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पखांजूर में किसानों ने पान की खेती कर की बंपर कमाई, कोरोना संकट में भी मालामाल

परलकोट क्षेत्र के गोविंदपुर गांव में पान की खेती की जा रही है. कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन गोविंदपुर गांव के किसानों को इस दौरान कोई खास असर नहीं पड़ा. क्योंकि अब इन ग्रामीणों ने पान की खेती को आय का मुख्य जरिया बना लिया है.

Pan cultivation in pakhanjur
पान की खेती
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Published : Aug 24, 2020, 10:04 PM IST

Updated : Aug 25, 2020, 3:19 PM IST

पखांजूर/कांकेर: कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण व्यापारियों से लेकर किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा. किसान आर्थिक मंदी से गुजर रहे हैं. लेकिन परलकोट क्षेत्र में एक ऐसा गांव जहां पर ज्यादातर किसान अब पान की खेती कर जबरदस्त मुनाफा कमा रहे हैं. पखांजूर से कुछ ही किलोमीटर दूर है गोविंदपुर गांव. इस गांव के ज्यादातर घरों में आपको पान की खेती देखने को मिल जाएगी. जिसकी बिक्री साल भर होती है.

पान की खेती से बंपर कमाई

छत्तीसगढ़ राज्य को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां के किसान धान के साथ-साथ मक्का की भी फसल करते हैं. जिसका साल में एक बार ही फसल उत्पादन होता है और उसी से किसान अपना गुजर बसर करते हैं. लेकिन गोविंदपुर गांव के लोगों को लॉकडाउन और कोरोना काल के दौरान कोई खास असर नहीं पड़ा. क्योंकि अब इन ग्रामीणों ने पान की खेती को आय का मुख्य जरिया बना लिया है. ग्रामीण रोजाना सुबह पान के पत्ते तोड़ कर बाजार में बेचने जाते हैं.

Pan cultivation in pakhanjur
पान की खेती से मुनाफा

परलकोट क्षेत्र में पहले पान पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से व्यापारियों द्वारा मंगाई जाती थी और बाजारों में पान को अधिक दाम पर बेचा जाता था. लेकिन अब सस्ते में अधिक पान लोगों को मिल जाता है. दरअसल, बाजार में तीन प्रकार का पान उपलब्ध हुआ करता है. बंगला पान, कपूरी पान और मीठापत्ति पान. पखांजूर क्षेत्र में अधिकांश लोग बंगाली हैं, जो कि पान खाने में बंगला पान ज्यादा पसंद करते हैं.

Pan cultivation in pakhanjur
पखांजूर में पान की खेती

पढ़ें-SPECIAL: अब जल्द ही आप कहेंगे, एक कप बस्तर की कॉफी हो जाए...

लॉकडाउन में कमाया 1 लाख तक का मुनाफा

ETV भारत ने गांव वालों से लॉकडाउन को लेकर बात की तो उन्होंने कहा कि हमे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, इसकी वजह यह पान की फसल है. जिससे 12 महीने आमदनी होती है. धान और मक्के की फसल के अलावा यहां आय का अलग एक स्रोत है. पान की खेती के लिए ज्यादा जमीन की भी जरूरत नहीं होती हैं. लॉकडाउन में भी लोगों ने 30 हजार से लेकर एक लाख तक का मुनाफा कमाया है.

पखांजूर/कांकेर: कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण व्यापारियों से लेकर किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा. किसान आर्थिक मंदी से गुजर रहे हैं. लेकिन परलकोट क्षेत्र में एक ऐसा गांव जहां पर ज्यादातर किसान अब पान की खेती कर जबरदस्त मुनाफा कमा रहे हैं. पखांजूर से कुछ ही किलोमीटर दूर है गोविंदपुर गांव. इस गांव के ज्यादातर घरों में आपको पान की खेती देखने को मिल जाएगी. जिसकी बिक्री साल भर होती है.

पान की खेती से बंपर कमाई

छत्तीसगढ़ राज्य को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां के किसान धान के साथ-साथ मक्का की भी फसल करते हैं. जिसका साल में एक बार ही फसल उत्पादन होता है और उसी से किसान अपना गुजर बसर करते हैं. लेकिन गोविंदपुर गांव के लोगों को लॉकडाउन और कोरोना काल के दौरान कोई खास असर नहीं पड़ा. क्योंकि अब इन ग्रामीणों ने पान की खेती को आय का मुख्य जरिया बना लिया है. ग्रामीण रोजाना सुबह पान के पत्ते तोड़ कर बाजार में बेचने जाते हैं.

Pan cultivation in pakhanjur
पान की खेती से मुनाफा

परलकोट क्षेत्र में पहले पान पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से व्यापारियों द्वारा मंगाई जाती थी और बाजारों में पान को अधिक दाम पर बेचा जाता था. लेकिन अब सस्ते में अधिक पान लोगों को मिल जाता है. दरअसल, बाजार में तीन प्रकार का पान उपलब्ध हुआ करता है. बंगला पान, कपूरी पान और मीठापत्ति पान. पखांजूर क्षेत्र में अधिकांश लोग बंगाली हैं, जो कि पान खाने में बंगला पान ज्यादा पसंद करते हैं.

Pan cultivation in pakhanjur
पखांजूर में पान की खेती

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लॉकडाउन में कमाया 1 लाख तक का मुनाफा

ETV भारत ने गांव वालों से लॉकडाउन को लेकर बात की तो उन्होंने कहा कि हमे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, इसकी वजह यह पान की फसल है. जिससे 12 महीने आमदनी होती है. धान और मक्के की फसल के अलावा यहां आय का अलग एक स्रोत है. पान की खेती के लिए ज्यादा जमीन की भी जरूरत नहीं होती हैं. लॉकडाउन में भी लोगों ने 30 हजार से लेकर एक लाख तक का मुनाफा कमाया है.

Last Updated : Aug 25, 2020, 3:19 PM IST
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