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पूरे प्रदेश में जमकर बरस रहे हैं बदरा, कांकेरवासियों को सता रहा है बाढ़ का डर

जिले के अंदरूनी इलाकों में 4 से 5 दिनों से लगातार हो रही बारिश से जहां एक ओर जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. वहीं दूसरी ओर भारी बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं.

भारी बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं
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Published : Aug 1, 2019, 5:40 PM IST

Updated : Aug 1, 2019, 7:51 PM IST

कांकेर : सावन लगने के साथ ही पूरे प्रदेश में जमकर बारिश हो रही है. जिले के अंदरूनी इलाकों में 4 से 5 दिनों से लगातार हो रही बारिश से जहां एक ओर जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. वहीं दूसरी ओर भारी बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं. लगातार हो रही बारिश अब लोगों के लिए चिंता का सबब बन गई है. व्यपारियों और स्थानीय लोगों को अब बाढ़ का डर सताने लगा है.

भारी बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं
मूसलाधार बारिश से शहर के मध्य से होकर गुजरने वाली दूध नदी के जलस्तर के बढ़ने का खतरा भी बना हुआ है. बाढ़ के खतरे को देखते हुए नदी के किनारे सटे शहर में मुख्य बाजार के व्यपारियों ने प्रशासन के साथ बैठकों का दौर भी शुरू कर दिया है. इससे पहले भी दूध नदी ने अपना विकराल रूप दिखाया था. 3 साल पहले दूध नदी में आई बाढ़ ने व्यपारियों का लाखों का नुकसान किया था, जिससे व्यापारी डरे हुए हैं.

दूध नदी में बाढ़ का खतरा
लगातार हो रही बारिश से व्यपारियों ने दूध नदी में बाढ़ के खतरे को देखते हुए विधायक शिशुपाल शोरी की मौजूदगी में प्रशासन के साथ बैठक रखी थी. बैठक में व्यापारियों ने बाढ़ जैसे हालत से निपटने के लिए कि गई तैयारियों के संबंध में प्रशासन से जानकारी ली. प्रशासन ने व्यापारियों को दुकानों में ज्यादा स्टॉक नही रखने और सवाधानी बरतने की बात कही है.

5 बार दूध नदी का कहर झेल चुके हैं व्यापारी
दूध नदी अब तक 5 बार अपना विकराल रूप दिखा चुकी है. सबसे पहले 1953 में दूध नदी में बाढ़ आई थी, उस दौरान कांकेर बेहद ही छोटी जगह थी. यहां ज्यादा दुकानें भी नही थी. इसके बाद 1976 में यहां बाढ़ आई, इसके बाद 2001 , 2012 और 2016 में दूध नदी में बाढ़ आ चुकी है. 2016 में आई बाढ़ के दौरान नदी का पानी शहर में घुसने से आधा शहर पानी में डूब गया था और लाखों का नुकसान हुआ था.

कांकेर : सावन लगने के साथ ही पूरे प्रदेश में जमकर बारिश हो रही है. जिले के अंदरूनी इलाकों में 4 से 5 दिनों से लगातार हो रही बारिश से जहां एक ओर जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. वहीं दूसरी ओर भारी बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं. लगातार हो रही बारिश अब लोगों के लिए चिंता का सबब बन गई है. व्यपारियों और स्थानीय लोगों को अब बाढ़ का डर सताने लगा है.

भारी बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं
मूसलाधार बारिश से शहर के मध्य से होकर गुजरने वाली दूध नदी के जलस्तर के बढ़ने का खतरा भी बना हुआ है. बाढ़ के खतरे को देखते हुए नदी के किनारे सटे शहर में मुख्य बाजार के व्यपारियों ने प्रशासन के साथ बैठकों का दौर भी शुरू कर दिया है. इससे पहले भी दूध नदी ने अपना विकराल रूप दिखाया था. 3 साल पहले दूध नदी में आई बाढ़ ने व्यपारियों का लाखों का नुकसान किया था, जिससे व्यापारी डरे हुए हैं.

दूध नदी में बाढ़ का खतरा
लगातार हो रही बारिश से व्यपारियों ने दूध नदी में बाढ़ के खतरे को देखते हुए विधायक शिशुपाल शोरी की मौजूदगी में प्रशासन के साथ बैठक रखी थी. बैठक में व्यापारियों ने बाढ़ जैसे हालत से निपटने के लिए कि गई तैयारियों के संबंध में प्रशासन से जानकारी ली. प्रशासन ने व्यापारियों को दुकानों में ज्यादा स्टॉक नही रखने और सवाधानी बरतने की बात कही है.

5 बार दूध नदी का कहर झेल चुके हैं व्यापारी
दूध नदी अब तक 5 बार अपना विकराल रूप दिखा चुकी है. सबसे पहले 1953 में दूध नदी में बाढ़ आई थी, उस दौरान कांकेर बेहद ही छोटी जगह थी. यहां ज्यादा दुकानें भी नही थी. इसके बाद 1976 में यहां बाढ़ आई, इसके बाद 2001 , 2012 और 2016 में दूध नदी में बाढ़ आ चुकी है. 2016 में आई बाढ़ के दौरान नदी का पानी शहर में घुसने से आधा शहर पानी में डूब गया था और लाखों का नुकसान हुआ था.

Intro:कांकेर - जिले में सावन माह में जमकर बारिश हो रही है , पिछले करीब 4 से 5 दिनों से जिले में बारिश के चलते नदी नाले उफान पर है , हालांकि जिला मुख्यालय में अब तक कम ही बारिश हुई है लेकिन अंदरूनी पहाड़ी क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश से शहर के व्यपारी दहशत में है , शहर के मध्य से गुजरने वाली दूध नदी में बाढ़ का खतरा व्यपारियो को एक फिर से डरा रहा है । व्यपारियो की बाढ़ के खतरे को देखते हुए प्रशासन के साथ बैठकों का दौर भी शुरू हो गया है ।


Body:शहर के मध्य से गुजरने वाली दूध नदी पहाड़ी क्षेत्र मलांजकुडुम जलप्रपात से निकली है यह जलप्रपात आमाबेड़ाक्षेत्र से जुड़ा हुआ है जहां इन दिनों जमकर बारिश हो रही है। लगातर बारिश के चलते नदी का जलस्तर बढ़ने का खतरा बना हुआ है , जिससे नदी के किनारे सटे शहर में मुख्य बाजार के व्यपारी डरे हुए है , क्योकि इसके पहले 5 बार दूध नदी अपना विकराल रूप दिखा चुकी है और 3 साल 2016 में भी 2 अगस्त को आई बाढ़ से व्यपारियो को लाखों का नुकसान हुआ था।
व्यपारियो ने दूध नदी में बाढ़ के खतरे के बाद विधायक शिशुपाल शोरी की मौजूदगी में प्रशासन के साथ बैठक रखी थी जिसमे बाढ़ जैसे हालत होने पर उससे निपटने तैयारियों के सबन्ध में प्रशासन से जानकारी ली गई ।प्रशासन के द्वारा व्यपारियो को दुकानों में ज्यादा स्टॉक नही रखने और सवाधानी बरतने को कहा है ।

5 बार दूध नदी का कहर झेल चुके है व्यपारी
दूध नदी अब तक 5 बार अपना विकराल रूप दिखा चुकी है , सबसे पहले 1953 में दूध नदी में बाढ़ आई थी उस दौरान कांकेर बेहद ही छोटी जगह थी यहां ज्यादा दुकानें भी नही थी , इसके बाद 1976 में यहां बाढ़ आई, इसके बाद 2001 , 2012 और 2016 में दूध नदी में बाढ़ आ चुकी है , 2016 में आई बाढ़ के दौरान नदी का पानी शहर में घुसने से आधा शहर पानी मे डूब गया था और लाखों का नुकसान हुआ था , जिससे इस बार भी पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश से लोग दहशत में है।



Conclusion:प्रशासन को दिए जरूरी निर्देश
विधायक शिशुपाल शोरी ने बताया कि बाढ़ के खतरे को देखते हुए प्रशासन को जरूरी निर्देश दिए गए है , साथ ही व्यपारियो को भी दुकानों में ज्यादा स्टॉक नही रखने और सतर्क रहने को कहा गया है , बाढ़ नियंत्रण कक्ष से हर हालत पर नज़र रखने एवं बचाव दल को तैयार रहने को कहा गया है ।

बाइट- शिशुपाल शोरी विधायक

अनूप शर्मा चेंबर ऑफ कॉमर्स पूर्व महामंत्री
Last Updated : Aug 1, 2019, 7:51 PM IST
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