कांकेर: बालिका बालगृह में पली बढ़ी लड़की का महिला एवं बाल विकास और सामाजिक संगठनों ने विवाह कराया है. विवाह के बाद उन्हें परिवार के लिए आवश्यक सामग्रियां भी उपहार रूप में प्रदान की गई है. सभी ने उन्हें दाम्पत्य जीवन की शुभकामनाएं दी है.
माता सिंहवाहिनी मंदिर परिसर में बालिका बालगृह में पली बढ़ी रेश्मा ठाकुर और ग्राम कुर्रूभाट निवासी भूपेंद्र कुमार दुबे का विवाह कराया गया है. जिला मुख्यालय स्थित बालिका बालगृह में रेश्मा बालिका के रूप में साल 2009 में आई थी. उस समय वह लगभग 10 वर्ष की थी. बालिका के बालिग होने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने बालिका का विशेषीकृत दत्तक ग्रहण एजेंसी में उसका पुनर्वास कराया. जहां उसे एनजीओ के माध्यम से आया की नौकरी भी दिलाई गई. बालिका विशेषीकृत दत्तक ग्रहण एजेंसी में कार्य कर रही थी.
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विभाग को मिला विवाह का प्रस्ताव
लगभग सात महीने पहले ग्राम कुर्रूभाट निवासी भूपेंद्र कुमार दुबे की ओर से युवती से विवाह के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग कांकेर में प्रस्ताव आया. जिस पर जिला कार्यक्रम अधिकारी के निर्देश पर विधि सह परविक्षा अधिकारी और गैर संस्थागत अधिकारी ने प्रस्ताव का सामान्य परीक्षण किया. परीक्षण में युवक की ओर से दी गई जानकारी सही पाए जाने पर प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई.
विभाग के लोग हुए विवाह में शामिल
जिला बाल सरंक्षण अधिकारी रीना लारिया ने बताया कि लड़की और लड़का बालिग हैं. दोनों की सहमति से विवाह संपन्न कराया गया है. पूर्व में 21 अप्रैल को विवाह संपन्न कराया जाना था, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते विवाह स्थगित कर दिया गया था. कोरोना संक्रमण में कमी आने के बाद विवाह की अनुमति लेकर शनिवार को विवाह संपन्न कराया गया है. जिसमें महिला एवं बाल विकास विभाग, विशेषीकृत दत्तक ग्रहण एजेंसी, बालक कल्याण समिति, सखी संगिनी क्लब की ओर से वर-वधू को उपहार स्वरूप परिवार की आवश्यकता के सामान प्रदान किए गए हैं. साथ ही उन्हें उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी गई है.