कांकेर: छत्तीसगढ़ सरकार धान खरीदी केंद्र और संग्रहण केंद्रों में शेड और चबूतरा निर्माण करा रही है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के माध्यम से ये निर्माण कार्य कराये जा रहे हैं. कई धान खरीदी केंद्रों में निर्माण कार्य शुरू भी हो चुके हैं. इसी बीच निर्माण कार्यों में भारी लापरवाही और अनियमितता का मामला सामने आ रहा है.
ताजा मामला कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा का है, जहां निर्माण एजेंसी विभागीय मापदंड को ताक पर रखकर निर्माण कार्य करा रही है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के माध्यम से धान खरीदी केंद्र में चबूतरा निर्माण कराया जा रहा है. जिसमें अब भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं.
छत्तीसगढ़ के कई जिलों में धान खरीदी के बाद रख-रखाव की लिए सही सुविधा नहीं है. ऐसे में बरसात के दिनों में धान भीगकर खराब हो जाता है. इसे देखते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के माध्यम से चबुतरा निर्माण का काम पंचायत को दिया था. इसके लिए 2 लाख रुपये की स्वीकृत किए गए थे. अब आरोप लग रहे हैं कि निर्माण कार्यों में मापदंडों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है. निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है.
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ताक पर नियम
आरोप है कि निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है. इससे अलावा तय मापदंडों से भी छेड़छाड़ किया जा रहा है. तय मापदंड के तहत दीवारों की चौड़ाई 12 इंच होनी थी, लेकिन ठेकेदार महज 9 इंच चौड़ी दीवार का निर्माण करा रहा है. सरिया भी तय मात्रा के हिसाब से नहीं दिया जा रहा है. इसके अलावा बिना बीम के ही निर्माण कराया जा रहा है.
ये सभी निर्माण कार्य अधिकारियों की देखरेख में होना है, बावजूद इसके कोताही बरती जा रही है. ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के SDO ने बताया कि चबूतरा निर्माण के लिए 2 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जिससे एक फिट चौड़ी दीवार बनाना है, लेकिन निर्माण एजेंसी महज 9 इंच चौड़ी दीवार बना रही है.
शासन के नियम के अनुसार एक चबूतरा पर 15 हजार बोरी धान का छल्ली लगाया जाता है. प्रत्येक बोरी में 40 किलो धान और बोरी का वजन करीब 600 ग्राम होता है. हर चबूतरे पर लगभग 6 हजार 9 सौ क्विंंटल वजन रखा जाता है. ऐसे में निर्माण एजेंसी की लापरवाही का खामियाजा किसानों को ही भुगतना पड़ेगा.