कांकेर: नक्सल प्रभावित परिवारों (Naxal victims families) ने शासन-प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. नक्सलियों द्वारा प्रताड़ित किए गए इन परिवारों ने कांकेर (Kanker) में रैली निकाली है. इन लोगों ने नक्सलियों से बचने के लिए अपना घर छोड़ दिया. प्रशासन ने इन्हें मदद का आश्वासन दिया था. लेकिन अब तक इन परिवारों को सरकार की पुनर्वास योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. अपनी कई मांगों को लेकर जिला मुख्यालय में 200 नक्सल पीड़ित परिवार जुटे और गुहार लगाई.
छत्तीसगढ़ में बस्तर नक्सल प्रभावित संभाग है. (Bastar Naxal Affected Division) संभाग के सभी 7 जिलों में नक्सलियों का प्रभाव देखा जा सकता है. उत्तर बस्तर (कांकेर) में नक्सलियों ने कई परिवारों को प्रताड़ित किया है. कई परिवारों ने अपनों को खोने के बाद घर और जमीन छोड़ने का फैसला लिया. लेकिन दुर्भाग्य ये है कि अपनी जान बचाने के लिए सबकुछ छोड़कर सरकार की शरण में आए इन लोगों को शासन-प्रशासन ने भुला दिया है. उम्मीद की किरण जब धुंधली हुई, तो ये सभी प्रदर्शन को मजबूर हो गए.
मजदूरी करने को मजबूर परिवार
नक्सली प्रताड़ना के बाद पुरखों की जमीन-जायदाद छोड़ कर आए पीड़ित परिवार रोजी-मजदूरी कर खाने को मजबूर हैं. ये परिवार गांव भी नहीं लौट सकते हैं. गांव लौटने पर नक्सलियों का डर है. वहीं दूसरी ओर सरकार और प्रशासन की अनदेखी से परेशान हैं. ग्रामीणों का कहना है कि आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों को उनके इनाम की राशि तक नहीं मिली है. नौकरी-घर जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी भटकना पड़ रहा है.
सरेंडर कर चुके नक्सलियों को कब मिलेगा पुनर्वास नीति का लाभ ?
अपनी मांग से कराया अवगत
नक्सल पीड़ित परिवारों ने फिर एक बार अपनी मांग से शासन-प्रशासन से अवगत कराया है. जिला मुख्यालय में नक्सल पीड़ित परिवारों के सदस्यों ने रैली निकाली थी. कलेक्टर के नाम से एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है. पीड़ित परिवारों का आरोप है कि उन्हें जो लाभ मिलना था, वो नहीं मिला है. प्रशासन उनकी सुध नहीं ले रहा है. अब तक दर्जनों बार ज्ञापन देकर अपनी मजबूरी और मांग दोनों प्रशासन को बता चुके हैं.
दिल्ली की तैयारी में पीड़ित परिवार
पीड़ित परिवारों से ETV भारत ने बात की है. उन्होंने कहा कि लगातार अपनी मांग को लेकर शासन-प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं. लेकिन उन्हें अब तक सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है. परिवारों ने कहा कि वो आखिरी बार जिला प्रशासन को मांग से अवगत करा रहे हैं. इसके बाद सभी दिल्ली में धरना देंगे. जिला मुख्यालय में अपनी मांगों को लेकर यह उनकी आखिरी रैली है. प्रधानमंत्री कार्यालय के सामने धरना देने की तैयारी कर रहे हैं.
नक्सल पीड़ित परिवारों ने रायपुर में दिया धरना
परेशानियों से जूझ रहे पीड़ित परिवार
पीड़ित परिवारों का आरोप है कि आम नागरिकों को पुलिस मुखबिर कहकर नक्सली मार देते हैं. उनके परिवार को केंद्र और छत्तीसगढ़ शासन द्वारा मिलने वाली राशि और योजना के तहत संपूर्ण लाभ नहीं मिल रहा है. उनकी मांग है कि गोपनीय सैनिक को पुलिस विभाग में आरक्षक के पद पर नियुक्त किया जाना चाहिए. छत्तीसगढ़ राज्य में जितने भी वर्तमान में सहायक आरक्षक हैं उन्हें भी पदोन्नति और वेतन में बढ़ोतरी किया जाना चाहिए.
क्या मुख्य मांग है पीड़ित परिवारों की ?
- आत्मसमर्पित नक्सलियों को पुनर्वास योजना (rehabilitation plan) का संपूर्ण लाभ दिया जाना चाहिए.
- नक्सल प्रताड़ना के बाद गांव छोड़ चुके परिवारों को व्यस्थापना के साथ अन्य लाभ दिए जाएं.
- नक्सल पीड़ित परिवारों के लिए रोजगार की व्यवस्था की जाए.
- आत्मसमर्पित नक्सलियों को फोर्स में भर्ती और गुप्त पुलिस न बनाया जाए.
- पुनर्वास योजना के क्रयान्वयन को लेकर सरकार सक्रियता दिखाए.
समय-समय पर उठती है मांग
एक तरफ जब हम नजर डालें तो हम देखते हैं कि सरकार की पुनर्वास योजना और लोन वर्राटू जैसे अभियान से प्रभावित होकर नक्सली नक्सल विचारधार को छोड़ मुख्य धारा से जुड़ने के फैसला कर रहे हैं. दंतेवाड़ा जैसे कोर नक्सल इलाके में एक साल के अंदर 400 से ज्यादा नक्सली मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं. लेकिन वहीं दूसरी ओर बस्तर संभाग से करीब 500 से ज्यादा आत्मसमर्पित नक्सली 16-17 जनवरी को रायपुर पहुंचे थे. जिसमें बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाएं भी मौजूद थी. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने शासन पर योजनाओं का फायदा नहीं देने का आरोप लगाया था.