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कांकेर : गढ़िया पहाड़ पर स्थित है ये शिव मंदिर, दर्शन के लिए उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़ - कांकेर

कांकेर : महाशिवरात्रि का पर्व पूरे देश मे धूमधाम से मनाया जा रहा है, जिले में भी सुबह से ही शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है, शहर के गढ़िया पहाड़ में भी शिव जी का प्राचीन मंदिर है, जहां बड़ी संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं और शिव अभिषेकर कर रहे हैं.

महाशिवरात्रि
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Published : Mar 4, 2019, 11:23 AM IST

गढ़िया पहाड़ का इतिहास हजारों साल पुराना है, ये मंदिर यहां कबसे है, इसकी जानकारी स्पष्ट नहीं है. जमीन से 660 फीट की ऊंचाई पर गढ़िया पहाड़ में स्थित भगवान शिव के इस मंदिर के विषय में कहा जाता है कि जब भगवान राम वनवास पर थे, उस दौरान वो इस रास्ते से गुजरे थे और गढ़िया पहाड़ में भी वो रुके थे और उन्होंने ही यहां शिवलिंग की स्थापना की थी.

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शिवलिंग स्थापना के बाद जब राजा का शासन आया, तब उन्होंने इसे मंदिर का रूप दिया. उस दौर से ही ये मंदिर यहां है और आज भी लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. सन् 1955 से यहां हर साल शिवरात्रि पर मेला लगता है.

पहले यहां पहुंचने का कोई साधन नहीं था. पहाड़ी रास्तों से लोगों को यहां तक पहुंचना पड़ता था, जिसके बाद सन् 1994 में यहां सीढ़ियों का निर्माण किया गया, जिसके बाद अब यहां सड़कें भी बन चुकी हैं, जिससे अब ये एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है और अब यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ती जा रही है.
गढ़िया पहाड़ पर शिवजी के मंदिर के अलावा माता शीतला और मां दुर्गा का मंदिर भी है. साथ ही यहां काफी संख्या में प्राचीन मूर्तियां भी हैं.

गढ़िया पहाड़ का इतिहास हजारों साल पुराना है, ये मंदिर यहां कबसे है, इसकी जानकारी स्पष्ट नहीं है. जमीन से 660 फीट की ऊंचाई पर गढ़िया पहाड़ में स्थित भगवान शिव के इस मंदिर के विषय में कहा जाता है कि जब भगवान राम वनवास पर थे, उस दौरान वो इस रास्ते से गुजरे थे और गढ़िया पहाड़ में भी वो रुके थे और उन्होंने ही यहां शिवलिंग की स्थापना की थी.

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शिवलिंग स्थापना के बाद जब राजा का शासन आया, तब उन्होंने इसे मंदिर का रूप दिया. उस दौर से ही ये मंदिर यहां है और आज भी लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. सन् 1955 से यहां हर साल शिवरात्रि पर मेला लगता है.

पहले यहां पहुंचने का कोई साधन नहीं था. पहाड़ी रास्तों से लोगों को यहां तक पहुंचना पड़ता था, जिसके बाद सन् 1994 में यहां सीढ़ियों का निर्माण किया गया, जिसके बाद अब यहां सड़कें भी बन चुकी हैं, जिससे अब ये एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है और अब यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ती जा रही है.
गढ़िया पहाड़ पर शिवजी के मंदिर के अलावा माता शीतला और मां दुर्गा का मंदिर भी है. साथ ही यहां काफी संख्या में प्राचीन मूर्तियां भी हैं.

Intro:कांकेर - आज महाशिवरात्रि का पर्व पूरे देश मे धूमधाम से मनाया जा रहा है , सुबह से ही शिव मन्दिरो में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है , शहर के गढ़िया पहाड़ में भी शिव जी का प्राचीन मंदिर है जिसका इतिहास हजारो साल पुराना है , यह मंदिर यहां कबसे है , इसकी जानकारी कोई भी स्पष्ठ रूप से नही दे पाता है । आज सुबह से ही इस शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है । हम आपको इस मंदिर से जुड़े कुछ रोचक किस्से इस खबर में बताएंगे ।


Body:जमीनी तल से 660 फ़ीट की ऊंचाई में गढ़िया पहाड़ में स्तिथ भगवान शिव के इस मंदिर के विषय मे कहा जाता है कि जब भगवान राम वनवास में थे उस दौरान वो इस रास्ते से गुजरे थे और गढ़िया पहाड़ में भी वो रुके थे इस दौरान उन्होंने ही यहां शिव लिंग की स्थापना की थी , जिसके बाद जब यहां राजा का शासन आया तब उन्होंने इसे मन्दिर का रूप दिया था , उस दौर से ही यह मंदिर यहां है और आज भी लोगो के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है । सन 1955 से यहां हर साल शिवरात्रि पर मेला लगता है , पहले यहां पहुचने के लिए कोई साधन नही थे । पहाड़ी रास्तो से लोगो को यहां तक पहुचना पड़ता था , जिसके बाद सन 1994 में यहां सीढ़ियों का निर्माण किया गया , जिसके बाद अब यहां सड़के भी बन चुकी है । जिससे अब यह एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है । पहले स्थानीय लोग ही यहां पहुचते थे लेकिन जब से यहां सड़को का निर्माण हुआ है बाहरी पर्यटक भी यहां पहुचने लगे है।


Conclusion:गढ़िया पहाड़ में शिव जी के मंदिर के अलावा माता शीतला का और दुर्गा का मंदिर भी है । साथ ही यहां काफी संख्या में प्राचीन मुर्तिया भी है ।

बाइट - 1 अभिलाष दुबे पुजारी
2 . हरिशंकर प्रसाद श्रद्धालु
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