कांकेर: नक्सलियों ने जिले के अंदरूनी इलाके में एक बार फिर बैनर लगाकर दहशत फैलाने की कोशिश की है. नक्सलियों ने कोयलीबेड़ा मरकानार मार्ग पर बैनर लगाए हैं. इस बैनर में नक्सलियों ने प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. पेसा कानून लाए जाने की मांग को लेकर भी नक्सलियों ने बैनर लगाए हैं.
नक्सलियों ने राज्य सरकार पर संविधान की 5वीं और 6वीं अनुसूची के तहत आदिवासियों को प्राप्त अधिकारों के हनन का आरोप लगाया है. पेसा कानून लागू करने के लिए आदिवासी ग्रामीणों से संघर्ष करने की अपील की है. नक्सली लगातार ग्रामीणों को अपनी ओर खींचने की साजिश कर रहे हैं.
कमजोर पड़ रहे नक्सली
बीते दो सालों में पुलिस मितान जैसे कार्यक्रमों से ग्रामीणों का रूझान पुलिस की तरफ हुआ है. जिसकी वजह से नक्सलियों की पैठ इस इलाके में कमजोर हुई है. इससे नक्सली बौखलाए हुए हैं. आए दिन बैनर, पोस्टर और पर्चे के माध्यम से क्षेत्र के ग्रामीणों को नक्सली अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं.
कोयलीबेड़ा मरकानार मार्ग पर नक्सली बैनर लगे होने की सूचना मिलते ही पुलिस पार्टी मौके के लिए रवाना हुई.
क्या है पेसा कानून
- भारतीय संविधान के 73 वें संशोधन में देश में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई थी, लेकिन यह महसूस किया गया कि इसके प्रावधानों में अनुसूचित क्षेत्रों विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों की आवश्यकताओं का ध्यान नहीं रखा गया है.
- इस कमी को पूरा करने के लिए संविधान के भाग 9 के अन्तर्गत अनुसूचित क्षेत्रों में विशिष्ट पंचायत व्यवस्था लागू करने के लिए 'पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार अधिनियम 1996' बनाया गया. जिसे 24 दिसम्बर 1996 को राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया गया.
- यह कानून पेसा के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि अंग्रेजी में इस कानून का नाम प्रोविजन ऑफ पंचायत एक्टेशन टू शेड्यूल्ड एरिया एक्ट 1996 है.