कांकेर: छत्तीसगढ़ में 7 नवंबर को पहले चरण का मतदान संपन्न हुआ है. प्रथम चरण के मतदान को सफल करने के लिए 6 नवंबर को पखांजूर इलाके के 131 मतदान केंद्रों तक मतदान दलों को रवाना किया गया था. इसी बीच रेंगावही मतदान केंद्र से पहले ही नक्सलियों ने दल पर हमला करते हुए पाइप ब्लास्ट कर दिया. मतदान दल पर हमला होने के बावजूद पोलिंग पार्टी मतदान केंद्र तक पहुंची और सात नवम्बर को मतदान कराया गया. मतदान दल और EVM मशीन सहित पखांजूर स्थित स्ट्रांग रूम पहुंचकर उन्होंने मतदान कराया.
क्या कहते हैं मतदानकर्मी: मतदान केंन्द्र पहुंचने के बाद ईटीवी भारत ने मतदान कर्मियों से बातचीत की. बातचीत के दौरान एक मतदानकर्मी ने बताया कि, " हम लोग मतदान करने के लिए जा रहे थे. जैसे ही पोल को क्रॉस किए, अचानक ही ब्लास्ट हुआ. उस समय कुछ समझ नहीं आया, मेरे सामने में दो ब्लास्ट हुआ और पीछे में एक ब्लास्ट हुआ. सामने में दो पीठासीन अधिकारी थे और हमारे पीछे फोर्स के जवान थे. पीछे वाले फोर्स के जवान के दोनों पैर में चोट लग गई, मुझे भी चोट लगी और ब्लड आ रहा था. मैं लेट गया था और सारे दल के लोग लेट गए थे. बीएसएफ के जवानों ने हमें लेटने के लिए कहा था. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, घटना के बाद भी मतदान बढ़िया रहा. यहां 71.15 मतदान प्रतिशत रहा."
पंखाजूर में मतदानकर्मियों का किया गया सम्मान: वहीं, मतदान कर्मी घनश्याम सिंह नेताम ने बताया कि, "मुझे चुनाव के लिए रेंगवाही मतदान केंद्र का अधिकारी बनाया गया था. मतदान के लिए पखांजूर हाई स्कूल से सामान प्राप्त करने के बाद हम लोग मतदान केंद्र के लिए रवाना हुए थे. बीएसएफ के जवान हम लोगों को सुरक्षा दे रहे थे, हम रास्ते में थे और अचानक ब्लास्ट हुआ. हम लोग सोचे भी नहीं थे कि ऐसी घटना होगी"
"मेरे पांच कदम पीछे में ही ब्लास्ट हुआ. उसके बाद भी हम जाकर मतदान कराया. मैं जनता को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने बढ़-चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया और मतदान प्रतिशत भी अच्छा रहा. मैं बीएसएफ जवान को भी धन्यवाद दूंगा, जो हमारी सुरक्षा में लगे रहे. मतदान कर्मी जो रेंगावाही के रास्ते में आईईडी ब्लास्ट होने के बावजूद रेंगावाही तक पहुंचे और मतदान करवाया. जब हम सुरक्षित वापस पाखंजूर पहुंचे तो सभी मतदानकर्मियों का पुलिस अधीक्षक ने सम्मान किया."- मतदान कर्मी
बता दें पहले चरण के मतदान में कई क्षेत्रों में नक्सलियों ने वोटिंग के दौरान बाधा डालने की कोशिश की. हालांकि लोगों ने बढ़चढ़ कर लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लिया.