कांकेर: जिले के बोगन भोड़िया गांव के ग्रामीण कई महीनों से झिरिया का गंदा और बदबूदार पानी पीने को मजबूर थे. ईटीवी भारत ने प्रमुखता से खबर को दिखाया. जिसका असर हुआ है. खबर चलाने के दूसरे दिन ही सुबह प्रशासन की टीम ने पहुंचकर नल को रिपेयर किया. अब ग्रामीणों को साफ पीने का पानी मिल पायेगा. ग्रामीणों ने एक और हैंडपंप की मांग की है.
जल्द ही ग्रामीणों के लिए एक और नल की भी व्यवस्था की जाएगी.
पीएचई ने पंचनामा किया तैयार: बिगड़े हैंडपंप को ठीक करने के बाद पीएचई विभाग ने एक कोरे कागज में पंचनामा भी तैयार किया है. पंचनामा में लिखा गया कि बिगड़े हैंडपंप को आज पीएचई विभाग ने चालू कर दिया है. यही नहीं इस पंचनामे में ग्रामीणों के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान भी लिए गए हैं.
यहां का है मामला: कोयलीबेड़ा ब्लॉक के बोगन भोड़िया गांव में लगभग 30 परिवार रहते हैं. इस गांव में सिर्फ एक नल का कनेक्शन है, जो पिछले 4 महीने से खराब है. नल में पानी नहीं आने के कारण ग्रामीण जंगलों के बीच मौजूद झिरिया से पीने का पानी इकट्ठा करके पीते हैं. ये पानी इतना गंदा है कि जानवर भी बड़ी मुश्किल से इसे अपनी हलक से नीचे उतारते हैं. लेकिन गांव वालों के पास इसके सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं है.
एक किस्सा ऐसा भी: पखांजूर में एक फूड इंस्पेक्टर ने अपना मोबाइल पानी से निकालने के लिए लाखों लीटर पानी बहा दिया. इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और फूड इंस्पेक्टर को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया गया. लेकिन इतने पर भी फूड इंस्पेक्टर की हेकड़ी नहीं गई और सोशल मीडिया में सामने आकर पानी बाहर निकालने की बात पर सफाई देने लगा. लेकिन जनाब को ये नहीं पता था कि पिकनिक मनाने के मूड में तो उन्होंने पहले अपना मोबाइल पानी में गिराया, इसके बाद परलकोट जलाशय के स्पिलवे टैंक के रिजर्व पानी को बहा दिया. आपको जानकर हैरानी होगी कि परलकोट जलाशय से महज एक किलोमीटर दूर आज भी गांव वाले प्राकृतिक स्त्रोतों से अपनी प्यास बुझा रहे हैं.