है कि दशहत के बीच ट्रेनिंग के लिए जवान मजबूर हैं.

नक्सल ऑपरेशन ट्रेनिंग सेंटर में जानवरों का खतरा

क्यों बनाया गया था कॉलेज :2005 में जब कॉलेज की शुरूआत हुई तो पहाड़ी और जंगल को घेरा गया. यहां ट्रेनी जवानों को ट्रेंनिग दी जाती है. गुरिल्ला कमांडो की ट्रेनिंग दुनिया की सबसे मुश्किल ट्रेनिंग मानी जाती है. जहां से रास्ता खत्म हो जाता है, वहां से रास्ते का निर्माण करने में सक्षम गुरिल्ला कमांडोज को काउंटर इंसरजेसी ऑफ जंगल वारफेयर स्कूल में ट्रेनिंग दी जाती है.

नक्सल ऑपरेशन ट्रेनिंग सेंटर में जानवरों का खतरा
नक्सल ऑपरेशन ट्रेनिंग सेंटर में जानवरों का खतरा
भालुओं का बढ़ रहा आतंक : तीन दिन पहले ही कांकेर में भालू के हमले से 9 साल का बच्चा गंभीर रूप से घायल हो (Bear attack on child ) गया था. कांकेर के चारामा वन परिक्षेत्र अंतर्गत तारासगांव (Charama forest area of kanker ) में घर की बाड़ी में खेल रहे 9 साल के बच्चे पर बाड़ी की झाड़ी में ही छुपे भालू ने हमला कर दिया. बच्चा भालू के हमले से बुरी तरीके से घायल हो गया. घायल बच्चे को रायपुर एम्स रेफर किया गया था, जिसकी 2 दिन बाद मृत्यु हो गई थी.

ये भी पढ़ें- युवक पर भालू का हमला,लेकिन भालू की गई जान

कांकेर शहर में भी इन दिनों भालू से दहशत का माहौल बना हुआ है. भालू जंगल छोड़ इंसानी बस्तियों का रुख करने लगे हैं. भालुओं का झुंड शहर में कभी भी, कहीं भी दिखाई दे जाता है. वन विभाग ने जामवंत परियोजना के तहत शिव नगर से ठेलकाबोड़ तक विस्तृत पहाड़ी को भालुओं के आवास का रूप दे दिया है. रिहायसी बस्ती के पास भालुओं के लिए आवास बनाना आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है.

Last Updated : Oct 1, 2022, 2:23 PM IST
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