ETV Bharat / state

जल संसाधन विभाग ने खड़े किए हाथ तो किसानों ने ली गेट रिपेयरिंग की जिम्मेदारी - kanker latest news

पखांजुर के परलकोट जलाशय के टूटे हुए गेट को रिपेयरिंग करने की जिम्मेदारी किसानों ने ली है. वहीं जोखिम से भरे इस काम के लिए जल संसाधन विभाग ने सुरक्षा के लिए किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की है.

जलसंसाधन विभाग ने हाथ खड़े किए तो किसानों ने ली गेट रिपेयरिंग की जिम्मेदारी
जलसंसाधन विभाग ने हाथ खड़े किए तो किसानों ने ली गेट रिपेयरिंग की जिम्मेदारी
author img

By

Published : Nov 30, 2019, 8:21 AM IST

कांकेर: जल संसाधन विभाग ने जब नहीं की मदद तो किसानों ने उठाई परलकोट जलाशय के टूटे हुए गेट को रिपेयरिंग की जिम्मेदारी.

जल संसाधन विभाग ने खड़े किए हाथ तो किसानों ने ली गेट रिपेयरिंग की जिम्मेदारी

दरअसल मामला परलकोट जलाशय का है, इस जलाशय का निर्माण कार्य 1966 में शुरू हुआ था. जो कि 1981 में बनकर तैयार हो गया था, जल संसाधन विभाग की लापरवाही की वजह से लंबे समय तक जलाशय का कोई मेनेटनेस नहीं हुआ. जिसके कारण बांध के ऊपर बने दोनों गेट के उपकरण टूट गए हैं. जिसकी कारण पानी चौबीसों घंटे बेवजह बह रहा हैं. जब ग्रामीणों ने इसकी शिकायत जल संसाधन विभाग से की, तो उन्होंने हाथ खड़े कर लिए.

किसान कर रहे जलाशय के टूटे हुए गेट की रिपेयरिंग

वहीं गांव के किसान गर्मी के समय फसल उगाने के लिए परलकोट जलाशय के टूटे हुए गेट को रिपेयरिंग करने को मजबूर हैं.

बता दें कि हर साल किसानों की फसल परलकोट जलाशय में पानी सूख जाने की वजह से पकने से पहले ही सूख जाती है. मजबूरन किसानों को अधपके फसल को कम दाम पर बेचना पड़ता है. वहीं इस साल अधिक बारिश होने से परलकोट जलाशय लबालब भरा हुआ था. लेकिन दोनों गेट टूटे होने के कारण पानी चौबीसों घंटे बह रहा है.

पढे़: प्याज की बढ़ती कीमतों को लेकर CM ने PM मोदी को लिखा पत्र, की ये अपील

किसानों ने गर्मी में होने वाले मक्का, कलिंदर और अन्य फसलों की सिंचाई के लिए खुद बांध पर बने गेट के भीतर 70 फिट नीचे जान जोखिम में डाल कर गेट रिपेयरिंग कर रहे हैं.

गेट का पानी जिस पाइप से निकल रहे हैं वो 500 फिट दूर रफ्तार से बहते पानी में दर्पण से धूप की रिप्लेक्टर के रौशनी के सहारे गेट की रिपेयरिंग कर रहे हैं.जहां गेट के चारों ओर कांक्रीट से भी भारी मात्रा में पानी सीपेज हो रहे हैं. जिसकी वजह से कभी भी बड़ा हादसा होने की संभावना बनी हुई हैं. वहीं जोखिम भरे काम के लिए जल संसाधन विभाग ने सुरक्षा के लिए किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की है.

कांकेर: जल संसाधन विभाग ने जब नहीं की मदद तो किसानों ने उठाई परलकोट जलाशय के टूटे हुए गेट को रिपेयरिंग की जिम्मेदारी.

जल संसाधन विभाग ने खड़े किए हाथ तो किसानों ने ली गेट रिपेयरिंग की जिम्मेदारी

दरअसल मामला परलकोट जलाशय का है, इस जलाशय का निर्माण कार्य 1966 में शुरू हुआ था. जो कि 1981 में बनकर तैयार हो गया था, जल संसाधन विभाग की लापरवाही की वजह से लंबे समय तक जलाशय का कोई मेनेटनेस नहीं हुआ. जिसके कारण बांध के ऊपर बने दोनों गेट के उपकरण टूट गए हैं. जिसकी कारण पानी चौबीसों घंटे बेवजह बह रहा हैं. जब ग्रामीणों ने इसकी शिकायत जल संसाधन विभाग से की, तो उन्होंने हाथ खड़े कर लिए.

किसान कर रहे जलाशय के टूटे हुए गेट की रिपेयरिंग

वहीं गांव के किसान गर्मी के समय फसल उगाने के लिए परलकोट जलाशय के टूटे हुए गेट को रिपेयरिंग करने को मजबूर हैं.

बता दें कि हर साल किसानों की फसल परलकोट जलाशय में पानी सूख जाने की वजह से पकने से पहले ही सूख जाती है. मजबूरन किसानों को अधपके फसल को कम दाम पर बेचना पड़ता है. वहीं इस साल अधिक बारिश होने से परलकोट जलाशय लबालब भरा हुआ था. लेकिन दोनों गेट टूटे होने के कारण पानी चौबीसों घंटे बह रहा है.

पढे़: प्याज की बढ़ती कीमतों को लेकर CM ने PM मोदी को लिखा पत्र, की ये अपील

किसानों ने गर्मी में होने वाले मक्का, कलिंदर और अन्य फसलों की सिंचाई के लिए खुद बांध पर बने गेट के भीतर 70 फिट नीचे जान जोखिम में डाल कर गेट रिपेयरिंग कर रहे हैं.

गेट का पानी जिस पाइप से निकल रहे हैं वो 500 फिट दूर रफ्तार से बहते पानी में दर्पण से धूप की रिप्लेक्टर के रौशनी के सहारे गेट की रिपेयरिंग कर रहे हैं.जहां गेट के चारों ओर कांक्रीट से भी भारी मात्रा में पानी सीपेज हो रहे हैं. जिसकी वजह से कभी भी बड़ा हादसा होने की संभावना बनी हुई हैं. वहीं जोखिम भरे काम के लिए जल संसाधन विभाग ने सुरक्षा के लिए किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की है.

Intro:ऐंकर - विभाग हुए असमर्थ तो किसान खुद कर रहे हैं परलकोट जलाशय के टूटे हुए गेट का रिपेयरिंग।दरअसल हम बात कर रहे हैं परलकोट जलाशय की,यह जलाशय सन 1966 से निर्माण कार्य शुरू हुआ था तथा सन 1981 में जलाशय बनकर तैयार हो गया।विभाग की लापरवाही के चलते लंबे समय तक कोई मेनेटनेस नहीं होने के चलते बांध के ऊपर बने दोनों गेट के उपकरण टूट चुके हैं एवं स्टॉक रखा हुआ शिचाई के लिए पानी चौबीसों घंटे वेबजय बह जा रहे हैं।जलसंसाधन विभाग कापसी द्वारा कोशिश कर हार मानते हुए हाथ खड़ा कर दिया।Body:बही दूर गांव के मजबूर किसानों ने गर्मी के समय फसल उगाने के लिए परलकोट जलाशय के टूटे हुए गेट को रिपेयरिंग करना किसानों की मजबूरी बन गया है।बतादे की हर वर्ष किसानों की फसल परलकोट जलाशय में पानी सूख जाने के चलते पकने से पहले ही सुख जाते हैं मजबूरन किसानों को अधपका फसल को कम दाम पर बिकना पड़ जाता हैं।इस वर्ष अधिक बारिश होने से परलकोट जलाशय लबालब भरा हुआ था मगर दोनों गेट टूटे होने के चलते पानी चौबीसों घंटे बह जा रहे हैं।किसानों ने अपनी गर्मी में होने वाले मक्का, कलिंदर एवं सब्जियों की फसल को शिचाई के लिए खुद जलाशय कर बांध पर बने गेट के भीतर 70 फिट नीचे जान जोखिम में डाल कर गेट रिपेयरिंग कर रहे हैं एवं गेट के पानी जिस पाइप से निकल रहे हैं वो 500 फिट दूर रफ्तार से बहते पानी में दर्पण से धूप की रिप्लेक्टर के रौशनी के सहारे गेट की रिपेयरिंग कर रहे हैं।जहाँ गेट के चारो ओर कांक्रीट से भी भारी मात्रा में पानी सीपेज हो रहे हैं कभी भी कोई बड़ा हादसा होने की संभावना बनी हुई हैं जोखिम भरा काम के लिए जलसंसाधन विभाग द्वारा सुरक्षा का कोई उपकरण तथा कोई व्यवस्था नहीं किया गया है।Conclusion:बाइट 01.विमल बवाली(किसान)सफेद बनियान

बाइट 02.अजय मंडल(किसान)खाली बदन दाड़ी बाला

बाइट 03.धीरज कुमार(बवाली)बालो में कलर किया है

रिपोर्टर - देबाशीष बिस्वास पखांजुर 7587849010,6266609661

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.