कांकेर : सावन लगने के साथ ही पूरे प्रदेश में जमकर बारिश हो रही है. जिले के अंदरूनी इलाकों में 4 से 5 दिनों से लगातार हो रही बारिश से जहां एक ओर जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. वहीं दूसरी ओर भारी बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं. लगातार हो रही बारिश अब लोगों के लिए चिंता का सबब बन गई है. व्यपारियों और स्थानीय लोगों को अब बाढ़ का डर सताने लगा है.
दूध नदी में बाढ़ का खतरा
लगातार हो रही बारिश से व्यपारियों ने दूध नदी में बाढ़ के खतरे को देखते हुए विधायक शिशुपाल शोरी की मौजूदगी में प्रशासन के साथ बैठक रखी थी. बैठक में व्यापारियों ने बाढ़ जैसे हालत से निपटने के लिए कि गई तैयारियों के संबंध में प्रशासन से जानकारी ली. प्रशासन ने व्यापारियों को दुकानों में ज्यादा स्टॉक नही रखने और सवाधानी बरतने की बात कही है.
5 बार दूध नदी का कहर झेल चुके हैं व्यापारी
दूध नदी अब तक 5 बार अपना विकराल रूप दिखा चुकी है. सबसे पहले 1953 में दूध नदी में बाढ़ आई थी, उस दौरान कांकेर बेहद ही छोटी जगह थी. यहां ज्यादा दुकानें भी नही थी. इसके बाद 1976 में यहां बाढ़ आई, इसके बाद 2001 , 2012 और 2016 में दूध नदी में बाढ़ आ चुकी है. 2016 में आई बाढ़ के दौरान नदी का पानी शहर में घुसने से आधा शहर पानी में डूब गया था और लाखों का नुकसान हुआ था.