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कांकेर में दुर्लभ प्रजाति की छिपकली और सांप मिला

कांकेर जिले के कांनागांव और मलाजकुडुम गांव में दुर्लभ प्रजाति का सांप और छिपकली मिली है. ग्राम बायोडायवर्सिटी बोर्ड (Village Biodiversity Board) के सदस्य ने काफी खोज कर इस दुर्लभ प्रजाति के सांप और छिपकली को रिकॉर्ड किया है. दुर्लभ प्रजाति के इन जीवों का लोकेशन टैग करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है.

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दुर्लभ प्रजाति के छिपकली और सांपों की प्रजाति
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Published : Jul 14, 2021, 11:45 AM IST

Updated : Jul 14, 2021, 12:45 PM IST

कांकेर: जिले के अलग-अलग गांवों में जैव-विविधता रजिस्टर में दो और नए जीव जुड़ गए हैं. कोया भूमकाल क्रांति सेना रिसर्च टीम को बहुत से दुर्लभ प्रजाति के जीवों का पता चला है. इनमें से कुछ जीव तो ऐसे हैं जिसे कांकेर जिले में पहली बार रिपोर्ट किया गया है. इन दुर्लभ जीवों में छिपकली और सांप है. जो काफी दुर्लभ प्रजाति के माने जाते हैं. क्षेत्र के स्थानीय समुदायों को प्रशिक्षित कर इन जीव जंतुओं के रहवास का गूगल के जरिए लोकेशन टैग करने का काम किया जा रहा है.

कांनागांव में ग्राम बायोडायवर्सिटी बोर्ड (Village Biodiversity Board) के सदस्य व टीम के सदस्यों को भ्रमण के दौरान बहुत ही दुर्लभ प्रजाति के पीले रंग की धारियों से युक्त छिपकली देखने को मिली. इसे स्थानीय भाषा में कालकूत या ऐंहराज डोके कहा जाता है. फाउंडेशन ऑफ इकोलॉजिकल सिक्यूरिटी से जुड़े पर्यावर्णविद् नारायण मरकाम ने इस छिपकली के ट्रेस होने पर खुशी जाहिर की. उन्होंने बताया कि यहा जीव पूर्वी घाट में आमतौर पर पाया जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम Eastern Indian Leopard Gecko है. इसे तेंदुआ छिपकली या कालकूत भी कहा जाता है.

Rare species of lizard and snake species found in Kanker
दुर्लभ प्रजाति की छिपकली

दुर्लभ प्रजाति की छिपकली मिली

इसे गोंडी भाषा में एहरांज डोके भी कहते हैं. इसके शरीर का रंग अंचल में पाए जाने वाले एहरांज सांप की तरह पीले धारियों वाली होती है. यह जीव जलवायु परिवर्तन व मानसून के प्रति अत्यंत संवेदनशील जीव है. इसके बारे में गांव वालों के बीच बहुत से किंवदंती भी प्रचलित है. स्थानीय आदिवासी इनके व्यवहार को देखकर मानसून के आने की भविष्यवाणी भी करते हैं. राकेश कोर्राम, मोहन हिचामी , खिलेश हिचामी, कार्तिक उइके, संदीप सलाम व ग्रामवासियों की भ्रमण टीम ने इस छिपकली को दखा.

भानुप्रतापपुर में हाथियों ने बैल को कुचलकर मारा, जान बचाकर भाग रहा ग्रामीण हुआ घायल

दुर्लभ प्रजाति का हरे रंग का सांप

जिला मुख्यालय से सटे मलाजकुडुम गांव में एक दुर्लभ प्रजाति का सांप भी दिखा है. जिसे टीम के किशन मंडावी, योगेश नरेटी व ग्रामवासियों की टीम ने प्रसिद्ध मलाजकुडुम झरने के पास रिकॉर्ड किया है. पर्यावरणविद नारायण मरकाम ने बताया कि यह ग्रीन कीलबैक सांप है. इसे ढोरिया सांप भी कहते हैं. यह हरे रंग का होता है. जिसके सिरपर काले पीले रंग की सुंदर वी अक्षर की धारियां होती है. मादा सांप एक बार में 8 से 12 की संख्या में अंडे देती है. सांप की इस प्रजाति को भी जिले में पहली बार रिकॉर्ड किया गया है. कुछ दिनों पहले इसे कोंडागांव जिले के केशकाल घाटी में भी रिकॉर्ड किया गया था.

Rare species of lizard and snake species found in Kanker
दुर्लभ प्रजाति का सांप

छत्तीसगढ़ सहित देश भर में जैव-विविधता को बचाने के लिए ग्राम बायोडायवर्सिटी बोर्ड (Village Biodiversity Board) का गठन किया जा रहा है. इसके लिए फाउंडेशन ऑफ इकोलॉजिकल सिक्यूरिटी [FES] नवोदित समाज सेवी संस्था, वनविभाग व स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर जैव-विविधता पंजी बनाने के लिए निरन्तर सहयोग कर रही है.

कांकेर: जिले के अलग-अलग गांवों में जैव-विविधता रजिस्टर में दो और नए जीव जुड़ गए हैं. कोया भूमकाल क्रांति सेना रिसर्च टीम को बहुत से दुर्लभ प्रजाति के जीवों का पता चला है. इनमें से कुछ जीव तो ऐसे हैं जिसे कांकेर जिले में पहली बार रिपोर्ट किया गया है. इन दुर्लभ जीवों में छिपकली और सांप है. जो काफी दुर्लभ प्रजाति के माने जाते हैं. क्षेत्र के स्थानीय समुदायों को प्रशिक्षित कर इन जीव जंतुओं के रहवास का गूगल के जरिए लोकेशन टैग करने का काम किया जा रहा है.

कांनागांव में ग्राम बायोडायवर्सिटी बोर्ड (Village Biodiversity Board) के सदस्य व टीम के सदस्यों को भ्रमण के दौरान बहुत ही दुर्लभ प्रजाति के पीले रंग की धारियों से युक्त छिपकली देखने को मिली. इसे स्थानीय भाषा में कालकूत या ऐंहराज डोके कहा जाता है. फाउंडेशन ऑफ इकोलॉजिकल सिक्यूरिटी से जुड़े पर्यावर्णविद् नारायण मरकाम ने इस छिपकली के ट्रेस होने पर खुशी जाहिर की. उन्होंने बताया कि यहा जीव पूर्वी घाट में आमतौर पर पाया जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम Eastern Indian Leopard Gecko है. इसे तेंदुआ छिपकली या कालकूत भी कहा जाता है.

Rare species of lizard and snake species found in Kanker
दुर्लभ प्रजाति की छिपकली

दुर्लभ प्रजाति की छिपकली मिली

इसे गोंडी भाषा में एहरांज डोके भी कहते हैं. इसके शरीर का रंग अंचल में पाए जाने वाले एहरांज सांप की तरह पीले धारियों वाली होती है. यह जीव जलवायु परिवर्तन व मानसून के प्रति अत्यंत संवेदनशील जीव है. इसके बारे में गांव वालों के बीच बहुत से किंवदंती भी प्रचलित है. स्थानीय आदिवासी इनके व्यवहार को देखकर मानसून के आने की भविष्यवाणी भी करते हैं. राकेश कोर्राम, मोहन हिचामी , खिलेश हिचामी, कार्तिक उइके, संदीप सलाम व ग्रामवासियों की भ्रमण टीम ने इस छिपकली को दखा.

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दुर्लभ प्रजाति का हरे रंग का सांप

जिला मुख्यालय से सटे मलाजकुडुम गांव में एक दुर्लभ प्रजाति का सांप भी दिखा है. जिसे टीम के किशन मंडावी, योगेश नरेटी व ग्रामवासियों की टीम ने प्रसिद्ध मलाजकुडुम झरने के पास रिकॉर्ड किया है. पर्यावरणविद नारायण मरकाम ने बताया कि यह ग्रीन कीलबैक सांप है. इसे ढोरिया सांप भी कहते हैं. यह हरे रंग का होता है. जिसके सिरपर काले पीले रंग की सुंदर वी अक्षर की धारियां होती है. मादा सांप एक बार में 8 से 12 की संख्या में अंडे देती है. सांप की इस प्रजाति को भी जिले में पहली बार रिकॉर्ड किया गया है. कुछ दिनों पहले इसे कोंडागांव जिले के केशकाल घाटी में भी रिकॉर्ड किया गया था.

Rare species of lizard and snake species found in Kanker
दुर्लभ प्रजाति का सांप

छत्तीसगढ़ सहित देश भर में जैव-विविधता को बचाने के लिए ग्राम बायोडायवर्सिटी बोर्ड (Village Biodiversity Board) का गठन किया जा रहा है. इसके लिए फाउंडेशन ऑफ इकोलॉजिकल सिक्यूरिटी [FES] नवोदित समाज सेवी संस्था, वनविभाग व स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर जैव-विविधता पंजी बनाने के लिए निरन्तर सहयोग कर रही है.

Last Updated : Jul 14, 2021, 12:45 PM IST
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