पखांजूर/कांकेर: कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण व्यापारियों से लेकर किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा. किसान आर्थिक मंदी से गुजर रहे हैं. लेकिन परलकोट क्षेत्र में एक ऐसा गांव जहां पर ज्यादातर किसान अब पान की खेती कर जबरदस्त मुनाफा कमा रहे हैं. पखांजूर से कुछ ही किलोमीटर दूर है गोविंदपुर गांव. इस गांव के ज्यादातर घरों में आपको पान की खेती देखने को मिल जाएगी. जिसकी बिक्री साल भर होती है.
छत्तीसगढ़ राज्य को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां के किसान धान के साथ-साथ मक्का की भी फसल करते हैं. जिसका साल में एक बार ही फसल उत्पादन होता है और उसी से किसान अपना गुजर बसर करते हैं. लेकिन गोविंदपुर गांव के लोगों को लॉकडाउन और कोरोना काल के दौरान कोई खास असर नहीं पड़ा. क्योंकि अब इन ग्रामीणों ने पान की खेती को आय का मुख्य जरिया बना लिया है. ग्रामीण रोजाना सुबह पान के पत्ते तोड़ कर बाजार में बेचने जाते हैं.
परलकोट क्षेत्र में पहले पान पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से व्यापारियों द्वारा मंगाई जाती थी और बाजारों में पान को अधिक दाम पर बेचा जाता था. लेकिन अब सस्ते में अधिक पान लोगों को मिल जाता है. दरअसल, बाजार में तीन प्रकार का पान उपलब्ध हुआ करता है. बंगला पान, कपूरी पान और मीठापत्ति पान. पखांजूर क्षेत्र में अधिकांश लोग बंगाली हैं, जो कि पान खाने में बंगला पान ज्यादा पसंद करते हैं.
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लॉकडाउन में कमाया 1 लाख तक का मुनाफा
ETV भारत ने गांव वालों से लॉकडाउन को लेकर बात की तो उन्होंने कहा कि हमे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, इसकी वजह यह पान की फसल है. जिससे 12 महीने आमदनी होती है. धान और मक्के की फसल के अलावा यहां आय का अलग एक स्रोत है. पान की खेती के लिए ज्यादा जमीन की भी जरूरत नहीं होती हैं. लॉकडाउन में भी लोगों ने 30 हजार से लेकर एक लाख तक का मुनाफा कमाया है.