कांकेर: जिले के अंतागढ़ इलाके में सिकसोड़ थाना क्षेत्र अंतर्गत नक्सलियों ने स्वतंत्रता दिवस के बहिष्कार और अमृत महोत्सव को न मनाने की अपील की है. नक्सलियों ने बैनर और पोस्टर भी लगाए हैं. विरोध स्वरूप बड़ी संख्या में सड़क के किनारे लगे पेड़ों को काटकर मुख्य मार्ग को बाधित कर दिया गया है. (Naxalites boycotted azadi ka amrit mahotsav )
नक्सलियों ने आजदी के अमृत महोत्सव का बहिष्कार किया : मेटा बुदेली चारगांव खदान की ओर जाने वाले मार्ग पर भैसासुर से सुरेवाही के बीच में बड़ी संख्या में पेड़ों को गिराकर स्वतंत्रता दिवस का बहिष्कार करने बैनर पोस्टर लगा दिया गया है. ग्रामीणों की सूचना पर बीएसएफ घटनास्थल पहुंच गई है. मार्ग को बहाल करने के प्रयास जारी है. बड़ी संख्या में दोनों और वाहनों को जाने से रोक दिया गया है. जिससे ट्रकों की लंबी कतार लग गई है.
नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के बस्तर में आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर ग्रामीणों में अलग ही चहल पहल है. कई दशकों से बस्तर में नक्सलवाद की वजह से राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा से अनजान अब यहां के ग्रामीण इस साल शान से अपने अपने गांव में स्कूलों के साथ सरकारी भवनों में तिरंगा फहराएंगे. आजादी के बाद पहली बार बस्तर के कई गांव जहां कभी भी तिरंगा झंडा नहीं फहराया गया था वहां तिरंगा झंडा फहराया जाएगा.
आजादी के बाद पहली बार नक्सलगढ़ के इन गांवों में लहराएगा तिरंगा
प्रशासन ने तिरंगा फहराने की तैयारी की: बस्तर आईजी सुन्दरराज पी ने बताया " इस साल 15 अगस्त के मौके पर कभी नक्सलियों का गढ़ रहे 6 से अधिक गांवों में पहली बार तिरंगा फहराया जाएगा. इसको लेकर पुलिस के जवान और इन इलाकों के ग्रामीण पहले से ही तैयारी में जुट गए हैं. बस्तर में पिछले कई सालों से इन इलाकों में नक्सली काला झंडा लहरा कर ग्रामीणों को भी अपने राष्ट्रीय पर्व को मनाने की मनाही करते हैं. लेकिन इस बार सुरक्षाबल के जवान और बस्तर जिला प्रशासन इन गांवों में तिरंगा झंडा फहराएगा. नक्सली इन इलाकों में अपनी पैठ जमाए बैठे हैं. ऐसे में इस राष्ट्रीय पर्व पर ना कोई ध्वजारोहण होता है और ना ही कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन, नक्सलियों के दहशत की वजह से ग्रामीणों को उन्हीं के नक्शे कदम पर चलना पड़ता है, लेकिन इस साल ऐसा नहीं है. "
काला झंडा फहराते है नक्सली: बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आज भी ऐसे गांव हैं. जहां नक्सली स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर काला झंडा फहराकर इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाते हैं. ग्रामीणों को भी अपने इस राष्ट्रीय पर्व से दूर रखते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों से जिस तरह बस्तर पुलिस नक्सलियों के मांद में घुसकर उनके संगठन को कमजोर कर रही है. उन्हें बैकफुट पर जाने को मजबूर किया है. इससे अब ग्रामीण अंचलों में इस साल राष्ट्रीय पर्व को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पहली बार अपने क्षेत्रों में तिरंगा झंडा फहराने को लेकर काफी उत्साहित भी हैं.