कांकेर: जल संसाधन विभाग ने जब नहीं की मदद तो किसानों ने उठाई परलकोट जलाशय के टूटे हुए गेट को रिपेयरिंग की जिम्मेदारी.
दरअसल मामला परलकोट जलाशय का है, इस जलाशय का निर्माण कार्य 1966 में शुरू हुआ था. जो कि 1981 में बनकर तैयार हो गया था, जल संसाधन विभाग की लापरवाही की वजह से लंबे समय तक जलाशय का कोई मेनेटनेस नहीं हुआ. जिसके कारण बांध के ऊपर बने दोनों गेट के उपकरण टूट गए हैं. जिसकी कारण पानी चौबीसों घंटे बेवजह बह रहा हैं. जब ग्रामीणों ने इसकी शिकायत जल संसाधन विभाग से की, तो उन्होंने हाथ खड़े कर लिए.
किसान कर रहे जलाशय के टूटे हुए गेट की रिपेयरिंग
वहीं गांव के किसान गर्मी के समय फसल उगाने के लिए परलकोट जलाशय के टूटे हुए गेट को रिपेयरिंग करने को मजबूर हैं.
बता दें कि हर साल किसानों की फसल परलकोट जलाशय में पानी सूख जाने की वजह से पकने से पहले ही सूख जाती है. मजबूरन किसानों को अधपके फसल को कम दाम पर बेचना पड़ता है. वहीं इस साल अधिक बारिश होने से परलकोट जलाशय लबालब भरा हुआ था. लेकिन दोनों गेट टूटे होने के कारण पानी चौबीसों घंटे बह रहा है.
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किसानों ने गर्मी में होने वाले मक्का, कलिंदर और अन्य फसलों की सिंचाई के लिए खुद बांध पर बने गेट के भीतर 70 फिट नीचे जान जोखिम में डाल कर गेट रिपेयरिंग कर रहे हैं.
गेट का पानी जिस पाइप से निकल रहे हैं वो 500 फिट दूर रफ्तार से बहते पानी में दर्पण से धूप की रिप्लेक्टर के रौशनी के सहारे गेट की रिपेयरिंग कर रहे हैं.जहां गेट के चारों ओर कांक्रीट से भी भारी मात्रा में पानी सीपेज हो रहे हैं. जिसकी वजह से कभी भी बड़ा हादसा होने की संभावना बनी हुई हैं. वहीं जोखिम भरे काम के लिए जल संसाधन विभाग ने सुरक्षा के लिए किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की है.