कांकेर: कोरोना वायरस का दंश अब भी बरकरार है. छोटे व्यापारी परेशान हैं. कोरोना ने व्यापार को चौपट कर दिया है. छोटे व्यापारी अब भी कराह रहे हैं. हाल ही में कांकेर में मेला का आयोजन किया गया था. मेले में दूर-दराज से छोटे व्यापारी पहुंचे थे. व्यापारियों को निराशा हाथ लगी है. मेले में व्यापारियों की एंट्री बंद की जा रही है. ऐसे में व्यपारियों को लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है. नगर पालिका कोरोना के कारण व्यापारियों को वापस भेज रही है.
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कांकेर में मेले के आयोजन में सैकड़ों व्यापारी पहुंचे थे. व्यापारियों ने अपनी दुकान सजाना शुरू ही किया था. नगर पालिका ने व्यापारियों को हटाने के लिए बोल दिया. नगर पालिका ने कोरोना संक्रमण का हवाला दिया. कहा कि मड़ई को लेकर किसी भी प्रकार का लिखित आदेश जारी नहीं हुआ है. मौखिक आदेश में कहा गया है कि सिर्फ देवी-देवताओं का पूजा किया जाएगा. व्यपारी किसी भी प्रकार का दुकान नहीं लगाएंगे.
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12 साल से मेला में कर रहे थे धंधा
नथियानवा गांव के बिरसुराम निषाद ने बताया वह 12 साल से मेला में होटल लगाकर व्यवसाय कर रहे हैं. अपना आधा दुकान तैयार कर पकवान भी बना चुके थे. नगर पालिका के आदेश के बाद अपना सारा सामान हटाने में जुट गए. बिरसुराम निषाद ने ETV भारत से अपना दर्द बयां किया. उन्होंने बताया बड़ा बनाने के लिए दाल पीस चुके थे. अब पूरा समान खराब हो गया है. अब भाड़ा का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा है. बिरसु ने कहा पहले वह 30 हजार रुपये तक का धंधा करते थे. मेला नहीं लगने से आर्थिक तंगी का शिकार होना पड़ेगा.
कर्ज चुकाने की टेंशन
धमतरी बोराई के राजू ने बताया वह जूते-चप्पल का दुकान लगाते हैं. इससे पहले वो धमतरी के राजाराव पठार में मेला गए थे. वहां हजारों की भीड़ थी. लखनपुरी मेला गए थे. वहां धंधा किया. अब कांकेर मेला में दुकान लगाने पहुंचे थे. कोरोना संक्रमण के कारण पालिका ने मना कर दिया. राजू ने कहा कि कर्ज लेकर समान लिया है. मेले से लाखों का धंधा कर लेते हैं. इस वर्ष कर्ज चुकाने की मुसीबत है.
व्यापारियों को उठाना पड रहा नुकसान
कांकेर में कोरोना संक्रमण के कारण रियासतकालीन मेले में दुकानें, मीना बाजार और झूले लगाने की अनुमति नहीं दी गई थी. यह स्पष्ट हो चुका था कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष मेले में दुकानें, झूले और अन्य मनोरंजन के लिए लगने वाली दुकानें नहीं लगाई जाएंगी. केवल पूजा-अर्चना के लिए देव मेले का आयोजन की अनुमति है. बावजूद इसके मेले में दुकान और झूला लगाने वाले व्यापारी पहुंच रहे हैं. ऐसे में व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.