कांकेर: लोकसभा चुनाव को लेकर जहां राजनीतिक पार्टियां नामांकन के बाद जोर-शोर से प्रचार में जुट गई हैं, तो वहीं लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करवाने की जिम्मेदारी जिन पर है, उन्होंने भी कमर कस ली है.
पुलिस और सुरक्षाबलों के जवानों पर इस बार फिर नक्सल प्रभावित इलाकों में शांतिपूर्ण चुनाव करवाने की सबसे अहम जिम्मेदारी होगी. कांकेर लोकसभा के अंतर्गत अंतागढ़ विधानसभा सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित है यहां के लगभग सभी बूथ संवेदनशील के दायरे में हैं. यहां के 57 मतदान केंद्रों पर मतदाल दल हेलीकाप्टर के माध्यम से भेजा जाएगा.
शांतिपूर्ण चुनाव कराना पहली प्राथमिकता
कांकेर लोकसभा के अंतर्गत आने वाली 8 में से 5 विधानसभा नक्सल प्रभावित है. ऐसे में यहां चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करवाना पुलिस और सुरक्षाबलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती होने वाली है. जिसके लिए केंद्र से अतिरिक्त बल भी मंगवाए जा रहे हैं. जिला पुलिस बल, सीएएफ, बीएसएफ, डीआरजी, एसएसबी की टीम पहले से यहां मोर्चा संभाल चुकी है.
इसके अलावा पहले चरण के चुनाव के बाद और फ़ोर्स यहां पहुंचेगी और लगभग 10 हजार से अधिक जवान लोकसभा चुनाव के दौरान सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगे. बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान काफी संख्या में फोर्स होने के बाद भी नक्सलियों ने काफी उत्पात मचाया था और आगजनी के घटना के साथ ही बीएसएफ की सर्चिंग पार्टी पर वोटिंग के एक दिन पहले बड़ा हमला किया था, जिसमे बीएसएफ के एक अधिकारी समेत दो जवान शहीद हुए थे. जिसके चलते इस बार पुलिस और सुरक्षाबल ने भी अपनी रणनीति बदलने की बात कही है.
अधिकारी ने क्या कहा
कांकेर पुलिस अधीक्षक के एल धुर्व का कहना है कि नक्सलियों के द्वारा विधानसभा चुनाव के दौरान बाहरी सुरक्षा में लगे जवानों को निशाना बनाया था. मतदान केंद्रों और मतदान दल के साथ जो फोर्स थी वहां तक नक्सली पहुंच भी नहीं सके थे. लेकिन जंगलों की सर्चिंग पर जो जवान थे उन्हें नक्सलियों ने टारगेट किया गया था. जिसके बाद नक्सलियों के लिए इस बार रणनीति में बदलाव किया गया है, जिससे वे बैकफुट पर रहें.
57 मतदान दल भेजे जाएंगे हेलीकाप्टर से
अंतागढ़ विधानसभा क्षेत्र सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित है. यहां 57 मतदान केंद्र ऐसे हैं, जहां मतदान दलों को हेलीकाप्टर के माध्यम से भेजा जाएगा. जिसमें कोयलीबेड़ा थानाक्षेत्र के 17 बूथ, आमाबेड़ा के 18, कोडेकुर्से के 8, संगम के 9, चारगांव के एक मतदान केंद्र शामिल हैं.
एक मतदान केंद्र ऐसा जहा पहुंचने के लिए चलना होगा 25 किलोमीटर पैदल
अंतागढ़ क्षेत्र में एक मतदान केंद्र ऐसा भी है, जहां पहुंचने के लिए मतदान दल को हेलीकाप्टर से उतरने के बाद लगभग 25 किलोमीटर पैदल सफर करना होगा. किसकोड़ो गांव में दो अन्य गांव कोंगरा और गवाड़ी के मतदान केंद्र शिफ्ट किये गए हैं. किसकोड़ो पहुचने के लिए मतदान दल को आमाबेड़ा में हेलीकाप्टर से उतारा जाएगा जहां से पैदल सफर करना होगा. दो मतदान केंद्रों की शिफ्टिंग के बाद यहां आश्रित ग्रामों को मिलाकर 17 गांव के लोग मतदान करने पहुचेंगे.
विधानसभा के चुनाव के दौरान हुआ था बहिष्कार अब बनाया गया मतदान केंद्र
विधानसभा चुनाव के दौरान कांकेर क्षेत्र के कुल चार गांव के लोगों ने मतदान केंद्र बदले जाने को लेकर चुनाव का बहिष्कार कर दिया था , जिसके बाद अब इन गांव वालों की मांग पर आमापानी में मतदान केंद्र बना दिया गया है.
2 करोड़ से अधिक का खर्च जवानों के लिए
पुलिस अधीक्षक के एल धुर्व ने बताया कि विधानसभा चुनाव के दौरान जितने जवान सुरक्षा में लगे थे उन पर लगभग 2 करोड़ 13 लाख का खर्च आया था , इस बार भी कांकेर जिले में लगभग उतने ही जवान सुरक्षा में तैनात रहेंगे जबकि पूरा लोकसभा क्षेत्र मिलाकर यह आंकड़ा बढ़ जाएगा और खर्च का आंकड़ा भी बढ़ेगा.
विधानसभा चुनाव के बाद अब लोकसभा चुनाव भी यदि किसी के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी तो वो जवानो के लिए ही है , क्योकि उन्हें नक्सल मोर्चो पर अपनी जान जोखिम में डाल शांतिपूर्ण चुनाव सम्पन्न करवाना होगा. बता दें लोकसभा चुनाव की तारीख सामने आने के बाद नक्सलियों ने अब तक तीन बार जिले में बैनर लगाकर चुनाव बहिष्कार की चेतवानी दी है , जो कि जवानों के लिए कड़ी चुनौती होने वाली है.