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शर्मसार: 108 के कर्मचारी ने घायल से मांगे 4 हजार रुपये, 70 किलोमीटर पैदल किया सफर

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Published : Sep 10, 2020, 12:39 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 10:47 PM IST

धुर नक्सल प्रभावित कोयलीबेड़ा में संजीवनी वाहन कर्मचारी की एक शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां एक संजीवनी चालक ने एक घायल व्यक्ति को गांव तक पहुंचाने के लिए रिश्वत की मांग की.

negligence of Sanjeevani vehicle worker in Koylibeda
पैदल सफर करता घायल

कांकेर: प्रशासन के सुस्त रवैये के कारण अब यहां के छोटे-छोटे कर्मचारियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके है कि वे दिन दहाड़े रिश्वत लेने से पीछे नहीं हट रहे है. धुर नक्सल प्रभावित कोयलीबेड़ा में संजीवनी वाहन कर्मचारी की एक शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है. संजीवनी 108 के कर्मचारी ने घायल अवस्था में इलाज कराने पहुंचे एक ग्रामीण को वापस गांव छोड़ने के लिए 4 हजार रुपए की मांग की, जबकि ग्रामीण के पास खाने तक के पैसे नहीं थे.

कोयलीबेड़ा में संजीवनी वाहन कर्मचारी की बड़ी लापरवाही

दरअसल, कोयलीबेड़ा क्षेत्र के गट्टाकाल गांव का रहने वाले ग्रामीण अमलूराम पर उसके बैल ने हमला कर दिया था जिससे उसके आंख पर गंभीर चोट आई थी, जिसके चलते उसे स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार के बाद कांकेर जिला अस्पताल रेफर किया गया. कांकेर अस्पताल में चोट गंभीर होने के कारण उसे रायपुर जाने की सलाह दी गई, लेकिन ग्रामीण ने इलाज के लिए रुपए नहीं होने की बात कहकर वापस गांव जाने की बात कही.

Ambulance driver demands bribe from injured
पैदल सफर करता घायल

गांव तक पहुंचाने के लिए 4 हजार रुपयों की मांग

अस्पताल प्रशासन ने संजीवनी 108 वाहन से वापस छोड़ने की बात कही थी, लेकिन वाहन चालक ने मंगलवार को संजीवनी सेवा बंद होने की बात कहकर ग्रामीण से रुपए ऐंठने की कोशिश की. ग्रामीण ने जब 4 हजार रुपये देने में असमर्थता जताई तो संजीवनी 108 के चालक ने उसे छोड़ने से इनकार कर दिया और घायल ग्रामीण पैदल 70 किलोमीटर का सफर कर अंतागढ़ पहुंचा, जहां कुछ लोगों ने उसकी आप बीती सुन उसके लिए गाड़ी की व्यवस्था की और उसे गांव तक पहुंचाया.

injured villager
घायल ग्रामीण

पढ़ें: शर्मसार मानवता: ई-पास नहीं होने पर पुलिसवालों ने रोकी गाड़ी, इलाज नहीं मिलने से बीमार महिला ने तोड़ा दम

बिस्किट पानी के सहारे दो दिन किया सफर

ग्रामीण ने बताया कि उसके पास खाने तक के पैसे नहीं थे. उसने दो दिन पैदल सफर सिर्फ बिस्किट खाकर और पानी के सहारे किया है. जिस गरीब के पास खाने तक के पैसे नहीं थे संजीवनी के चालक ने उससे 4 हजार रुपये की मांग कर डाली और उसे घायल अवस्था में सफर करने के लिए छोड़ दिया.

जांच की जा रही है

इस बारे में जब संजीवनी 108 के प्रभारी आसिम खान से बात की गई तो उनका कहना है कि जांच की जा रही है. आसिम खान ने फोन पर जानकरी देते हुए बताया कि मरीज के परिजनों से बात करने की कोशिश की जा रही है, उनसे बयान लिया जाएगा और चालक की पहचान करवाई जाएगी. जो भी दोषी होगा उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

शर्मसार करने वाली घटना

एक गरीब ग्रामीण के साथ संजीवनी चालक ने जैसा व्यवहार किया वो बेहद शर्मनाक है, शासन के द्वारा संजीवनी सेवा निशुल्क चलाने की बात कही जाती है, लेकिन जिला प्रशासन के ढीले रवैये से इंसानियत शर्मसार हो रही है.

कांकेर: प्रशासन के सुस्त रवैये के कारण अब यहां के छोटे-छोटे कर्मचारियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके है कि वे दिन दहाड़े रिश्वत लेने से पीछे नहीं हट रहे है. धुर नक्सल प्रभावित कोयलीबेड़ा में संजीवनी वाहन कर्मचारी की एक शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है. संजीवनी 108 के कर्मचारी ने घायल अवस्था में इलाज कराने पहुंचे एक ग्रामीण को वापस गांव छोड़ने के लिए 4 हजार रुपए की मांग की, जबकि ग्रामीण के पास खाने तक के पैसे नहीं थे.

कोयलीबेड़ा में संजीवनी वाहन कर्मचारी की बड़ी लापरवाही

दरअसल, कोयलीबेड़ा क्षेत्र के गट्टाकाल गांव का रहने वाले ग्रामीण अमलूराम पर उसके बैल ने हमला कर दिया था जिससे उसके आंख पर गंभीर चोट आई थी, जिसके चलते उसे स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार के बाद कांकेर जिला अस्पताल रेफर किया गया. कांकेर अस्पताल में चोट गंभीर होने के कारण उसे रायपुर जाने की सलाह दी गई, लेकिन ग्रामीण ने इलाज के लिए रुपए नहीं होने की बात कहकर वापस गांव जाने की बात कही.

Ambulance driver demands bribe from injured
पैदल सफर करता घायल

गांव तक पहुंचाने के लिए 4 हजार रुपयों की मांग

अस्पताल प्रशासन ने संजीवनी 108 वाहन से वापस छोड़ने की बात कही थी, लेकिन वाहन चालक ने मंगलवार को संजीवनी सेवा बंद होने की बात कहकर ग्रामीण से रुपए ऐंठने की कोशिश की. ग्रामीण ने जब 4 हजार रुपये देने में असमर्थता जताई तो संजीवनी 108 के चालक ने उसे छोड़ने से इनकार कर दिया और घायल ग्रामीण पैदल 70 किलोमीटर का सफर कर अंतागढ़ पहुंचा, जहां कुछ लोगों ने उसकी आप बीती सुन उसके लिए गाड़ी की व्यवस्था की और उसे गांव तक पहुंचाया.

injured villager
घायल ग्रामीण

पढ़ें: शर्मसार मानवता: ई-पास नहीं होने पर पुलिसवालों ने रोकी गाड़ी, इलाज नहीं मिलने से बीमार महिला ने तोड़ा दम

बिस्किट पानी के सहारे दो दिन किया सफर

ग्रामीण ने बताया कि उसके पास खाने तक के पैसे नहीं थे. उसने दो दिन पैदल सफर सिर्फ बिस्किट खाकर और पानी के सहारे किया है. जिस गरीब के पास खाने तक के पैसे नहीं थे संजीवनी के चालक ने उससे 4 हजार रुपये की मांग कर डाली और उसे घायल अवस्था में सफर करने के लिए छोड़ दिया.

जांच की जा रही है

इस बारे में जब संजीवनी 108 के प्रभारी आसिम खान से बात की गई तो उनका कहना है कि जांच की जा रही है. आसिम खान ने फोन पर जानकरी देते हुए बताया कि मरीज के परिजनों से बात करने की कोशिश की जा रही है, उनसे बयान लिया जाएगा और चालक की पहचान करवाई जाएगी. जो भी दोषी होगा उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

शर्मसार करने वाली घटना

एक गरीब ग्रामीण के साथ संजीवनी चालक ने जैसा व्यवहार किया वो बेहद शर्मनाक है, शासन के द्वारा संजीवनी सेवा निशुल्क चलाने की बात कही जाती है, लेकिन जिला प्रशासन के ढीले रवैये से इंसानियत शर्मसार हो रही है.

Last Updated : Sep 10, 2020, 10:47 PM IST
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