कांकेरः प्रदेश समेत अंचल में 23 नंवबर को मितानिन दिवस मनाया जा रहा है. मितानिनों को उनके कार्य को लेकर सम्मानित किया जा रहा है. पूरे जिले में 3200 से अधिक मितानिनें हैं, जो निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा दे रही हैं. मितानिन दिवस के दिन ईटीवी भारत ने मितानिन संघ के अध्यक्ष इंदु कावड़े से बात की. उन्होंने बताया कि जहां विभाग के कार्यकर्ता नहीं पहुंच पातेस, वहां मितानिनें पारा मुहल्ले में चाहे बारिश हो, धूप हो, पहुंचकर प्राथमिक उपचार देती हैं और गंभीर स्थिति में स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने में मदद करने में तत्पर रहते हैं.
सरकार द्वारा मितानिन को टीकाकरण, संस्थागत प्रसव, प्रसव पूर्व चार जांच, नवजात के बच्चे के घर भ्रमण सहित कुछ सेवाएं पर शासन द्वारा प्रोत्साहन राशि दी जाती है. ग्रामीण क्षेत्रों में इनके भरोसे पूरा स्वास्थ्य विभाग टिका है, यह हैं मितानिन. फिर चाहे सामान्य टीके और पोषण के बारे में जानकारी देनी हो या कोविड संक्रमण दौर में उससे बचाव में लगी ड्यूटी या फिर कोविड टीका लगाने में लोगों को प्रेरित करना हो, मितानिन ने अपना काम बखूबी निभाया.
इंदु कावड़े ने बताया कि पिछले एक साल से मितानिनों को कोविड प्रोत्साहन राशि नही मिली है जो राशि खाते में आ गई थी उसे भी वापस मांगा लिया गया है. कोविड कॉल में अपनी जान हथेली पर रखकर हमने काम किया. अभी भी टीकाकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. हमारी अंदुरुनी क्षेत्र की मितानिन बहनें काफी दिक्कतों का सामना कर नदी, नाले पर नक्सलवाद क्षेत्रों में अपना फर्ज निभा रही हैं.
आइए जानते हैं क्या है मितानिनों का काम?
मितानिन को ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ की संज्ञा दी गई है. ये गांव-गांव के पारा टोला में रहकर लोगों को मलेरिया, दस्त, निमोनिया, बीमार नवजात, टीवी, कुष्ठ, पीलिया, कुपोषण, कृमि, गर्भवती, शिशुवती, ऊपरी आहार के घर परिवार भ्रमण, गर्भवती पंजीयन, प्रसव पूर्व चार जांच, संस्थागत प्रसव, महिलाओं की खास समस्याएं, गर्भावस्था में देखभाल, प्रसव के बाद माता के देखभाल करती हैं. साथ ही सुरक्षित गर्भपात, महिला हिंसा रोकने, पोषण व खाद्य सुरक्षा, बच्चों का विकास, महिलाओं के अधिकार, स्तन कैंसर के लक्षण की जानकारी, पारा बैठक कर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना सहित अन्य कार्यों को भी निस्वार्थ भाव से करती हैं. प्रदेश में वर्ष 2011 से 23 नवंबर को मितानिन दिवस मनाया जा रहा है. इस वर्ष जिला स्तर पर मितानिन सम्मान दिवस मनाया जाता है.
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विशेष दिन पर इन मांगों को लेकर उठाई आवाज
- कोरोना महामारी के दौरान केंद्र सरकार के आदेश अनुसार पूरा कोविड इंसेंटिव 1000 रुपए दिया जाना था, परन्तु छत्तीसगढ़ के मितानिनों को जून 2020 तक ही कोविड प्रोत्साहन राशी दी गई थी. जुलाई 2020 से मार्च 2021 तक कोई राशि नहीं दी गई. मितानिनों को यह सभी राशि जल्द से जल्द दिया जाए. उसके बाद अप्रैल से सितम्बर 2021 तक कोविंड प्रोत्साहन राशि को कुछ जिलों में दिया गया, परन्तु अभी उसको कुछ जिलों में वापस मांगा जा रहा है और कुछ जिलों में उनके दूसरे प्रोत्साहन राशि से काटा जा रहा है. इसे तत्काल वापस किया जाए.
- जन घोषणा पत्र में वादा किये गए अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि रु 5000 को हर मितानिनों को दिया जाए.
- प्रोत्साहन राशि देरी से दिया जाता है और जो हम दावा पपत्र में भरकर देते हैं, उसको ब्लाक/ जिला के अधिकारीयों द्वारा काट दिया जाता है. इस वजह से माह के अंत में हमको जितना प्रोत्साहन राशि मिलना चाहिए, उतना नहीं मिलकर उससे कम राशि मिलती है. हमें हसारे काम के हिसाब से जो प्रोत्साहन राशि होती है, वह दिया जाए.
- हम मितानिनों को अपने कार्यक्षेत्र से दूसरे जगह ना भेजा जाए.
- मितानिनों द्वारा दस्त, बुखार, सर्दी-खासी, निमोनिया, डेंगू, पीलिया आदि बीमारिओं की रोकथाम का कार्य किया जा रहा है. साथ ही अनेक प्रकार के मरीजों का इलाज किया जाता है. समुदाय में जागरूकता के लिए कई प्रकार के कार्य किये जाते हैं. किन्तु इन सब कामों के लिए मितानिनों को कोई प्रोत्साहन राशि नहीं दी जाती है, इन सब कार्यों के लिए प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया जाए.
- क्यूंकि हमें स्वयंसेवी माना जाता है, हमें प्रशासन द्वारा आदेशित नहीं किया जाए. खास तौर पर सर्वे या फॉर्मेट भरने का काम बिलकुल नहीं थोपा जाए. यह स्वास्थ्य एवं अन्य विभागों, जिला प्रशासन एवं जनपद प्रशासन को स्पष्ट किया जाए.
- मितानिन एवं उनके परिवारों के सदस्यों के लिए भी सामाजिक सुरक्षा का ख्याल रखा जाए. जैसे कि पेंशन, प्रोविडेंट फण्ड, आपातकालीन स्थिति में मुआवजा, निःशुल्क इलाज आदि.
- सरकारी अस्पतालों में अन्य स्वास्थ्य सहकर्मियों का मितानिनों के साथ उचित व्यवहार सुनिश्चित किया जाए एवं मितानिनों की समस्याओं के लिए शिकायत निवारण तंत्र बनाया जाए.
- हम जब रात में मरीज को अस्पताल लेकर जाते हैं, हमारे लिए अस्पताल में रुकने की व्यवस्था की जाए. हम आशा करते हैं कि उपरोक्त मांगों को ध्यान में रखेंगे एवं क्रियान्वयन करेंगे.