कांकेर: जिले के लोहत्तर थाने में थाना प्रभारी की ओर से आदिवासी आरक्षक को पीटने के मामले में राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग ने संज्ञान में लिया है. पीड़ित ने आयोग में न्याय के लिए गुहार लगाई थी. आयोग के नाम पर एक शिकायत पत्र आयोग सदस्य नितिन पोटाई को सौंपकर कार्रवाई की मांग की थी. इधर समाज प्रमुखों भी मामले में कार्रवाई करने के लिए दबाव बना रहे हैं.
छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य नितिन पोटाई (Member of Chhattisgarh State Scheduled Caste Commission Nitin Potai) ने कहा कि थाना प्रभारी का पद महत्वपूर्ण पद होता है. किसी भी अधिकारी की ओर से आदिवासी आरक्षक को चप्पलों से पीटना और जातिगत गाली-गलौज करना शोभा नहीं देता है. इस घटना की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है. मामला आदिवासी उत्पीड़न का मामला है.
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'हर व्यक्ति को सम्मान पूर्वक जीने का अधिकार'
पोटाई ने कहा कि भारत में हर व्यक्ति को सम्मान पूर्वक जीने का अधिकार है. चाहे वह नौकरी पेशा व्यक्ति हो या फिर आम नागरिक. यदि पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान थाना में गणना के वक्त सही समय पर नहीं पहुंचता है तो उसे नोटिस दिया जाना था या उसपर नियमानुसार कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन लोहत्तर थाना प्रभारी महेश साहू ने प्रार्थी आरक्षक का बिना पक्ष जाने उसकी चप्पलों से पिटाई की. साथ ही जातिगत गाली-गलौज भी की.
जानिए क्या है पूरा मामला
धुर नक्सल प्रभावित लोहत्तर थाने में पदस्थ सहायक आरक्षक ने थाना प्रभारी ने पिटाई करने का आरोप लगाया है. वहीं सहायक आरक्षक के साथ थाना प्रभारी जातिगत गाली-गलौज करने का एक ऑडियो भी वायरल हुआ था. सहायक आरक्षक संतोष दुग्गा ने आरोप लगाया है कि थाना प्रभारी महेश साहू ने तकरीबन दो महीने पहले ड्यूटी में देरी से पहुंचने को लेकर फोन पर पहले गाली-गलौज की. साथ ही थाना पहुंचने पर चप्पल से उसकी पिटाई की. घटना का वीडियो उसके साथियों ने बना लिया था. हालांकि डर के कारण इसे वरिष्ठ अधिकारियों तक नहीं पहुंचाया जा सका. अब जब यह वीडियो वायरल हुआ है तो उन्होंने इस घटना के बारे में बताया था.