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कांकेर: परलकोट इलाके में कम बारिश ने बढ़ाई किसानों की चिंता

कांकेर जिले के परलकोट इलाके में इस साल बारिश ने किसानों को खासा नाराज किया है. परलकोट जलाशय में इस साल एक तिहाई भी पानी नहीं भरा है, जिसके कारण यहां के किसान रबी फसल को लेकर चिंतित हैं.

Palkot Reservoir of Kanker
परलकोट जलाशय
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Published : Oct 4, 2020, 6:35 PM IST

Updated : Oct 4, 2020, 9:44 PM IST

कांकेर: परलकोट क्षेत्र कांकेर जिले का सबसे बड़ा खेतीहर इलाका है. परलकोट क्षेत्र में हजारों हेक्टेयर जमीन पर धान और मक्के की खेती होती है. इस इलाके में खेती के लिए सीधे परलकोट जलाशय से पानी दिया जाता है. इलाके के करीब 5 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई के लिए सीधे परलकोट जलाशय से पानी छोड़ा जाता है. परलकोट कोई इंडस्ट्रियल एरिया नहीं है, जिसके कारण यहां के लोग खेती-किसानी से ही अपना गुजर बसर करते हैं.

खेती करने में आ सकती है समस्याएं

परलकोट इलाके में साल में दो बार फसलें उगाई जाती हैं. खरीफ सीजन में परलकोट में भारी मात्रा में धान की फसल होती है, वहीं रबी सीजन में यहां हजारों हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है. जिस परलकोट जलाशय के भरोसे रबी सीजन में मक्के की खेती होती है, इस साल अल्प वृष्टि से यहां सन्नाटा पसरा हुआ है. बारिश का सीजन लगभग खत्म होने को है, लेकिन जलाशय अभी तक एक तिहाई हिस्सा ही पानी से भरा पाया है. खाली जलाशय को देख क्षेत्र के किसान परेशान हैं. जलाशय में पानी नहीं होने से इलाके के सैकड़ों किसानों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा.

पढ़ें- पत्रकार कमल शुक्ला पर हमले का मामला, रायपुर में पत्रकारों ने सरकार पर बोला हल्ला

पिछले रबी सीजन में घाटा हुआ

किसानों ने बताया, एक तो कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन से क्षेत्र के किसानों को पिछले रबी सीजन में घाटा हुआ और इस साल कम बारिश से परलकोट जलाशय नहीं भरने से रबी की फसल उगाना असंभव हो गया है. कांकेर जिला और राजनांदगांव जिला सहित महाराष्ट्र के गढचिरौली जिले से बारिश का पानी बहकर परलकोट जलाशय में जमा होता है. ये विशाल जलाशय भरने वे बाद ओवर ब्रिज से पानी नीचे उतरता है और नहरों के माध्यम से खेतों तक पहुंचता है. लेकिन इस साल पानी नहीं होने के कारण किसानों में मायूसी है. किसान रबी फसल को लेकर काफी चिंतित हैं.

कांकेर: परलकोट क्षेत्र कांकेर जिले का सबसे बड़ा खेतीहर इलाका है. परलकोट क्षेत्र में हजारों हेक्टेयर जमीन पर धान और मक्के की खेती होती है. इस इलाके में खेती के लिए सीधे परलकोट जलाशय से पानी दिया जाता है. इलाके के करीब 5 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई के लिए सीधे परलकोट जलाशय से पानी छोड़ा जाता है. परलकोट कोई इंडस्ट्रियल एरिया नहीं है, जिसके कारण यहां के लोग खेती-किसानी से ही अपना गुजर बसर करते हैं.

खेती करने में आ सकती है समस्याएं

परलकोट इलाके में साल में दो बार फसलें उगाई जाती हैं. खरीफ सीजन में परलकोट में भारी मात्रा में धान की फसल होती है, वहीं रबी सीजन में यहां हजारों हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है. जिस परलकोट जलाशय के भरोसे रबी सीजन में मक्के की खेती होती है, इस साल अल्प वृष्टि से यहां सन्नाटा पसरा हुआ है. बारिश का सीजन लगभग खत्म होने को है, लेकिन जलाशय अभी तक एक तिहाई हिस्सा ही पानी से भरा पाया है. खाली जलाशय को देख क्षेत्र के किसान परेशान हैं. जलाशय में पानी नहीं होने से इलाके के सैकड़ों किसानों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा.

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पिछले रबी सीजन में घाटा हुआ

किसानों ने बताया, एक तो कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन से क्षेत्र के किसानों को पिछले रबी सीजन में घाटा हुआ और इस साल कम बारिश से परलकोट जलाशय नहीं भरने से रबी की फसल उगाना असंभव हो गया है. कांकेर जिला और राजनांदगांव जिला सहित महाराष्ट्र के गढचिरौली जिले से बारिश का पानी बहकर परलकोट जलाशय में जमा होता है. ये विशाल जलाशय भरने वे बाद ओवर ब्रिज से पानी नीचे उतरता है और नहरों के माध्यम से खेतों तक पहुंचता है. लेकिन इस साल पानी नहीं होने के कारण किसानों में मायूसी है. किसान रबी फसल को लेकर काफी चिंतित हैं.

Last Updated : Oct 4, 2020, 9:44 PM IST
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